भारत की महान चिकित्सा वैज्ञानिक आशिमा चटर्जी को Doodle के जरिए याद कर रहा Google
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भारत की महान चिकित्सा वैज्ञानिक आशिमा चटर्जी को Doodle के जरिए याद कर रहा Google

सर्च ईंजन गूगल (Google) भारत की महान रसानशास्त्री डॉक्टर आशिमा चटर्जी को सलाम कर रहा है.

डॉक्टर आशिमा चटर्जी की 100वीं जयंती पर Google Doodle.

सर्च ईंजन गूगल (Google) भारत की महान रसानशास्त्री डॉक्टर आशिमा चटर्जी को सलाम कर रहा है. उच्च शिक्षा को हासिल करने में भारतीय महिलाओं के लिए प्रेरणा बनीं डॉक्टर आशिमा चटर्जी के सम्मान में Google ने  डूडल (Doodle) बनाया है. इस महिला का जन्म 23 सितंबर 1917 में तत्कालीन कलकत्ता (कोलकाता) में हुआ था. सन् 1920-30 के दशक में पश्चिम बंगाल की राजधानी में कोलकाता में आशिमा चटर्जी अचानक से चर्चा में आई थीं. उस दौर में जहां भारत की गिनी चुनी महिलाएं साक्षर थीं, तब आशिमा ने कलकत्ता यूनिवर्सिटी से रसानशास्त्र (chemistry) में ग्रेजुएशन किया. 

  1. चिकित्सा वैज्ञानिक आशिमा चटर्जी का जन्म 23 सितंबर 1917 को हुआ था
  2. मलेरिया की दवा तैयार करने में रहा इनका अहम योगदान
  3. इंडियन सांइस कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष रहीं आशिमा चटर्जी
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1936 में ऑर्गेनिक रसायनशास्त्र विषय में ग्रेजुएशन (ऑनर्स) करने के बाद आशिमा ने 1944  में डॉक्टरेट की उपाधि भी हासिल कीं. डॉक्टर चटर्जी ने मुख्य रूप से भारत के पौधों के औषधीय गुणों का अध्ययन किया.

डॉक्टर आशिमा ने वेनेका अल्कोडिश (vinca alkaloids) को शोध के लिए चुना और कई गंभीर बिमारियों में इसके उपयोग को साबित किया. आज के दौर मे वेनेका अल्कोडिश (vinca alkaloids) का ही इस्तेमाल कीमोथेरेपी के लिए किया जाता है. यह शरीर की कोशिकाओं में फैलकर कैंसर के फैलने की गति को काफी धीमा कर देता है.

डॉक्टर आशिमा चटर्जी के शोध से मलेरिया जैसी गंभीर बीमारी की दवा तैयार करने में सफलता हासिल हुई. विज्ञान के क्षेत्र में उनके इसी योगदान को देखते हुए उन्हें इंडियन सांइस कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष बनने का मौका मिला. भारत सरकार ने 1975 में उन्हें पद्भूभूषण से सम्मानित किया.

महान शोधकर्ता डॉक्टर आशिमा 2006 में 90 साल की उम्र में इस दुनिया से चली गईं. उनकी एक बेटी हैं, जिनका नाम जुलिया है. उनके पति डॉक्टर बरदानंद चटर्जी (Baradananda Chatterjee) से हुई थी.

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