हर्बल प्रोडक्ट के नाम पर नशे का काला कारोबार, यूं विदेश भेजी जा रही थी ड्रग्स
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हर्बल प्रोडक्ट के नाम पर नशे का काला कारोबार, यूं विदेश भेजी जा रही थी ड्रग्स

ड्रग्स को हर्बल और हेल्थ प्रोडक्ट के नाम पर विदेशों में भेजा जा रहा था

दस करोड़ की कीमत के साढ़े 3 लाख टेबलेट को विदेश भेजने की तैयारी थी

प्रमोद शर्मा, दिल्ली: डीआरआई ने फॉरेन पोस्ट ऑफिस से भारी मात्रा में बैन ड्रग्स जब्त की है. इन ड्रग्स को हर्बल और हेल्थ प्रोडक्ट के नाम पर विदेशों में भेजा जा रहा था. ड्रग्स को कैप्सूल और टेबलेट्स की शक्ल में छोटे-छोटे पैकेट में पैक करके फॉरेन पोस्ट ऑफिस के जरिए अमेरिका, यूके, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों में भेजा जा रहा था. जानकारी के मुताबिक दस करोड़ की कीमत के साढ़े 3 लाख टैबलेट को विदेश भेजने की तैयारी थी. जब्त की गई दवाओं में अल्प्राजोलम, एम्फ़ैटेमिन, डायजेपाम, लोराजपम, नितराजपम, ज़ोलपिडेम, ऑक्सिकोडोने, ट्रमदोल नाम की बैन ड्रग्स है.

  1. डीआरआई ने छापा मार कर जब्त की करोड़ों की बैन ड्रग्स
  2. फॉरेन पोस्ट ऑफिस के जरिए चल रहा था पूरा गोरखधंधा
  3. जल्द ही इस मामले में कुछ गिरफ्तारियां भी हो सकती हैं

यूं हुआ मामले का खुलासा
डीआरआई के अधिकारी ने जी मीडिया को मामले की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा, "हमारे डिपार्टमेंट के लोगों के द्वारा 2 मई से 5 मई तक 24 घंटे हर पार्सल पर नजर रखी जा रही थी. ये शिपमेंट अलग-अलग देश के अलग-अलग पते पर भेजी जा रही थी. डीआरआई को जब इनके हर्बल या हेल्थ प्रोडक्ट होने पर शक हुआ तो जांच की गई और ड्रग तस्करी के इस पूरे मामले का खुलासा हुआ.'

डीआरआई के रडार पर अब ये पूरा इंटरनेशनल ड्रग रैकेट
डायरेक्टरेट ऑफ रेवन्यू इंटेलिजेंस को विदेशों से जानकारी मिल रही थी कि उनके देशों में भारत से भारी मात्रा में टैबलेट्स और कैप्सूल की शक्ल में ड्रग्स भेजी जा रही है. डीआरआई ने उन इनपुट पर काम करना शुरू किया. डीआरआई ने सबसे पहले फॉरेन पोस्ट ऑफिस पर 2 मई से 5 मई तक चौबीस घंटे यहां से जाने वाले हर पार्सल पर बारीकी से नजर रखी. डीआरआई को शक उस वक़्त हुआ जब हर्बल और हेल्थ प्रोडक्ट के नाम पर ये टैबलेट्स और कैप्सूल विदेशों में भेजे जा रहे थे. डीआरआई ने जब इन टैबलेट्स और कैप्सूल की जांच की तो पता चला ये सब भारत और विदेशों में बैन कैप्सूल हैं. जिन्हें नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो ने पूरी तरह बैन कर रखा है. जिसके बाद डीआरआई ने 10 करोड़ की कीमत की ये ड्रग्स जब्त कर ली और इनको विदेश भेजने वाला की तलाश में जुट गई. डीआरआई के रडार पर अब ये पूरा इंटरनेशनल ड्रग रैकेट है.

क्या होती हैं कंट्रोल और प्रोहिबिटेड ड्रग्स
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के पूर्व अधिकारी ने जी मीडिया को बताया, "भारत में कंट्रोल और प्रोहिबिटेड ड्रग्स वो होती है जिनका इस्तेमाल नशे के लिए किया जाता है और जिनको बेचने या बनाने पर एक नोटिफिकेशन द्वारा एनसीबी रोक लगा देती है. या कुछ खास ड्रग्स को बिना डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन के नहीं बेच सकते. लेकिन भारत में ड्रग तस्कर तय मात्रा से ज्यादा ऐसी ड्रग्स को बनाते हैं और उसे विदेशों में एक्सपोर्ट करते हैं." 

इसलिए इस्तेमाल किया जाता है फॉरेन पोस्ट ऑफिस
दरअसल, फॉरेन पोस्ट ऑफिस के जरिए लोग स्मगलिंग ज्यादा करते हैं क्योंकि ज्यादा दस्तावेजों की जरूरत नहीं होती, कोई डिक्लेरेशन नहीं देना पड़ता और जल्दी क्लीयरेन्स मिल जाता है. यही वजह है कि ड्रग तस्करों के लिए फॉरेन पोस्ट ऑफिस सबसे आसान रास्ता है. डीआरआई अब दस्तावेजों के आधार पर इन ड्रग्स को भेजने वालों के नाम और पाते जानने की कोशिश कर रही है कि ये ड्रग्स विदेशो में किस जगह और किसको भेजी जा रही थी. डीआरआई की जांच के दायरे में वो दवाई बनाने वाली फैक्टरियां भी है जहां पर इनको बनाया गया है. इससे पहले भी डीआरआई यहां पर छापेमारी कर चुकी है. 2016 में 17 लाख टेबलेट जब्त की थीं और दिल्ली, मुंबई, लुधियाना और चंडीगढ़ से 11 लोग गिरफ्तार किए थे. बताया जा रहा है कि इस मामले में डीआरआई की छापेमारी जारी है और जल्द ही कुछ गिरफ्तारियां भी हो सकती हैं.

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