कैग करेगा राफेल सौदे में कीमत की जांच, लेकिन डील नहीं होगी रद्द : अरुण जेटली
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कैग करेगा राफेल सौदे में कीमत की जांच, लेकिन डील नहीं होगी रद्द : अरुण जेटली

उन्‍होंने कहा कि कैग इस बात को भी परखेगी कि कांग्रेस नीत यूपीए सरकार में राफेल विमान की सौदेबाजी बेहतर थी या बीजेपी नीत एनडीए सरकार में हो रही डील बेहतर है.

(फाइल फोटो)

नई दिल्ली : राफेल डील को लेकर कांग्रेस की ओर से बार-बार केंद्र सरकार पर उठाए जा रहे सवालों पर वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि इस सौदे की जांच नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) से कराई जाएगी. कैग इस सौदे की कीमतों की जांच करेगी. लेकिन यह डील रद्द नहीं होगी. उन्‍होंने कहा कि कैग इस बात को भी परखेगी कि कांग्रेस नीत यूपीए सरकार में राफेल विमान की सौदेबाजी बेहतर थी या बीजेपी नीत एनडीए सरकार में हो रही डील बेहतर है.

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अरुण जेटली ने कहा कि राफेल डील में अनिल अंबानी को फायदा पहुंचाने के आरोपों पर अरुण जेटली ने कहा कि अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस राफेल सौदे में एक एमओयू के तहत फरवरी 2012 में तब शामिल हुई थी, जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी. ये सारे आंकड़े कैग के सामने हैं. कांग्रेस भी कैग के पास गई है. उन्होंने कहा कि हम कैग की रिपोर्ट का इंतजार करेंगे.

सीवीसी से आज मिलेगा कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल
बता दें कि कांग्रेस के शीर्ष नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल राफेल लड़ाकू विमान सौदे में कथित भ्रष्टाचार की स्वतंत्र जांच कराने की मांग को लेकर सोमवार को केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) से मिलेगा. पिछले सप्ताह कांग्रेस ने देश के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) से मुलाकात की थी. पार्टी ने कैग से सौदे में कथित अनियमितता पर एक रिपोर्ट तैयार करने और उसे संसद में पेश किए जाने का अनुरोध किया था.

भ्रष्टाचार का मामला दर्ज करने की मांग करेगी
कांग्रेस के नेताओं ने रविवार को कहा कि पार्टी इसी तरह का अनुरोध करने के साथ ही इस संबंध में भ्रष्टाचार का एक मामला दर्ज करने की मांग करेगी. राफेल मुद्दे पर अपना हमला तेज करते हुए कांग्रेस ने रविवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोपनीयता की शपथ का ‘‘उल्लंघन’’ किया. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि समय आ गया है, अब वित्त मंत्री अरूण जेटली और प्रधानमंत्री "झूठ बोलना बंद करें.’’ 

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जेपीसी से जांच कराने पर जोर
इसके साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष ने सच्चाई सामने लाने के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने पर जोर दिया है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि समय आ गया है, अब वित्त मंत्री अरूण जेटली और प्रधानमंत्री "झूठ बोलना बंद करें.’’ इसके साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष ने सच्चाई सामने लाने के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने पर जोर दिया. कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने प्रधानमंत्री पर देश से ‘‘छल’’ करने का आरोप लगाया और मांग की कि अपने मंत्रियों को उतारने की जगह उन्हें खुद सौदे के संबंध में आरोपों का जवाब देना चाहिए.

क्‍या है राफेल डील में विवाद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 अप्रैल 2015 को पेरिस में फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति ओलांद के साथ वार्ता करने के बाद 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद की घोषणा की थी. यह सौदा अंतत: 23 सितंबर, 2016 को हुआ. कांग्रेस राफेल सौदे में बड़े पैमाने पर अनियमितता का आरोप लगाती रही है. कांग्रेस का आरोप है कि उसकी अगुवाई वाली पिछली संप्रग सरकार जब इस सौदे के लिए बातचीत कर रही थी तो प्रत्येक राफेल विमान की कीमत 526 करोड़ रुपए तय हुई थी, लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार 1,670 करोड़ रुपए प्रति विमान की दर से राफेल खरीद रही है. विपक्षी दलों का यह भी आरोप है कि 2015 में राफेल सौदे की घोषणा से महज 12 दिन पहले रिलायंस डिफेंस बनी. रिलायंस ग्रुप ने आरोपों को खारिज किया है.

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