दिल्ली: 14 दिनों में डिप्थीरिया से पीड़ित 13 बच्चों की मौत
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दिल्ली: 14 दिनों में डिप्थीरिया से पीड़ित 13 बच्चों की मौत

मरीज के परिजनों का कहना है कि इस बीमारी से जुड़ा इंजेक्शन अस्पताल में अभी तक नहीं है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली: दिल्ली के महर्षि वाल्मीकि संक्रामक रोग अस्पताल में पिछले 14 दिनों में 13 बच्चों की मौत हो गई है. सभी बच्चे डिप्थीरिया (गलाघोटू) बीमारी से पीड़ित थे. इनमें से करीब 10 बच्चे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बिजनौर, बुलंदशहर, ग्रेटर नोएडा आदि जगहों के रहने वाले थे. साथ ही एक बच्चा दिल्ली का रहने वाला था. ज़ी मीडिया की टीम महर्षि वाल्मीकि संक्रामक रोग अस्पताल पहुंची, तो चिकित्सा अधीक्षक डॉ सुशील कुमार गुप्ता ने कैमरे पर आने से साफ इंकार कर दिया. डिप्थीरिया के इंजेक्शन न होने के सवाल पर गुप्ता ने ऑफ रिकॉर्ड कहा कि अस्पताल में सभी जरूरी चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हैं और अस्पताल प्रशासन ऐसे मामलों से निपटने के लिए तैयार है. 

ज़ी मीडिया टीम की डिप्थीरिया वार्ड पहुंची, तो पाया कि वार्ड में जानवरों का अड्डा है. मरीज के परिजनों का कहना है कि इस बीमारी से जुड़ा इंजेक्शन अस्पताल में अभी तक नहीं है और अस्पताल की ओर से हमें बाहर से इंजेक्शन लाने को कहा गया था. परिजनों ने कहा कि अस्पताल के बाहर से 1200 रुपए में एक इंजेक्शन को खरीदा और ऐसे इंजेक्शन करीब 10 हमने खरीदे जो कि 12000 में हमें मिले. एक नर्स ने बताया कि अस्पताल में इंजेक्शन नहीं है. मीडिया में खबरों के आने के बाद अस्पताल प्रशासन हरकत में आया, लेकिन अभी भी इंजेक्शन को अस्पताल प्रशासन उपलब्ध नहीं करा पाया है. उधर, उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारी अस्पताल का दौरा किया और अधीक्षक के साथ बैठक कर हालात का जायजा लिया.

जानकारी के मुताबिक, कसौली से करीब 200 इंजेक्शन का ऑर्डर दिया गया था, लेकिन अस्पताल की ओर से इंजेक्शन को लाया ही नहीं गया. हालत बिगड़ता देख अस्पताल प्रशासन ने दूसरे अस्पतालों के डॉक्टर की सहायता मांगी. आरबीटी अस्पताल से आए डॉक्टर रोहित निराला ने बताया कि अभी भी 40 से 45 मरीजों की हालत गंभीर बनी हुई है. इन बच्चों की मौत के पीछे बड़ा कारण अस्पताल में डिप्थीरिया से निपटने के लिए पर्याप्त दवाई और वैक्सीन उपलब्ध नहीं होना बताया जा रहा है. उत्तरी दिल्ली नगर निगम के इस अस्पताल में इस साल अब तक डिप्थीरिया से पीड़ित 326 बच्चे भर्ती हो चुके हैं, जिनमें से 44 की मौत हो चुकी है. पिछले वर्ष इससे पीड़ित 546 मरीज भर्ती हुए थे, जिनमें से 90 बच्चों की मौत हो गई थी.

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