भीमा-कोरेगांव मामले में मंगलवार को दिल्ली-एनसीआर सहित कई जगहों पर एक साथ छापेमारी कर भारद्वाज समेत पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया.
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फरीदाबाद: भीमा-कोरेगांव मामले में हिरासत में ली गयीं मानवाधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को यहां की एक अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश के अनुरूप 30-31 अगस्त तक पुलिस की देखरेख उनके ही घर में रहने के आदेश दिये. न्यायिक दंडाधिकारी अशोक शर्मा ने भारद्वाज को 30-31 अगस्त तक सूरजकुंड पुलिस की देखरेख में उनके ही घर में रहने के आदेश दे दिये.
भीमा-कोरेगांव मामले में मंगलवार को दिल्ली-एनसीआर सहित कई जगहों पर एक साथ छापेमारी कर भारद्वाज समेत पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया. पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने मंगलवार (28 अगस्त) आदेश दिया था कि महाराष्ट्र पुलिस को ट्रांजिट हिरासत मिलने तक सुधा भारद्वाज को उनके ही घर में रखा जाये.
आपको बता दें, पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हुई हिंसा में कम से कम एक व्यक्ति की मौत हुई है. इस लड़ाई में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने पेशवा की सेना को हराया था. दलित नेता इस ब्रिटिश जीत का जश्न मनाते हैं. ऐसा समझा जाता है कि तब अछूत समझे जाने वाले महार समुदाय के सैनिक ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना की ओर से लड़े थे. हालांकि, पुणे में कुछ दक्षिणपंथी समूहों ने इस ‘ब्रिटिश जीत’ का जश्न मनाए जाने का विरोध किया था.
हिंसा तब शुरू हुई जब एक स्थानीय समूह और भीड़ के कुछ सदस्यों के बीच स्मारक की ओर जाने के दौरान किसी मुद्दे पर बहस हुई. भीमा कोरेगांव की सुरक्षा के लिए तैनात एक पुलिस अधिकारी ने बताया, 'बहस के बाद पथराव शुरू हुआ. हिंसा के दौरान कुछ वाहनों और पास में स्थित एक मकान को क्षति पहुंचाई गई'.