दलित संगठनों की मांग है कि अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 में संशोधन को वापस लेकर एक्ट को पूर्व की तरह लागू किया जाए.
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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी/एसटी एक्ट में बदलाव के खिलाफ देशभर को दलित संगठनों ने सड़कों पर उतर कर कोर्ट के फैसले का विरोध करने का फैसला किया है. इसी क्रम में दलित संगठनों ने सोमवार (2 अप्रैल) को भारत बंद का आह्वान किया है. इन संगठनों की मांग है कि अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 में संशोधन को वापस लेकर एक्ट को पूर्व की तरह लागू किया जाए.
क्या था कोर्ट का फैसला
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 में संशोधन करते हुए कई अहम फैसले लिए थे. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि इस एक्ट के तहत आरोपों पर तुरंत गिरफ्तारी नहीं होगी. गिरफ्तारी से पहले आरोपों की जांच जरूरी है और केस दर्ज होने से पहले भी जांच की जाएगी. इस जांच को डीएसपी स्तर का अधिकारी करेगा और गिरफ्तारी से पहले इसमें जमानत सभव हो सकेगी. सीनियर अफ़सर की इजाज़त के बाद ही गिरफ़्तारी हो सकेगी.
Review petition by the Government against the SC judgement on SC/ST Protection Act shall be filed positively tomorrow, Monday, April 2: Union Minister Ravi Shankar Prasad (File pic) pic.twitter.com/hFl74WEtDV
— ANI (@ANI) 1 अप्रैल 2018
दलित संगठनों ने किया विरोध
कोर्ट के इस फैसले को लेकर देश के कई संगठनों ने विरोध प्रकट किया है. इस फैसले पर बढ़ते विरोध को देखते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक पुनर्विचार याचिका दायर करने की बात कही है. सरकार का कहना है कि एससी- एसटी के कथित उत्पीड़न को लेकर तुरंत होने वाली गिरफ्तारी और मामले दर्ज किए जाने को प्रतिबंधित करने का शीर्ष न्यायालय का आदेश इस कानून को कमजोर करेगा. दरअसल, इस कानून का लक्ष्य हाशिये पर मौजूद तबके की हिफाजत करना है.
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सरकार दायर करेगी पुनर्विचार याचिका
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार द्वारा सोमवार को इस मुद्दे पर एक याचिका दायर की जाएगी. जानकार बताते हैं कि सरकार इस याचिका में तर्क देगी कि हालिया आदेश से कानून का डर कम होगा और इस कानून का उल्लंघन बढ़ सकता है.
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सरकार के मंत्रियों ने भी जताया विरोध
लोजपा प्रमुख राम विलास पासवान और केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत के नेतृत्व में राजग के एसएसी और एसटी सांसदों ने इस कानून के प्रावधानों को कमजोर किए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चर्चा के लिए पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की थी. गहलोत ने कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका के लिये हाल ही में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को एक पत्र लिखा था. उन्होंने इस बात का जिक्र किया था कि यह आदेश इस कानून को निष्प्रभावी बना देगा और दलितों एवं आदिवासियों को न्याय मिलने को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करेगा.
सरकार की तरफ से पुनर्विचार याचिका दायर किए जाने की बात पर केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने कहा कि जब सरकार इस पर रिव्यू पिटीशन दायर करने जा रही है तो भारत बंद का कोई औचित्य नहीं रह जाता है. यह फैसला कोर्ट का है और अब सरकार को भी अपना पक्ष रखने का मौका मिलना चाहिए, उसके बाद फैसला किया जाए कि बंद होना चाहिए या नहीं.