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कोलकाता: पश्चिम बंगाल और केंद्र सरकार के बीच टकराव जारी है. टकराव की बड़ी वजह राज्य के मुख्य सचिव अलापन बंद्योपाध्याय (Alapan Bandyapadhyay) का तबादला है. इस मुद्दे पर राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच टकराव जारी है. केंद्र ने अलापन बंद्योपाध्याय (Alapan Bandyapadhyay) को 31 मई की सुबह 10 बजे से पहले दिल्ली में रिपोर्ट करने का निर्देश दिया है. सूत्रों के मुताबिक बंगाल सरकार उन्हें रिलीव नहीं कर रही हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि इस मुद्दे पर केंद्र और बंगाल के पास क्या अधिकार हैं.
पूर्व शीर्ष नौकरशाहों और लॉ एक्सपर्ट का मानना है कि केंद्र सरकार के लिए पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय को रिटायर होने के दिन दिल्ली बुलाने के अपने आदेश का अनुपालन कराना मुश्किल हो सकता है क्योंकि राज्य सरकार अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए उन्हें रिलीव करने से इनकार कर सकती है. केंद्र ने बंद्योपाध्याय को दिल्ली बुलाने का आदेश चक्रवाती तूफान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के साथ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की बैठक को मुख्यमंत्री द्वारा महज 15 मिनट में निपटाने से उत्पन्न विवाद के कुछ घंटों के बाद दिया.
इससे कुछ दिन पहले राज्य में Covid-19 महामारी से निपटने में मदद के लिए बंद्योपाध्याय का कार्यकाल तीन महीने के लिए बढ़ाने का केंद्रीय आदेश जारी किया गया था. भारत सरकार के पूर्व सचिव जवाहर सरकार ने कहा, ‘राज्य सरकार ऐसे तबादलों को नियंत्रित करने वाले अखिल भारतीय सेवा नियमावली (All India Services Manual) के आधार पर विनम्रता से जवाब दे सकती है.’ उन्होंने कहा कि केंद्र के लिए एकतरफा तरीके से आईएएस या आईपीएस अधिकारी का तबादला करना मुश्किल है, जो उसके नियंत्रण में नहीं है बल्कि संघ के भीतर दूसरे सरकार के अधीन है.
ऑल इंडिया सर्विस के अधिकरियों की प्रतिनियुक्ति के नियम 6 (1) के तहत किसी राज्य के काडर के अधिकारी की प्रतिनियुक्ति केंद्र या अन्य राज्य या सार्वजनिक उपक्रम में संबंधित राज्य की सहमति से की जा सकती है. Indian Administrative Service (काडर) नियम-1954 के तहत, ‘कोई असहमति होने पर मामले पर निर्णय केंद्र सरकार और राज्य सरकार कर सकती है या संबंधित राज्य सरकार केंद्र सरकार के फैसले को प्रभावी कर सकती है.’
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पूर्व सचिव जवाहर सरकार ने कहा, हालांकि, समस्या केंद्र सरकार के लिए यह है कि उसने न तो पश्चिम बंगाल सरकार की और न ही बंद्योपाध्याय की सहमति ली जो ऐसे तबादलों में आवश्यक मानी जाती है. जवाहर सरकार ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण या हाई कोर्ट के जरिये कानूनी रास्ता भी अपना सकती है. हालांकि, माना जा रहा है कि केंद्र ने दोनों मंचों पर कैविएट दाखिल किया है. यह वह तरीका है जिसमें सामान्य समझ महत्व रखता है.’ वरिष्ठ अधिवक्ता अरुणाभ घोष ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री तत्काल अधिकारी को कार्यमुक्त नहीं करने का फैसला करती हैं तो कानूनी कठिनाई पैदा हो जाएंगी. घोष ने कहा कि मुख्य सचिव सीधे मुख्यमंत्री के नियंत्रण में है.
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