10 प्वाइंट में जानिए आज गिरफ्तार कथित माओवादियों का ब्यौरा और वामपंथी हस्तियों की प्रतिक्रिया
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10 प्वाइंट में जानिए आज गिरफ्तार कथित माओवादियों का ब्यौरा और वामपंथी हस्तियों की प्रतिक्रिया

पुणे पुलिस ने जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है उनमें माओवादी विचारक वरवरा राव, वकील सुधा भारद्वाज और एक्टिविस्ट अरुण परेरा, वरनन गोंजाल्विस और गौतम नवलखा शामिल हैं.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: कई शहरों में रेड के बाद माओवादियों का साथ देने के आरोप में पांच लोगों की गिरफ्तारी से कई लोग हैरान हैं. ये रेड और गिरफ्तारियां पुणे पुलिस ने भीमा कोरेगांव हिंसा के संबंध में की गईं. इस साल जनवरी में दलित संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं और दक्षिणपंथी लोगों के साथ हुए टकराव के चलते भीमा कोरेगांव की हिंसा हुई थी. जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है उनमें माओवादी विचारक वरवरा राव, वकील सुधा भारद्वाज और एक्टिविस्ट अरुण परेरा, वरनन गोंजाल्विस और गौतम नवलखा शामिल हैं. इस सिलसिले में दिल्ली, फरीदाबाद, गोआ, मुंबई, रांची और हैदराबाद में छापे मारे गए. आइए दस बिंदुओं में इस पूरे मसले को समझें -

किसकी हुई गिरफ्तारी 
1. वरवरा राव एक एक्टिविस्ट और कवि हैं. उन्हें कथित रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रचने के आरोप में हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया. भीमा कोरेगांव की लड़ाई के 200 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में यलगार परिषद द्वारा आयोजित कार्यक्रम में हिंसा के बाद पुलिस के सर्च अभियान के दौरान मिले एक पत्र में वरवरा राव का नाम आया था.

2. मानवाधिकार वकील सुधा भारद्वाज को फरीदाबाद से गिरफ्तार किया गया और एक्टिविस्ट अरुण परेरा और वरनन गोंजाल्विस को ठाणे और मुंबई से गिरफ्तार किया गया. गौतम नवलखा की पुणे ले जाने की ट्रांजिट रिमांट पर दिल्ली हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है. वो अपने घर में नजरबंद रहेंगे और सिर्फ अपने वकील से मिल सकेंगे.

3. रांची में फादर स्टेन स्वामी और तेलगांना में क्रांति के यहां भी छापे डाले गए. गोआ में अनंद तेलतुम्बडे के गोवा स्थित घर की जांच भी की गई, लेकिन वो घर में नहीं थे. वहां से जांच के लिए लैपटॉप, पेन ड्राइव और कुछ दस्तावेज जब्त किए गए हैं.

वामपंथी हस्तियों की प्रतिक्रिया 
4. लेखक और एक्टिविस्ट अरुंधति राय ने इस छापों की निंदा की है. उन्होंने कहा, 'उन्हें उन पर रेड करनी चाहिए जिन्होंने मॉब लिंचिंग की है और दिन दहाड़े हत्याएं की हैं. इससे एकदम साफ पता चलता है कि भारत कहां खड़ा है. हत्यारों का सम्मान हो रहा है और जश्न मनाया जा रहा है. जो कोई भी न्याय के लिए या हिंदू बहुमतवाद के खिलाफ बोलेगा, उसे हत्यारा बना दिया जाएगा. जो हो रहा है वो बहुत खतरनाक है.'

5. जेएनयू की छात्र नेता शेहला रशीद ने आरोप लगाया है कि ये रेड 'उन लोगों को डराने की कोशिश है जो मुद्दों पर खुलकर बोलते हैं.' उनके साथ उमर खालिद ने कहा, '2019 के चुनावों से पहले, एक काल्पनिक दुश्मन को तैयार किया जा रहा है.'

6. इससे पहले पांच लोगों - सुधीर ढवाले, सुरेंद्र गाडलिंग, महेश राउत, रोना विल्सन और शोमा सेन को जून में गिरफ्तार किया गया था. उन पर आरोप था कि उन्होंने कार्यक्रम के दौरान भड़काऊ बयान दिए, जिसके चलते भीमा कोरेगांव में हिंसा भड़की. इन पांच लोगों से पूछताछ के आधार पर आज की रेड डाली गई.

क्या है पूरा मामला 
7. पूरे महाराष्ट्र से दलित समुदाय के लोग पुणे के पास भीमा कोरेगांव में मराठा पेशवा पर जीत का जश्न मनाने के लिए जमा हुए थे. इस जीत के 200 पूरे होने के अवसर पर विजय दिवस मनाया जा रहा था. इसमें करीब तीन लाख दलित आए थे. 

8. दलित विचारक और एक्टिविस्ट मानते हैं कि ये दबे-कुचले लोगों की ऊंची जाति वाले मराठों पर जीत है. इस आयोजन में दलित नेता और गुजरात के विधायक जेग्नेश मेवानी भी शामिल हुए थे. 

9. हालांकि दक्षिणपंथी समूहों ने दलितों के समारोह का विरोध किया और इस अंग्रेजों की जीत बताया. इसके चलते दोनों पक्षों के बीच हिंसक झड़प हुई. 

10. अगले तीन दिन में हिंसा मुबंई और दूसरे शहरों तक फैल गई. हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हुई और कई घायल हो गई. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने जांच के आदेश दिए और कहा कि महाराष्ट्र में जातिवादी हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है.

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