दिल्‍ली: LG बनाम केजरीवाल सरकार में उस पेंच को जानें, जिसके कारण है अहम टकराव
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दिल्‍ली: LG बनाम केजरीवाल सरकार में उस पेंच को जानें, जिसके कारण है अहम टकराव

संविधान के अनुच्छेद-239 एए और एबी में दिल्ली के उपराज्यपाल को दूसरे राज्यों के राज्यपालों से ज़्यादा संवैधानिक शक्तियां दी गई हैं.

 दिल्‍ली एक आंशिक राज्‍य है, यह पूर्ण राज्य नहीं है. 1991 में संविधान में संशोधन से दिल्ली को विशिष्ट संवैधानिक दर्जा और विधानसभा मिली थी.

नई दिल्‍ली: राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली में अधिकारों को लेकर पिछले कई वर्षों से उपराज्‍यपाल और अरविंद केजरीवाल के नेतृत्‍व वाली आप सरकार के बीच टकराव रहा है. दरअसल दिल्‍ली के मसले में संविधान के अनुच्‍छेद-239 एए की अपने-अपने संदर्भों में व्‍याख्‍या के कारण टकराहट की यह स्थिति बनी हुई है. सुप्रीम कोर्ट 4 जुलाई को इसी संबंध में अपना फैसला देते हुए तस्‍वीर को स्‍पष्‍ट करेगा. इससे पहले दिल्‍ली हाई कोर्ट ने नवंबर, 2016 में फैसला उपराज्‍यपाल के पक्ष में दिया था.

  1. 1991 में संविधान में संशोधन से दिल्ली को विशिष्ट संवैधानिक दर्जा और विधानसभा मिली
  2. 1993 से दिल्ली में जो भी सरकार बनी, उसमें से किसी ने भी एलजी की शक्तियों को चुनौती नहीं दी
  3. दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि राजधानी में लेफ्टिनेंट गवर्नर (LG) ही प्रशासनिक प्रमुख हैं

अनुच्छेद-239 एए
1. संविधान के अनुच्छेद-239 एए और एबी में दिल्ली के उपराज्यपाल को दूसरे राज्यों के राज्यपालों से ज़्यादा संवैधानिक शक्तियां दी गई हैं.

2. इस अनुच्छेद का Clause 4 कहता है कि दिल्ली की मंत्रिपरिषद उपराज्यपाल को aid and advise यानी मदद और सलाह देगी बशर्ते ऐसा कोई मामला सामने आए नहीं तो उपराज्यपाल ख़ुद फैसले लेने के लिए स्वतंत्र हैं.

3. नियम कहते हैं कि अगर उपराज्यपाल और मंत्रिपरिषद में मतभेद हों, तो मामला राष्ट्रपति के पास भेजना चाहिए.

4. जब तक ये मामला राष्ट्रपति के पास लंबित होता है, तब तक उपराज्यपाल के पास अधिकार होता है कि वो अपने विवेक से किसी भी तात्कालिक मामले में तुरंत कार्रवाई कर सकते हैं. 

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्रशासित प्रदेशों में सीएम और एलजी के बीच टकराव की स्थिति कम होने के आसार हैं. (फाइल फोटो)

 

दिल्‍ली हाई कोर्ट का फैसला
1. दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश ही है और संविधान के अनुच्छेद-239 एए के तहत इसके लिए विशेष प्रावधान किया गया है. इसलिए राजधानी में लेफ्टिनेंट गवर्नर (LG) ही प्रशासनिक प्रमुख हैं.

2. हाई कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार की इस दलील में दम नहीं है कि LG दिल्ली सरकार की मंत्री परिषद की सलाह मानने के लिए बाध्य हैं. हाई कोर्ट ने ये भी साफ कर दिया कि अधिकारियों की नियुक्ति और तबादले का अधिकार दिल्ली सरकार के पास नहीं बल्कि केंद्र सरकार के पास है.

1991 का संविधान संशोधन
1. दिल्‍ली एक आंशिक राज्‍य है, यह पूर्ण राज्य नहीं है. 1991 में संविधान में संशोधन से दिल्ली को विशिष्ट संवैधानिक दर्जा और विधानसभा मिली थी.

2. संविधान के हिसाब से दिल्ली के प्रमुख उपराज्यपाल हैं. 1993 से दिल्ली में जो भी सरकार बनी, उसमें से किसी ने भी उपराज्यपाल की शक्तियों को चुनौती नहीं दी. दिल्ली की चुनी हुई सरकार को उपराज्यपाल के साथ अपनी शक्तियों को शेयर करना ही पड़ता है.

3. दिल्ली जैसे आंशिक राज्य के मुकाबले दूसरे पूर्ण राज्यों में राज्यपाल होते हैं जो राज्य की मंत्रिपरिषद और मुख्यमंत्री की सलाह पर काम करते हैं...लेकिन दिल्ली की स्थिति अलग है.

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