निर्भया गैंग रेप : घटना वाली रात से अब तक, जानें कब क्या-क्या हुआ
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निर्भया गैंग रेप : घटना वाली रात से अब तक, जानें कब क्या-क्या हुआ

इस गैंगरेप के बाद उपजे जनाक्रोश ने सरकार को अपने कानून बदलने पर मजबूर कर दिया था. देश की रक्षा करने वाली दिल्ली को लड़कियों के लिए असुरक्षित माना जाने लगा था. 

निर्भया के माता-पिता का कहना है कि उनकी बेटी को आज भी पूरा इंसाफ नहीं मिला है

नई दिल्ली : पांच साल पहले 16 दिसंबर की रात दिल्ली में हुए निर्भया गैंगरेप ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था. इस गैंगरेप के बाद उपजे जनाक्रोश ने सरकार को अपने कानून बदलने पर मजबूर कर दिया था. देश की रक्षा करने वाली दिल्ली को लड़कियों के लिए असुरक्षित माना जाने लगा था. इस नृशंस गैंगरेप के बाद पूरे देश में आंदोलन, धरने-प्रदर्शन किए गए थे. उस दिल दहला देने वाली इस घटना को आज पांच साल पूरे हो रहे हैं. आज निर्भया को याद करते हुए एक बार फिर पांच साल पहले उस घटनाक्रम पर नजर दौड़ाते हैं जिसका सामना आज भी ना जाने कितनी निर्भया कर रही हैं-

  1. 16 दिसंबर, 2012 को दिल्ली में हुआ था निर्भया गैंगरेप
  2. सुप्रीम कोर्ट 4 आरोपियों को सुना चुका है फांसी की सजा
  3. एक आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में लगाई फांसी

16 दिसंबर, 2012 : पैरामेडिकल की एक छात्रा अपने एक दोस्त के साथ रात को लगभग 9 बजे साकेत मॉल में फिल्म देखकर घर वापस आ रही थी. दोनों मुनीरका से एक चार्टर्ड बस में सवार हुए. इस बस में ड्राइवर समेत छह लोग सवार थे. थोड़ा सूनसान रास्ता आने पर इन लोगों ने नृशंस तरीके से छात्रा के साथ रेप किया. रेप के दौरान वे पीड़िता और उसके साथी को बुरी तरह पीटते भी रहे. इसके बाद बलात्कारियों ने दोनों को मरा समझकर निर्वस्त्र कर दिया और चलती हुई बस से फेंक दिया. पुलिस ने दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया. 
17 दिसंबर, 2012 : नृशंस बलात्कार की सनसनी पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए बस ड्राइवर राम सिंह, उसके भाई मुकेश, पवन गुप्ता और विनय शर्मा की पहचान की गई.
18 दिसंबर, 2012 : पुलिस को ड्राइवर समेत तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया था. 
19 दिसंबर, 2012 : एक अन्य नाबालिक आरोपी भी पुलिस की गिरफ्त में आया. इसी ने पीड़िता को लोहे की रॉड से बुरी तरह घायल किया था. 
20 दिसंबर, 2012 : पुलिस ने पीड़िता के साथी का बयान दर्ज किया. लोगों में आक्रोश बढ़ता गया और गुस्साए लोगों ने मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के घर के बाहर प्रदर्शन किया. 
21 दिसंबर, 2012 : पीड़ित छात्रा के साथी ने अभियुक्तों की पहचान की और छठा आरोपी भी पुलिस की गिरफ्त में आया.
22 दिसंबर, 2012 : इस गैंगरेप को लेकर दिल्ली समेत देशभर में धरने-प्रदर्शन होने लगे. जगह-जगह जुलूस निकालकर लोग विरोध दर्ज कराने लगे. उधर, छात्रा की हालत गंभीर बनी रही. 
23 दिसंबर, 2012 : दिल्ली में धरने-प्रदर्शन के दौरान दिल्ली पुलिस का एक सिपाही बेहोश हो गया. सिपाही को अस्पताल में भर्ती कराया गया. 
24 दिसंबर, 2012 : कई दिनों से डटे प्रदर्शनकारियों से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने घर लौटने की अपील की. दो अभियुक्तों को अदालत में पेश किया गया.
25 दिसंबर, 2012 : डॉक्टरों ने छात्रा की हालत को गंभीर बताया. देश से बाहर इलाज कराने की सलाह दी.
26 दिसंबर, 2012 : सरकार ने पीड़िता को इलाज के लिए सिंगापुर भेजने का फैसला किया. इस दौरान विरोध-प्रदर्शन के दौरान बेहोश हुए सिपाही की मौत हो गई. 
29 दिसंबर, 2012 : सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में इलाज के दौरान छात्रा की मौत हो गई. पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ गैंगरेप के साथ हत्या का मामला दर्ज किया. 
2 जनवरी, 2013 : सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अल्तमश कबीर ने महिलाओं से जुड़े यौन शोषण मामलों की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट का उद्घाटन किया. 
3 जनवरी, 2013 : पुलिस ने इस मामले में 5 लोगों के खिलाफ हत्या, गैंगरेप, हत्या की कोशिश, अपहरण और डकैती के मामले दर्ज किए. 
22 जनवरी, 2013 : 16 दिसंबर गैंगरेप कांड से जुड़ा मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट को सौंपा गया.
28 जनवरी, 2013 : जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने बताया कि एक आरोपी नाबालिग है, उसके खिलाफ मुकदमा नाबालिग के रूप में ही चलाया जाएगा.
2 फरवरी, 2013 : फास्ट ट्रैक कोर्ट ने पांच आरोपियों के खिलाफ सुनवाई शुरू की.
11 मार्च, 2013 : मामले का मुख्य आरोपी ड्राइवर राम सिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.
31 अगस्त, 2013 : नाबालिग को गैंगरेप का दोषी करार दिया गया, तीन साल तक बाल सुधार गृह में रखने की सज़ा सुनाई गई.
10 सितंबर, 2013 : फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मुकेश सिंह, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और अक्षय ठाकुर को दोषी करार दिया.
13 सितंबर, 2013 : फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सभी दोषियों को फांसी की सज़ा सुनाई.
23 सितंबर, 2013 : ट्रायल कोर्ट के फैसले पर हाईकोर्ट ने दोषियों को फांसी की सजा पर सुनवाई शुरू की.
31 अक्टूबर, 2013 : जुवेनाइल बोर्ड ने नाबालिग को गैंगरेप और हत्या का दोषी मान उसे सुधार गृह में तीन साल गुजारने का फैसला सुनाया.
13 मार्च, 2014 : हाईकोर्ट ने भी चारों दोषियों की मौत की सजा को बरकरार रखा. 
2014-2017 : दोषियों ने फांसी की सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की. 
5 मई, 2017 : सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को हाईकोर्ट द्वारा दी फांसी की सजा पर सहमति दर्ज करते हुए सजा को बरकार रखा. 
12 दिसंबर, 2017 : दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में सजा के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने दोषी विनय शर्मा, पवन गुप्ता और अक्षय के लिए 10 दिनों के भीतर पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की इजाजत दी है.

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