सपा नेता नरेश अग्रवाल ने दिल्ली के एलजी के सीएम केजरीवाल के प्रति व्यवहार को लेकर सवाल उठाए. नरेश अग्रवाल ने कहा कि 'दिल्ली सरकार के पास कोई शक्ति नहीं है. एलजी दिल्ली के मुख्यमंत्री के साथ चपरासी के तरह व्यवहार करते हैं.
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नई दिल्लीः देश की राजधानी में दिल्ली सरकार और एलजी के बीच खींचतान का मुद्दा गुरुवार को राज्यसभा में भी गूंजा. इस मुद्दे पर दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार को विपक्षी पार्टियों का साथ मिला. राज्यसभा में चार पार्टियों ने दिल्ली में इन दोनों के बीच चल रही खींचतान को खत्म करने की मांग की. समाजवादी पार्टी के सासंद नरेश अग्रवाल ने कहा कि इस संबंध में आरोप और प्रत्यारोप से दूर हटकर कार्रवाई किए जाने की जरूरत है. अग्रवाल ने तो एलजी के सीएम केजरीवाल के प्रति व्यवहार को लेकर भी सवाल उठाए.
नरेश अग्रवाल ने कहा कि 'दिल्ली सरकार के पास कोई शक्ति नहीं है. एलजी दिल्ली के मुख्यमंत्री के साथ चपरासी के तरह व्यवहार करते हैं. यह किसी भी मुख्यमंत्री का अपमान है.'
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उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार को पर्याप्त अधिकार दिए जाने की जरूरत है. उन्होंने दिल्ली को माडल सिटी बनाने की मांग की ताकि यहां के लोगों को आधुनिक सुविधाएं मिल सकें.
केजरीवाल को मेट्रो उद्घाटन में नहीं बुलाने का मुद्दा राज्यसभा में उठा
नोएडा से कालिंदी कुंज मार्ग पर दिल्ली मेट्रो रेल सेवा के उद्घाटन समारोह में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आमंत्रित नहीं करने और दिल्ली सरकार को अधिकार देने का मुद्दा राज्यसभा में गुरुवार (28 दिसंबर) को विपक्षी दलों ने उठाया. उच्च सदन में दिल्ली विशेष उपबंध संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान सपा के नेता रामगोपाल यादव ने दिल्ली मेट्रो की एक महत्वपूर्ण सेवा के उद्घाटन में दिल्ली के मुख्यमंत्री को नही बुलाने को गलत परंपरा की शुरुआत बताया. इससे पहले तृणमूल कांग्रेस के नदीमुल हक ने यह मुद्दा उठाते हुये इसे ‘ओछी राजनीति’ का नतीजा बताया.
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विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने स्पष्ट किया कि मजेंटा लाइन पर उत्तर प्रदेश में मेट्रो के रेलखंड के उद्घाटन का कार्यक्रम आयोजित किया गया था. उन्होंने सदस्यों से अनुरोध किया कि वे मेट्रो के चौथे चरण के लंबित पड़े प्रस्ताव को दिल्ली सरकार द्वारा जल्द भेजने को कहें जिससे उस पर काम शुरू हो सकें.
पुरी द्वारा चर्चा का जवाब देते समय उप सभापति पी जे कुरियन ने उनसे कहा कि सरकार को उपराज्यपाल बनाम मुख्यमंत्री के विवाद पर जल्द कानूनी स्थिति स्पष्ट करना चाहिये. पुरी ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह सभी पक्षों की भागीदारी सुनिश्चित कर इस विवाद का स्थायी समाधान निकालेंगे.
(एजेंसी इनपुट के साथ)