कर्नाटक में सत्ता संघर्ष: इतिहास में तीसरी बार रात में लगा सुप्रीम कोर्ट
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कर्नाटक में सत्ता संघर्ष: इतिहास में तीसरी बार रात में लगा सुप्रीम कोर्ट

पहले भी कुछ मामलों में सुप्रीम कोर्ट में रात में सुनवाई हुई थी. मामला मुंबई सीरियल बम ब्लास्ट से जुड़ा था. ब्‍लास्‍ट के गुनहगार याकूब मेमन की फांसी टालने के लिए 30 जुलाई 2015 को सुप्रीम कोर्ट की 3 सदस्यीय पीठ बैठी थी.

कर्नाटक में बीजेपी के मुख्‍यमंत्री के तौर पर बीएस येदियुरप्‍पा के शपथग्रहण को रोकने के लिए कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में बुधवार रात ही याचिका दाखिल की थी. (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली: कर्नाटक में बीजेपी के मुख्‍यमंत्री के तौर पर बीएस येदियुरप्‍पा के शपथग्रहण को रोकने के लिए कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में बुधवार रात ही याचिका दाखिल की थी. सुप्रीम कोर्ट ने भी आननफानन में रात में ही मामले की सुनवाई करने का फैसला किया. इसके बाद रात भर चली सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने येदियुरप्‍पा के शपथ ग्रहण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. इससे पहले भी कुछ मामलों में सुप्रीम कोर्ट में रात में सुनवाई हुई थी. मामला मुंबई सीरियल बम ब्लास्ट से जुड़ा था. ब्‍लास्‍ट के गुनहगार याकूब मेमन की अंतिम याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में 30 जुलाई 2015 गुरुवार तड़के 3 बजे 3 सदस्यीय पीठ बैठी थी. इस असाधारण सुनवाई में न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति पीसी पंत और न्यायमूर्ति अमिताभ रॉय की पीठ ने याकूब की फांसी के लिए निर्धारित वक्त को टालने से इनकार कर दिया था.

एक और मामले में हुई थी रात में सुनवाई
1989 में उद्योगपति ललित मोहन थापर के केस में भी रात में सुनवाई करने का फैसला लिया गया था. उस समय भारत के मुख्‍य न्‍यायाधीश रहे ईएस वेंकटरमैया ने अपने आवास पर ही मामले की सुनवाई की थी और थापर को बेल प्रदान की थी. मनीलाइफ में आईएएएनएस के हवाले से छपी खबर के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्‍यक्ष एमएन कृष्‍णमणि और अन्‍य लोगों ने इस कदम का स्‍वागत किया था. 

बाबरी मस्जिद विवाद पर घर में लगी अदालत
अयोध्या में रामजन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद के बाद छह और सात दिसंबर 1992 की दरमियानी रात को एक न्यायाधीश के घर पर मध्यरात्रि के बाद भी सुनवाई जारी रही थी. अयोध्या मामला न्यायमूर्ति एम एन वेंकटचलैया के आवास पर सुना गया था जो बाद में प्रधान न्यायाधीश बने थे. इस मामले में कारसेवकों द्वारा विवादित ढांचा गिराने के बाद अयोध्या विवाद का एक पक्ष तुरंत शीर्ष अदालत पहुंच गया था. अपने घर सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति वेंकटचलैया की अध्यक्षता वाली पीठ ने निर्देश दिया कि विवादित स्थल पर यथास्थिति कायम रखी जाए.

क्‍यों पड़ी रात में सुनवाई की जरूरत
कर्नाटक में विधानसभा चुनाव में किसी दल को स्‍पष्‍ट बहुमत नहीं मिला है. कांग्रेस-जेडीएस ने मिलकर 118 विधायकों का समर्थन हासिल होने का दावा किया है जबकि बीजेपी को 104 विधायकों का समर्थन है. बहुमत के लिए किसी भी दल को सरकार बनाने के लिए 111 विधायकों का समर्थन चाहिए. गर्वनर ने बुधवार (16 मई) रात येदियुरप्‍पा को सरकार बनाने का न्‍योता भेजा था. इसके बाद कांग्रेस ने तत्‍काल सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली और येदियुरप्‍पा के शपथ ग्रहण को रोकने की अपील की. सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि शपथ ग्रहण रोकने से इनकार कर दिया. मामले अभी कोर्ट में लंबित है.

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