पार्टी के 84वें महाधिवेशन में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने सीब्ल्यूसी के पुनर्गठन के लिए कांग्रेस अध्यक्ष को अधिकृत करने का प्रस्ताव पेश किया.
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नई दिल्ली : कांग्रेस ने पार्टी की सर्वोच्च नीति निर्धारक इकाई कांग्रेस कार्य समिति (सीब्ल्यूसी) के पुनर्गठन के लिए रविवार को (18 मार्च) पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को अधिकृत किया. अब उन्हें इसके गठन की जिम्मेदारी सौंपी गई है. पार्टी के 84वें महाधिवेशन में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने सीब्ल्यूसी के पुनर्गठन के लिए कांग्रेस अध्यक्ष को अधिकृत करने का प्रस्ताव पेश किया. इसका अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्यों ने हाथ उठाकर समर्थन किया. राहुल गांधी को पिछले साल दिसंबर में गुजरात विधानसभा चुनाव के समय पार्टी का अध्यक्ष चुना गया था.
सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित
आजाद ने कहा कि अब तक हमारी यह परंपरा रही है कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी यह कांग्रेस अध्यक्ष पर छोड़ देती है कि वह कांग्रेस कार्य समिति का गठन करें. सीब्ल्यूसी के गठन में क्षेत्रीय संतुलन सहित कई चीजों को देखना पड़ता है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस कार्य समिति के गठन के लिए कांग्रेस अध्यक्ष को अधिकृत करने का प्रस्ताव रखते हैं. आजाद ने कहा कि मुझे यह बताकर खुशी हो रही है कि इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया गया है.
राहुल कांग्रेस को पुनर्जीवित करने में जुटे : सोनिया
सोनिया गांधी ने नौ मार्च को एक निजी टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में पार्टी के मामलों पर राहुल को सलाह देने संबंधित सवाल पर उन्होंने कहा कि वह खुद ऐसा नहीं करने की कोशिश करती हैं. राहुल पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए वरिष्ठ और युवा नेताओं के बीच संतुलन बनाना चाहते हैं, और यह कोई आसान काम नहीं है. उन्होंने यह भी कहा था कि कांग्रेस को भी संगठन के स्तर पर लोगों से जुड़ने का एक नया तरीका विकसित करने की जरूरत है.
पीएम मोदी की 'विदेश नीति' पर उठे सवाल, दूसरे देशों के साथ रिश्ते संभालने में नाकाम रही केंद्र
इससे पहले कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर 'व्यक्ति केन्द्रित विदेश नीति' पर अमल करने का आरोप लगाते हुए रविवार (18 मार्च) को कहा कि मौजूदा सरकार बड़े देशों के साथ भारत के संबंधों को संभाल नहीं पाई है और इसमें दृष्टि तथा दिशा का अभाव है. पार्टी ने आरोप लगाया कि मोदी की विदेश नीति को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है. कांग्रेस के 84वें महाधिवेशन में विदेश नीति पर पेश प्रस्ताव में पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और नरसिंह राव के कार्यकाल की विदेश नीति की जहां जमकर तारीफ की गयीं, वहीं वर्तमान मोदी सरकार की विदेश नीति को लेकर उनपर जमकर निशाना साधा गया.
पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा की ओर से पेश प्रस्ताव में कहा गया, 'विदेश नीति सदा मजबूत राष्ट्रीय सहमति के साथ तालमेल बैठा कर चलती रही है. दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाजपा सरकार ने इसे बाधित कर दिया और गलत सलाह पर आधारित उसके कदमों ने राष्ट्रीय सहमति को भंग किया है."