CBSE ने कक्षा छह से आठ तक के लिए समान मूल्यांकन नीति वापस ली
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CBSE ने कक्षा छह से आठ तक के लिए समान मूल्यांकन नीति वापस ली

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने राष्ट्रीय बालक अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की आपत्ति के बाद कक्षा छह से आठ तक के लिए समान मूल्यांकन नीति वापस ले ली है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने राष्ट्रीय बालक अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की आपत्ति के बाद कक्षा छह से आठ तक के लिए समान मूल्यांकन नीति वापस ले ली है. आयोग ने समान मूल्यांकन नीति को शिक्षा के अधिकार (आरटीई) कानून का उल्लंघन बताया था. सीबीएसई की अधिसूचना के अनुसार, 'बोर्ड की संचालन इकाई के फैसले के अनुरूप कक्षा छह से कक्षा आठ तक के लिए समान मूल्यांकन प्रणाली, परीक्षा और रिपोर्ट कार्ड के संबंध में जारी पूर्व के परिपत्र को निरस्त किया जाता है.' 

पूर्व के परिपत्र में उल्लेख किया गया था, 'कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षा की तैयारी शुरू करने के वास्ते बच्चों के उच्च प्राथमिक चरण कक्षा छह में पहुंचने पर उनमें विश्वास बढ़ाने के लिए सीबीएसई ने छठी से लेकर आठवीं तक के लिए समान मूल्यांकन प्रणाली, इसी तर्ज पर परीक्षा पैटर्न और रिपोर्ट कार्ड जारी करने का फैसला किया है.' 

कक्षा 10 के लिए इस साल से बोर्ड परीक्षा फिर से शुरू करने के केंद्र सरकार के फैसले के बाद इस क्लास के लिए सतत एवं समग्र मूल्यांकन की प्रणाली को भी खत्म कर दिया गया है.

12वीं बोर्ड में नहीं मिलेंगे एक्स्ट्रा मार्क्स? मॉडरेशन नीति में बदलाव करेगी सरकार
जल्द ही बोर्ड परीक्षाओं में बढ़ा-चढ़ाकर नंबर देने का चलन जल्द ही बंद हो जाएगा. मॉडरेशन के नाम पर 12वीं के छात्रों को बढ़ा-चढ़ाकर नंबर न देने की केंद्र की अपील को 17 राज्यों ने मान लिया है. इसी साल 6 अक्टूबर को स्कूल शिक्षा सचिव अनिल स्वरूप की ओर से जारी परामर्श में कहा गया था कि इकट्ठे मार्क्स (बंचिंग ऑफ मार्क्स) देना और उन्हें बढ़ाकर देने से बचना चाहिए. ग्रेस मार्क्स देने का चलन जारी रहना चाहिए ताकि कुछ ही नंबर से फेल होने की कगार पर खड़े छात्रों को पास किया जा सके. आपको बता दें कि मॉडरेटेड मार्क्स के चलते पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेजों का कट-ऑफ मार्क्स तेजी से ऊपर गया है. 

सूत्रों के मुताबिक, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, केरल, मध्य प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, असम, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, तेलंगाना और गोवा जैसे 17 राज्यों ने शिक्षा सचिव की चिट्ठी का जवाब भेजा है. 
इनपुट: भाषा

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