वैक्सीन सर्टिफिकेट पर PM मोदी की तस्वीर पर विवाद क्यों?
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वैक्सीन सर्टिफिकेट पर PM मोदी की तस्वीर पर विवाद क्यों?

भारत सरकार देशभर के सरकारी अस्पतालों में मुफ्त वैक्सीनेशन का अभियान चला रही है और अब तक देश में वैक्सीन की 133 करोड़ डोज लग चुकी हैं. ये पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा हैं. लेकिन कुछ लोग प्रधानमंत्री मोदी के प्रति अपनी ईर्ष्या की वजह से इस उपलब्धि को स्वीकार ही नहीं करना चाहते बल्कि उन्हें उनकी तस्वीर से परेशानी होती है.

वैक्सीन सर्टिफिकेट पर PM मोदी की तस्वीर पर विवाद क्यों?

नई दिल्ली: अब हम आपको पिछले 24 घंटे में आए देश की अदालतों के दो बड़े फैसलों के बारे में बताएंगे. इनमें पहला फैसला केरल हाई कोर्ट ने सुनाया है. ये फैसला उस याचिका पर आया है, जिसमें देश के कुछ बुद्धिजीवियों ने कोविड के वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर को लेकर आपत्ति जताई थी. कोर्ट से ये अपील की थी कि वो इस तस्वीर को हटाने के लिए एक विशेष आदेश जारी करे.

  1. पीएम मोदी की फोटो के खिलाफ याचिका
  2. इंदिरा और ममता की फोटो से परेशानी नहीं
  3. चारधाम प्रोजेक्ट पर कोर्ट का अहम फैसला

पीएम मोदी की फोटो से किसे दिक्कत?

अदालत ने इस पर हैरानी जताते हुए याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या उन्हें अपने प्रधानमंत्री पर शर्म आती है? प्रधानमंत्री को इस देश के लोगों ने चुना है, इसलिए वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट पर उनकी तस्वीर लगाने में क्या गलत है. ये बात अदालत ने कही.

अदालत ने ये भी कहा कि जब किसी विश्वविद्यालय का नाम पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के नाम पर हो सकता है तो फिर वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर क्यों नहीं हो सकती?

वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट पर आप देख सकते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर लगी हुई है. भारत सरकार देशभर के सरकारी अस्पतालों में मुफ्त वैक्सीनेशन का अभियान चला रही है और अब तक देश में वैक्सीन की 133 करोड़ डोज लग चुकी हैं. ये पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा हैं. लेकिन कुछ लोग प्रधानमंत्री मोदी के प्रति अपनी ईर्ष्या की वजह से इस उपलब्धि को स्वीकार ही नहीं करना चाहते बल्कि उन्हें उनकी तस्वीर से परेशानी होती है.

इंदिरा और ममता की फोटो पर चुप्पी

आज ऐसे लोगों को हम एक और तस्वीर दिखाना चाहते हैं. राजस्थान में जहां कांग्रेस की सरकार है, वहां पिछले साल ही लोगों को सस्ती दरों पर भोजन उपलब्ध कराने के लिए एक स्कीम शुरू हुई थी, जिसे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर इंदिरा रसोई योजना नाम दिया गया था. इस पर इंदिरा गांधी की तस्वीर लगी थी. लेकिन इसे लेकर कभी कोई अदालत नहीं गया.

इसी तरह पश्चिम बंगाल में जिन लोगों को वैक्सीन राज्य सरकार की तरफ से लगाई जा रही है, उनके वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तस्वीर है. पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सीधे कम्पनियों से कुछ वैक्सीन खरीद कर 18 से 44 साल के लोगों को लगवा रही हैं. लेकिन उनकी तस्वीर हटवाने के लिए कभी कोई अदालत नहीं गया.

दूसरी ओर जिस इंस्टीट्यूट का नाम ही, Jawaharlal Nehru Leadership Institute है, उसके कुछ सदस्य वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर पर आपत्ति जताते हैं और उसे हटाने की मांग करते हैं.

सेना को काटने पड़े कोर्ट के चक्कर

अब आपको आज के दूसरे बड़े फैसले के बारे में बताते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के चारधाम प्रोजेक्ट पर पर्यावरण संबंधी आपत्तियों को दरकिनार करते हुए सड़कों को चौड़ा करने की अनुमति दे दी है. अब इस फैसले के बाद चारधाम हाईवे पर सड़कों की चौड़ाई मौजूदा 5 दशमलव 5 मीटर से बढ़ाकर 10 मीटर की जा सकेगी, जिससे भारत-चीन सीमा तक सेना के वाहनों और साजो-सामान का पहुंचना आसान हो जाएगा.

कोर्ट ने ये फैसला देश की सुरक्षा और सम्प्रभुता को ध्यान में रखते हुए लिया है. सोचिए, भारत एक ऐसा देश है, जहां देश की सुरक्षा के लिए अगर सड़कें चौड़ी करनी हों तो रक्षा मंत्रालय और सेना को भी अदालत के चक्कर काटने पड़ते हैं.

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