ट्रेनों को समय पर चलाना है, तो प्लेटफार्मों की संख्या और लंबाई बढ़ानी होगी: CAG
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ट्रेनों को समय पर चलाना है, तो प्लेटफार्मों की संख्या और लंबाई बढ़ानी होगी: CAG

सीएजी ने 10 जोनल रेलवे के भीड़ वाले 15 रेलवे स्टेशन को नमूने के तौर पर जांच के लिए चुना, जिसके आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है.

(फाइल फोटो).

ब्रह्म दुबे, नई दिल्ली: रेलवे स्टेशनों पर यातायात सुविधाओं को लेकर सीएजी (CAG) ने रेलवे की खिंचाई की है. संसद में पेश CAG की रिपोर्ट में कहा गया है कि यात्रियों की बढ़ती संख्या के लिहाज से रेलवे स्टेशनों पर पर्याप्त ढांचागत सुविधाओं का अभाव है. कई स्टेशनों पर प्लेटफार्म बहुत ही छोटे हैं, लिहाजा 22 और 24 कोच की ट्रेन खड़ी ही नहीं हो पाती है, जिससे लोगों को आए दिन परेशानी होती है. इसके चलते ट्रेन आउटर पर घंटों खड़ी रहती है. आउटर पर ट्रेन खड़ी रखने को लेकर कोई तय मानक नहीं है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रेन घंटों तक आउटर पर खड़ी रहती है, जिसकी वजह से लेट हो जाती है.

सीएजी ने 10 जोनल रेलवे के भारी भीड़ वाले 15 रेलवे स्टेशन को नमूने के तौर पर जांच के लिए चुना. इन स्टेशनों पर सीएजी ने पाया कि पैसेंजर ट्रेन लेट क्यों हो रही हैं, इसको लेकर रेलवे की न तो वर्तमान में कोई योजना है और न ही इसमें सुधार को लेकर भविष्य में कोई योजना दिख रही है.

15 चयनित स्टेशनों पर समय के साथ-साथ प्रतिदिन हैंडल की जाने वाली ट्रेनों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. ट्रेनों की संख्या बढ़ रही हैं तो यात्रियों की भी संख्या बढ़ रही हैं, लेकिन सुविधाओं में कोई विस्तार नहीं हुआ है. चयनित 15 स्टेशनों द्वारा हैंडल किए जाने वाले 2436 ट्रेनों में से 638 ट्रेन प्रतिदिन 24 या अधिक कोच के साथ चलती हैं. इन 15 स्टेशनों के 164 प्लेटफार्मों में से केवल 100 प्लेटफार्मों की 24 या उससे अधिक कोच वाली ट्रेनों को हैंडल करने की क्षमता है. प्लेटफार्म की पर्याप्त क्षमता न होने के कारण अधिक कोच वाली ट्रेनों को कम लंबाई वाले प्लेटफार्मों पर खड़ा करना पड़ा, जिसके कारण यात्रियों को चढ़ने/उतरने में असुविधा हुई.

79 पिट लाइनों और 63 स्टेबलिंग लाइनों में से केवल 35 पिट लाइनों और 20 स्टेबलिंग लाइन पर 24 या उससे अधिक कोच वाली ट्रेन को खड़ा करने और रख रखाव करने की क्षमता है. इससे ट्रेनों के रखरखाव के लिए लिया गया समय बढ़ा साथ ही समय पालन प्रभावित हुआ. ट्रैक, प्लेटफार्म उपलब्ध न होने के चलते पहले से मौजूद ट्रेन के जाने तक ट्रेनों को आउटर सिग्नल या आस-पास के स्टेशनों पर रोकना पड़ा. इसकी वजह से कई ट्रेनें लेट हुईं. हावड़ा, भोपाल, इटारसी और अहमदाबाद को छोड़कर सभी चयनित स्टेशनों पर यात्री ट्रेनों को प्रति ट्रेन 15 मिनट से अधिक के लिये रोका गया. इन स्टेशनों पर, ट्रेनों को प्रति ट्रेन 15 से 25 मिनट के बीच रोका गया.

मालगाड़ियों का बाधित समय काफी अधिक था. दिल्ली, नई दिल्ली, हावड़ा और चेन्नई सेंट्रल को छोड़कर सभी चयनित स्टेशनों पर प्रति मालगाड़ी 21 से 100 मिनट तक रूकी रही. पटना, मुगलसराय, नई दिल्ली, दिल्ली, मथुरा, भोपाल और इटारसी पहुंचने से पूर्व यात्री ट्रेनों को भी आउटर सिग्नल या पिछले स्टेशन के आसपास 10 मिनट से अधिक के लिये रोका गया.

पटना, नई दिल्ली, दिल्ली, इलाहबाद, विजयवाड़ा और नागपुर में यात्री ट्रेनों को 10 मिनट से अधिक के लिए चयनित स्टेशनों पर अपने रूकने के समय से भी अधिक रोका गया जिससे ट्रेनों में बेवजह देरी हुई. भोपाल, अहमदाबाद और चेन्नई सेंट्रल को छोड़कर सभी चयनित स्टेशनों पर यात्री ट्रेन चयनित स्टेशनों से 15 मिनट से अधिक और 74 मिनट तक के विंलब से चली.

कानपुर सेंट्रल स्टेशन प्रतिदिन 328 ट्रेनों को हैंडल करता है. 10 प्लेटफार्मों में से केवल पांच में 24 कोचों से अधिक कोच वाले ट्रैकों को हैंडल करने की क्षमता है. प्लेटफार्म की लंबाई कम होने के कारण, अधिक कोच वाली ट्रेनों को कम कोच क्षमता वाले प्लेटफार्मों पर रोकना पड़ा. 

मथुरा जंक्शन स्टेशन प्रतिदिन लगभग 190 ट्रेनों को हैंडल करता है. 10 प्लेटफार्म में से केवल पांच में 24 कोचों से अधिक कोच वाली ट्रेन को हैंडल करने की क्षमता है. मथुरा स्टेशन को भीड़ मुक्त करने के लिए मथुरा स्टेशन के आस-पास नये स्टेशन/टर्मिनल के निर्माण का कोई प्रस्ताव नहीं था. 

मुगलसराय स्टेशन पर आठ में से केवल चार प्लेटफार्मों में 24 या उससे अधिक कोचों की ट्रेनों को हैंडल करने की क्षमता है. मुगलसराय में सभी प्लेटफार्म को 24 कोच के अनुरूप बनाने का ठेका मई 2012 में दिया गया था, जिसे अभी पूरा किया जाना बाकी है. मार्च 2017 के दौरान 84 घंटों के अवरोधन के बाद मुगलसराय स्टेशन से 168 ट्रेनें विलंब से चलीं.   

चेन्नई सेंट्रल टर्मिनल स्टेशन औसतन प्रतिदिन 157 ट्रेनें हैंडल करता है और उपमहानगरीय टर्मिनल औसतन प्रतिदिन लगभग 215 आने और जाने वाली ट्रेनों को हैंडल करता है. इसके अलावा एमएएस और एमएएसएस अलग-अलग कॉरिडोर से ट्रेन सेवाओं को हैंडल करते हैं. चेन्नई सेंट्रल से यातायात की हर दिशा के लिये विशेष ट्रैक उपलब्ध नहीं थे, क्योंकि यह सभी लाइनें चेन्नई सेंट्रल से 2.2 किलोमीटर दूर स्थित बेसिन ब्रिज जंक्शन पर एक साथ मिलती हैं. इसकी वजह से ट्रैक बाधित होता है और देरी होती है.

हावड़ा स्टेशन पर कुल 22 प्लेटफार्म में से केवल 10 प्लेटफार्म में 24 या अधिक कोच वाली ट्रेनों को हैंडल करने की क्षमता है. 
                                                                       
नई दिल्ली स्टेशन लगभग 242 ट्रेनों को हैंडल करता है और दिल्ली स्टेशन प्रतिदिन 263 ट्रेनों को हैंडल करता है. पिछले तीन सालों के दौरान इन दोनों स्टेशनों पर हैंडल की जाने वाली ट्रेनों की संख्या प्रति स्टेशन 14 अधिक हो गई. दिल्ली स्टेशन पर 16 प्लेटफार्म में से केवल पांच, 24 या अधिक कोचों की ट्रेन को हैंडल कर सकते हैं. 

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