डोकलाम विवाद: चीन से नहीं डरा भारत तो नेपाल को लुभाने पहुंचा 'ड्रैगन'
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डोकलाम विवाद: चीन से नहीं डरा भारत तो नेपाल को लुभाने पहुंचा 'ड्रैगन'

भारत ने अभी तक सार्वजनिक रूप इस मुद्दे पर किसी भी विदेशी उच्चायोग से अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है. हालांकि कुछ हफ्तों पहले भारत ने अमेरिकी राजनयिकों से इस मुद्दे पर चर्चा की थी.

मंत्री सुषमा स्वराज BIMSTEC की बैठक में शामिल होने के लिए अगले हफ्ते नेपाल जाने वाली हैं.

तकरीबन दो महीने से ज्यादा समय से डोकलाम में भारत और चीन के बीच तनातनी जारी है. अब इस विवाद में नया मोड़ आ गया है जिसने भारत की चिंताएं बढ़ा दी हैं. दरअसल अब इस मुद्दे पर कूटनीतिक दबाव बनाने के लिए चीन, नेपाल के पास पहुंच गया है.  इस विवाद पर चीन का नेपाल से बात करना भारत का लिए परेशानी बढ़ाने वाला इसलिए भी क्योंकि इस विवादित क्षेत्र में भारत नेपाल के साथ ट्राइजंक्शन शेयर करता है. दूसरा कारण है यह है कि बीते कुछ समय से भारत अपने पड़ोसी देश नेपाल में प्रभाव बढ़ाने के लिए संघर्ष कर रहा है. 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन के डिप्टी चीफ ने इस मुद्दे को  लेकर नेपाल में अपने समकक्ष से बातचीत की है. उन्होंने बातचीत में चीन की स्थिति को स्पष्ट कर दिया है. चीन इस बात पर अड़ा है कि भारत के साथ सार्थक वार्ता करने के लिए पहले उसे डोकलाम क्षेत्र से अपने सैनिकों को पीछे हटाना पड़ेगा. चीनी राजनयिकों ने इसी तरह की कई बैठकें नेपाल के अधिकारियों के साथ नेपाल और बीजिंग में की हैं. 

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फिलहाल भारत ने अभी तक सार्वजनिक रूप इस मुद्दे पर किसी भी विदेशी उच्चायोग से अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है. हालांकि कुछ हफ्तों पहले भारत ने अमेरिकी राजनयिकों से इस मुद्दे पर चर्चा की थी. अभी तक नेपाल की ओर से भी इस मुद्दे पर भारत से कोई भी जानकारी नहीं मांगी गई है. लेकिन नेपाल में इस बात को लेकर चिंतित है कि चीन, भारत और भूटान के बीच बढ़ता विवाद नेपाल के हित में नहीं होगा.  

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नेपाल, चीन और भारत के साथ दो ट्राइ-जंक्शन साझा करता है.  जिसमें पहला पश्चिमी नेपाल के लिपुलेख में और पूर्वी नेपाल के झिनसांग चुली में है।  कालापानी विवादित क्षेत्र में स्थित लिपुलेख हमेशा से नेपाल की असुरक्षा की वजह रहा है। इस हिस्से पर भारत और नेपाल दोनों ही अपना-अपना हक जताते हैं। वर्ष 2015 में  जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के दौरे पर गए थे तो भारत ने चीन के साथ लिपुलेख के जरिए व्यापार बढ़ाने का फैसला किया था। इस फैसले से नेपाल को काफी नाराज हुआ था और नेपाल की संसद में मांग की गई थी कि दोनों देश लिपुलेख का जिक्र अपने साझा बयान से हटाएं क्योंकि यह अंतराष्ट्रीय नियमों के खिलाफ है.  

बता दें विदेश मंत्री सुषमा स्वराज BIMSTEC की बैठक में शामिल होने के लिए अगले हफ्ते नेपाल जाने वाली हैं. वहीं, चीन के उप प्रधानमंत्री भी 14 अगस्त को नेपाल में होंगे. उम्मीद की जा रही है कि सुषमा और चीनी उप प्रधानमंत्री के बीच डोकलाम के मुद्दे पर चर्चा हो सकती है. 

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