डीयू में नहीं हैं होस्टल के लिए पर्याप्त सीट, छात्रों ने किराया कानून की लगाई गुहार
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डीयू में नहीं हैं होस्टल के लिए पर्याप्त सीट, छात्रों ने किराया कानून की लगाई गुहार

दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्ययन के इच्छुक छात्रों के लिए केवल अधिक कटऑफ ही रूकावट नहीं है बल्कि छात्रावास में सीटों की कमी भी उनके लिए समस्या है जिसके कारण उन्हें निजी सुविधाओं की ओर रूख करना पड़ता है।

डीयू में नहीं हैं होस्टल के लिए पर्याप्त सीट, छात्रों ने किराया कानून की लगाई गुहार

नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्ययन के इच्छुक छात्रों के लिए केवल अधिक कटऑफ ही रूकावट नहीं है बल्कि छात्रावास में सीटों की कमी भी उनके लिए समस्या है जिसके कारण उन्हें निजी सुविधाओं की ओर रूख करना पड़ता है।

राष्ट्रीय राजधानी में सीटों की अपर्याप्त उपलब्धता और मानक किराया प्रणाली के अभाव को लेकर नाराज छात्रों, पूर्व छात्रों और शिक्षकों के एक समूह ने आवास का अधिकार आंदोलन की शुरुआत की है और दिल्ली किराया कानून, 1995 को लागू करने की मांग की है।

वर्तमान में विश्वविद्यालय के पास परिसर के बाहर 15 छात्रावास और नौ कॉलेजों के परिसर में बोर्डिंग की सुविधा मौजूद है तथा महज पांच में महिला आवास की सुविधा उपलब्ध है।

डीयू में करीब 1.8 लाख छात्रों ने नामांकन कराया है और स्नातक तथा स्नातकोत्तर छात्रों के लिए इसके छात्रावास में केवल 9,000 सीटें उपलब्ध हैं। डीयू में हर साल औसतन 54,000 छात्रों का दाखिला होता है। छात्रावासों में दाखिला प्रतिभा के आधार पर होता है और डीयू के किसी कॉलेज में सीट सुरक्षित करने से कहीं ज्यादा सीमित सीटों के लिए होड़ मुश्किल हो जाता है।

डीयू के एक पूर्व छात्र और ‘आवास का अधिकार’ के संयोजक प्रवीण कुमार कहते हैं, डीयू में मुट्ठी भर सीटें हैं और जब छात्र बाहर आवास तलाशते हैं तो मकान मालिक उनसे अत्यधिक पैसे वसूलते हैं। सुरक्षा भी अत्यधिक चिंता का विषय है। कभी कभी छात्रों को किसी और कॉलेज में छात्रावास की सीट मिलने के कारण एक अच्छे कॉलेज की उनकी सीट को छोड़ना पड़ता है।

समूह पिछले तीन साल से इस मुद्दे पर आंदोलन कर रहा है लेकिन सीटों में बढ़ोत्तरी और ‘कमरा किराया नियंत्रण कानून’ लागू नहीं हो पाया है। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) ने भी इसका समर्थन किया है और मानव संसाधन विकास मंत्रालय से बुनियादी ढांचा पर खर्च बढ़ाने का अनुरोध किया है। डीयू कानून की धारा 33 के तहत विश्वविद्यालय हर छात्र को आवास की सुविधा मुहैया कराने के लिए बाध्य है लेकिन प्रशासन इस मुद्दे पर हमेशा से उदासीन रहा है।

डूटा की अध्यक्ष नंदिता नरेन ने कहा, विदेशी विश्वविद्यालय जिनके परिसर में आवास की सुविधा उपलब्ध नहीं होती, वे कुछ निश्चित निजी आवास सुविधा केंद्रों से गठजोड़ कर छात्रों को उनकी सूची देते हैं ताकि उनके साथ पंजीकृत आवश्यक मानक और कम कीमत वाले आवास का छात्र लाभ ले सकें। डीयू के अधिकारी इस बात पर कायम रहे कि कमरा किराया नियंत्रण कानून दिल्ली सरकार के अंतर्गत विचाराधीन है और यह ज्यादा से ज्यादा छात्रों को आवास की सुविधा हर संभव मुहैया कराने की भरपूर कोशिश कर रहा है।

विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि छात्रावासों की कमी है, बहरहाल इन चीजों में समय भी लगता है। प्रत्येक छात्र को आवास की सुविधा देना संभव नहीं है लेकिन और अधिक छात्रावासों का प्रस्ताव विचाराधीन है।

जिन कॉलेजों में छात्रावास की सुविधा उपलब्ध है उनमें दौलत राम कॉलेज, हिंदू कॉलेज, कलावती छात्रावास, इंद्रप्रस्थ महिला कॉलेज, किरोड़ीमल कॉलेज, लेडी श्री राम महिला कॉलेज, मिरांडा हाउस, हंसराज कॉलेज, श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स और श्री वेंकटेश्वर कॉलेज शामिल हैं।

 

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