20 विधायकों का मामलाः AAP के कारण 2013 के बाद से चौथी बार चुनाव में जाएगी दिल्ली
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20 विधायकों का मामलाः AAP के कारण 2013 के बाद से चौथी बार चुनाव में जाएगी दिल्ली

दिल्ली नगर निगम, गोवा और पंजाब चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद आम आदमी पार्टी किसी भी तरह से चुनाव में जाने को तैयार नहीं है.

साल 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का नारा था पांच साल केजरीवाल (फाइल फोटो)

नई दिल्लीः दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को चुनाव आयोग द्वारा अयोग्य घोषित करने की सिफारिश किए जाने के बाद उपचुनाव की आहट सुनाई देने लगी है. राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग की सिफारिशों को मंजूर कर लिया है. केंद्र के कानून मंत्रालय ने इस संदर्भ में नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है. वैसे इन 20 विधायकों के पास कोर्ट जाने का विकल्प बचा है लेकिन जानकारों की मानें तो कोर्ट से भी इस मामले में कोई लाभ नहीं मिलेगा. यानि दिल्ली में अब आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अपने पद से हटना होगा और इन सभी सीटों पर दोबारा चुनाव होंगे. ऐसे में दिल्ली को अब 2013 के बाद से आम आदमी पार्टी की वजह से चौथी बार चुनावों का सामना करना पड़ेगा. 

  1. आम आदमी पार्टी के 20 विधायक अयोग्य घोषित
  2. चुनाव आयोग की सिफारिश को राष्ट्रपति की मंजूरी
  3. बीजेपी-कांग्रेस ने शुरू की उपचुनाव की तैयारी

बता दें कि दिसंबर 2013 में दिल्ली में विधानसभा चुनाव हुए थे तो किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था. जिसका नतीजा यह निकला कि आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार तो बनाई लेकिन 49 दिनों (फरवरी 2014) बाद सीएम अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था. 

2015 में दिल्ली विधानसभा के फिर से हुए चुनाव
साल 2015 के फरवरी महीने में दिल्ली विधानसभा के फिर से हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी. लेकिन 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद हुए दिल्ली विधानसभा के चुनाव में बीजेपी को 70 में से मात्र 3 सीटों मिली थी जबकि कांग्रेस का तो खाता तक नहीं खुला था. इन चुनावों में AAP को 67 सीटें मिली थी. 

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दिल्ली नगर निगम की 13 सीटों पर उपचुनाव 
साल 2016 के मई महीने में दिल्ली नगर निगम की 13 सीटों पर उपचुनाव हुए. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि निगम के कुछ पार्षद 2013 और 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में विधायक चुन लिए गए थे तो यह सीटें खाली हो गई थीं. इसलिए इन सीटों पर उपचुनाव कराने की आवश्यकता पड़ी, यह चुनाव तीन निगमों- एसडीएमसी (7), एनडीएमसी (4) एवं इडीएमसी (2) के अंतर्गत आने वाले वार्डों में हुए. इन चुनावों निगम चुनाव 2017 का ट्रेलर माना जा रहा था. कुछ जानकर इन उपचुनाव को दिल्ली की केजरीवाल सरकार के कामकाज और एमसीडी में 10 साल से काबिज बीजेपी की परीक्षा के तौर पर भी देख रहे थे. आम आदमी पार्टी को उम्मीद थी इस बार उन्हें 13 में से कम से कम 10 सीटें मिलेंगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. निगम उपचुनाव में आप ने 5 सीटें जीतीं वहीं कांग्रेस ने 4 और बीजेपी के खाते में 3 सीटें आई. एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार ने जीती, बाद में उस निर्दलीय पार्षद ने कांग्रेस को समर्थन कर दिया. 

2017 में दिल्ली की दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव
फरवरी 2015 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस को करारी मात देने वाली आम आदमी पार्टी के दो विधायकों ने अपनी सीट छोड़ दी थी. बवाना से आप विधायक वेद प्रकाश ने पार्टी छोड़ बीजेपी ज्वाइन कर ली थी. इसके बाद उन्होंने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था. अगस्त 2017 में हुए उपचुनाव में बवाना सीट पर आम आदमी पार्टी के राम चंदर ने बीजेपी के वेद प्रकाश को हरा दिया था. वहीं राजौरी गार्डन से विधायक जरनैल सिंह ने पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए अपनी सीट छोड़ दी थी. अगस्त 2017 में ही इस सीट पर हुए उपचुनाव में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई थी. इस सीट पर बीजेपी अकाली नेता मंजिंदर सिंह सिरसा ने जीत दर्ज की. कांग्रेस यहां दूसरे नंबर पर रही. 

AAP क्यों नहीं उपचुनाव में जाना चाहती 
आपको बता दें कि 2017 में दिल्ली नगर निगम, गोवा और पंजाब चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद आम आदमी पार्टी किसी भी तरह से चुनाव में जाने को तैयार नहीं है. अप्रैल 2017 में दिल्ली के तीनों नगर निगमों में हुए चुनाव में आप बुरी तरह हारी. नॉर्थ एमसीडी में AAP को 104 में से मात्र 21 सीटें मिली, वहीं बीजेपी को 64 सीटें मिली थी. साउथ एमसीडी की 104 सीटों में AAP को 16 सीटें ही मिल पाईं वहीं बीजेेपी यहां 70 अपने खाते में लेकर आई. ईस्ट एमसीडी की 64 सीटों में से 12 सीटें ही AAP को मिली यहां बीजेपी ने 47 सीटों पर कब्जा किया. इसलिए वह पूरी तरह से इस कोशिश में है कि उन्हें उपचुनाव में ना जाना पड़े.

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वहीं पंजाब में फरवरी 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी 117 में से मात्र 20 सीटें ही जीत सकी. कांग्रेस ने यहां 77 सीटों पर कब्जा कर 10 साल बाद सत्ता में वापसी की थी. बीजेपी-अकाली गठबंधन को 18 सीटें मिली थी. इसी दौरान गोवा विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी को बुरी तरह हार का मुंह देखना पड़ा था यहां जोर शोर से प्रचार करने वाली पार्टी ने राज्य की 40 की 40 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे लेकिन एक भी सीट नहीं मिली. वोट शेयर के मुताबिक यहां पार्टी चौथे नंबर रही. 

कांग्रेस बीजेपी के लिए मौका
दिल्ली की इन 20 सीटों पर यदि उपचुनाव होते हैं तो कांग्रेस और बीजेपी के लिए यह बड़ा मौका होगा. ऐसे में दिल्ली के तीनों नगर निगमों और केंद्र की सत्ता पर काबिज बीजेपी किसी भी तरह से दिल्ली विधानसभा में अपनी मौजूदगी बढ़ाने का मौका छोड़ना नहीं चाहेगी. वहीं  राजधानी दिल्ली की सत्ता में वापसी का इंतजार कर रही है और कांग्रेस पार्टी भी इस मौके का पूरा फायदा उठाना चाहती है. इसलिए दोनों पार्टियों ने दिल्ली की 20 सीटों पर उपचुनाव के लिए तैयारी भी शुरू कर दी है. 

कांग्रेस ने शुरू की तैयारी
आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने की चुनाव आयोग की सिफारिश को लेकर दिल्ली कांग्रेस उत्साहित है. कांग्रेस ने संबद्ध विधानसभा क्षेत्रों में संभावित उपचुनावों के लिए योजना बनानी भी शुरू कर दी है. दिल्ली कांग्रेस प्रमुख अजय माकन और कांग्रेस की प्रदेश इकाई प्रभारी पीसी चाको शुक्रवार को एक बैठक में शरीक हुए. इसमें 20 विधानसभा क्षेत्रों में संभावित चुनावों के बारे में चर्चा की गई. इन क्षेत्रों में कांग्रेस जल्द ही सम्मेलनों का आयोजन करने की तैयारी करने लगी है.  

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