लुणावाडा से निर्दलीय विधायक रतन सिंह राठौड़ ने शुक्रवार को बीजेपी को समर्थन देकर भाजपा को 99 के फेर बाहर निकाल दिया है. राठौड़ का समर्थन मिलने के बाद राज्य में बीजेपी विधायकों की संख्या 100 हो गई है.
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नई दिल्ली : गुजरात चुनावों में 150+ का मिशन लेकर चली बीजेपी के लिए इस बार सौ का आंकड़ा छूना भी मुश्किल हो गया. यहां पार्टी 99 सीटों पर ही अटक गई. पिछले दो दशकों में इस बार पार्टी की राज्य में सबसे कम सीटें रही थीं, लेकिन जोड़तोड़ करके भाजपा ने सौ का आकंड़ा पूरा कर लिया है. लुणावाडा से निर्दलीय विधायक रतन सिंह राठौड़ ने शुक्रवार को बीजेपी को समर्थन देकर भाजपा को 99 के फेर बाहर निकाल दिया है. राठौड़ का समर्थन मिलने के बाद राज्य में बीजेपी विधायकों की संख्या 100 हो गई है.
गुजरात चुनाव: 42 साल बाद बनी सबसे कम सीटें जीतने वाले की सरकार
रतन सिंह राठौड़ पुराने कांग्रेसी नेता रहे हैं. लेकिन किन्हीं वजहों से कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया था. इस बार उन्होंने कांग्रेस से टिकट की मांग की थी, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. बाद में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और विजय हासिल की. आज शुक्रवार को उन्होंने बीजेपी में आस्था दिखाते हुए राज्यपाल को पत्र लिखकर बीजेपी को समर्थन देने की घोषणा की है. हालांकि बीजेपी सीटों के आंकड़े से दूर राज्य में विजय रूपाणी को फिर से मुख्यमंत्री बनाने की तैयारियों में जुटी हुई है.
गुजरात चुनाव : एक नजर में जानिए किस क्षेत्र से कौन जीता, कौन हारा
बीजेपी लगातार छठी बार गुजरात में सरकार बनाने में कामयाब हुई है. हालांकि चुनावों में कांग्रेस ने भी बढ़त हासिल की करते हुए 77 सीटों पर जीत दर्ज की थी. कम सीटों के बाद भी भाजपा में जबरदस्त उत्साह देखा गया. गुजरात में इस बार दो चरणों में मतदान हुआ था. इस चुनाव को बीजेपी के लिए नाक की लड़ाई के तौर पर देखा गया था. क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह खुद गुजरात से हैं और पार्टी पिछले दो दशकों से यहां शासन में थी. उधर, सत्ता विरोधी लहर को भुनाने का कांग्रेस का पास भी अच्छा समय था. इतना ही नहीं पाटीदार आंदोलन समेत अन्य जातिवादी नेताओं ने कांग्रेस के पक्ष में आकर कांग्रेस को नई ताकत दी. गुजरात में चुनाव की कमान बीजेपी की तरफ से खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संभाली तो कांग्रेस के प्रचार रथ पर राहुल गांधी खुद सवार हुए. 18 दिसंबर को यहां चुनाव के नतीजे घोषित किए गए थे. इस दिन हिमाचल प्रदेश के नतीजे भी आए. हिमाचल में भी बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई. लेकिन वहां अभी भी मुख्यमंत्री के नाम को लेकर गतिरोध बना हुआ है. क्योंकि यहां भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल चुनाव हार गए. लेकिन धूमल समर्थक उन्हें ही मुख्यमंत्री बनाने की बात पर अड़े हुए हैं.