नोटबंदी पर संसद में गतिरोध जारी, हंगामे के चलते नहीं हो पाई चर्चा, लोकसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष में तनातनी
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नोटबंदी पर संसद में गतिरोध जारी, हंगामे के चलते नहीं हो पाई चर्चा, लोकसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष में तनातनी

नोटबंदी के मुद्दे पर संसद में शुक्रवार को भी गतिरोध कायम है तथा विपक्ष के हंगामे के बीच इस पर चर्चा को आगे नहीं बढ़ाया जा सका है। हालांकि, आज सुबह विपक्ष ने नोटबंदी पर चर्चा शुरू करने के लिए संकेत दिए लेकिन संसद के दोनों सदनों राज्‍यसभा एवं लोकसभा में कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा शुरू हो गया।

नोटबंदी पर संसद में गतिरोध जारी, हंगामे के चलते नहीं हो पाई चर्चा, लोकसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष में तनातनी

नई दिल्‍ली : नोटबंदी के मुद्दे पर संसद में शुक्रवार को भी गतिरोध कायम है तथा विपक्ष के हंगामे के बीच इस पर चर्चा को आगे नहीं बढ़ाया जा सका है। हालांकि, आज सुबह विपक्ष ने नोटबंदी पर चर्चा शुरू करने के लिए संकेत दिए लेकिन संसद के दोनों सदनों राज्‍यसभा एवं लोकसभा में कार्यवाही शुरू होने के बाद भी हंगामा जारी रहा।

लोकसभा में शुक्रवार को सत्तारूढ़ भाजपा ने संसद में कामकाज में व्यवधान पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की तल्ख टिप्पणी का हवाला देते हुए विपक्ष से कार्यवाही में रुकावट डालने के लिए माफी मांगने की मांग की। इस मुद्दे पर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तनातनी के कारण सदन की बैठक दो बार के स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी।

सदन में प्रश्नकाल और शून्यकाल हंगामे की भेंट चढ़ गये। संसद में कामकाज में व्यवधान के मुद्दे पर सत्तापक्ष और विपक्षी के बीच तनातनी के कारण लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सदन की बैठक सुबह शुरू होने के कुछ ही देर बाद आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी थी। साढे ग्यारह बजे संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि हम अभी चर्चा के लिए तैयार हैं। विपक्ष की ओर से पिछले 16 दिनों से व्यवधान डाला जा रहा है, सदन में कामकाज को बाधित किया जा रहा है। राष्ट्रपति जी ने भी कहा है कि यह तरीका ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वामदल सदन के कामकाज में व्यवधान डाल रहे हैं। इस तरह से व्यवधान डालने के लिए विपक्ष देश की जनता से माफी मांगे। कुमार ने कहा कि पहले वे देश की जनता से माफी मांगें। देश की जनता का पैसा बर्बाद क्यों किया, वे (विपक्ष) बतायें। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वामदलों के सदस्य अपने स्थान से कुछ कहना चाह रहे थे लेकिन हंगामे में उनकी बात नहीं सुनी जा सकी।

शोरशराबा थमता नहीं देख अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही 11 बजकर 35 मिनट पर दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। इससे पहले सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने पर कांग्रेस के नेता मल्लिकाजरुन खड़गे कुछ कहना चाह रहे थे लेकिन भाजपा सदस्यों ने कहा कि राष्ट्रपति ने सदन में व्यवधान को लेकर तल्ख टिप्पणी की है। विपक्ष की ओर से व्यवधान डालना ठीक नहीं है। अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि दोनांे ओर से शोर शराबे में वे किसी की बात नहीं सुन पायेंगी। इसलिए शांत रहें। लेकिन सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्य अपनी बात कहते रहे। दोपहर 12 बजे सदन की बैठक शुरू होने पर भी स्थिति जस की तस रही। विपक्षी सदस्य आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे। अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने शोर-शराबे के बीच ही आवश्यक कागज सदन के पटल पर रखवाए। हंगामे के बीच ही मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ‘राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2016 सदन में रखा। इस दौरान जब सत्तापक्ष के सदस्य पहले की तरह उठकर विपक्षी सदस्यों का विरोध कर रहे थे तो भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को नाराजगी दिखाते हुए और सत्तापक्ष के सदस्यों को बैठने का इशारा करते हुए देखा गया। इसके बाद भाजपा के सदस्य अपनी जगहों पर बैठ गये। गौरतलब है कि आडवाणी ने दो दिन पहले भी सदन में कामकाज नहीं होने पर बैठक स्थगित होने के बाद नाराजगी जताई थी और उन्हें यह कहते सुना गया था कि न तो स्पीकर और न ही संसदीय कार्य मंत्री सदन को चला पा रहे हैं। अध्यक्ष ने शून्यकाल शुरू करने का प्रयास किया लेकिन हंगामा नहीं थमा और उन्होंने सदन की बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी। उल्लेखनीय है कि संसद में जारी गतिरोध के मुद्दे पर विपक्ष को आड़े हाथ लेते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कल एक कार्यक्रम में कहा था कि सदन धरना प्रदर्शन और ऐसी बाधा पैदा करने की जगह नहीं है जिसमें अल्पमत द्वारा ‘बहुमत की आवाज दबा दी जाए।’ प्रणब ने कहा था कि विपक्ष का काम सदन को बाधित करना नहीं, बल्कि चर्चा और कामकाज करना है।

उधर, गेहूं पर आयात शुल्क हटाने के सरकार के फैसले के खिलाफ कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों के हंगामे के चलते राज्यसभा की कार्यवाही आज एक बार के स्थगन के बाद अपराहन ढाई बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। माकपा, कांग्रेस, बसपा, सपा, जदयू आदि दलों ने कहा कि जब देश में गेहूं का पर्याप्त भंडार है तो ऐसे समय आयात शुल्क को 10 प्रतिशत से शून्य किए जाने से देश के किसान प्रभावित होंगे। विपक्षी सदस्यों ने कहा कि गेहूं की फसल के सीजन से पहले उठाए गए इस कदम से अमेरिका, फ्रांस, रूस और यूक्रेन जैसे देशों की कंपनियां लाभान्वित होंगी। ,खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि देश में गेहूं की कोई कमी नहीं है और फैसला घरेलू मूल्य को ध्यान में रखकर किया गया जिसमें हालिया हफ्तों से बढ़ोतरी की प्रवृत्ति देखने को मिल रही थी। उन्होंने कहा कि देश में गेहूं की कोई कमी नहीं है और यह कोई स्थाई फैसला नहीं है। कृषि राज्यमंत्री पुरषोत्तम रूपाला ने कहा कि फैसला आवश्यक हो गया था क्योंकि घरेलू मूल्य बढ़ रहे थे। उन्होंने कहा कि मूल्यों पर नियंत्रण रखने के लिए सरकार बाजार में हस्तक्षेप करती है। यदि किसानों को समस्या होती है तो उनके हित में आयात शुल्क के फैसले पर पुनर्विचार किया जाएगा। इससे पूर्व इस मुद्दे को उठाते हुए माकपा के सीताराम येचुरी ने कहा कि उन्होंने फैसले पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत एक नोटिस दिया है। उन्होंने कहा कि इस फैसले से भारत के किसान प्रभावित होंगे और बहुराष्ट्रीय कंपनियां लाभान्वित होंगी। उन्होंने कहा कि खुदरा बाजार में नोटबंदी की वजह से मूल्य बढ़ रहा है। नोटबंदी के चलते किसान पहले से ही बुरी तरह प्रभावित हैं। नकदी नहीं होने की वजह से वे बीज एवं खाद खरीद पाने में असमर्थ हैं। येचुरी ने कहा कि सरकार द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य 1540 रुपये के विपरीत गेहूं 700-800 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बिक रहा है। गेहूं पर आयात शुल्क घटाए जाने के फैसले की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि इससे स्थिति बिगड़ेगी। भाजपा के भूपेंद्र यादव ने कहा कि नोटबंदी के मुद्दे पर नियम 267 के तहत चर्चा शुरू हुई थी और वह पूरी नहीं हुई है तो ऐसे में इसी नियम के तहत चर्चा के लिए दूसरा नोटिस स्वीकार नहीं किया जा सकता। उपसभापति पीजे कुरियन ने उनकी बात से सहमति जताई और कहा कि उन्होंने येचुरी के नोटिस को स्वीकार नहीं किया है।

बसपा की मायावती ने कहा कि फैसले से किसानों को भारी नुकसान होगा और अमीरों को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने सदन में बार-बार व्यवधान को लेकर विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि देश चाहता है कि संसद में काम हो, लेकिन सदन को नहीं चलने दिया जा रहा। उन्होंने कहा कि जो चर्चा शुरू हुई है, उससे क्यों बचा जा रहा है। तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्दु शेखर रॉय ने नोटबंदी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि सदन की भावना को समझा जाना चाहिए और नोटबंदी के चलते जान गंवाने वाले 111 लोगों को श्रद्धांजलि दी जानी चाहिए। बाद में विपक्षी सदस्य आसन के समक्ष आकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। सदन में हंगामे को देखते हुए उपसभापति पी जे कुरियन ने कार्यवाही 11 बजकर करीब 30 मिनट पर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे सदन की बैठक शुरू होने पर भी सदन में हंगामा जारी रहा और विपक्षी सदस्य सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाते हुए नारेबाजी करने लगे। सभापति हामिद अंसारी ने सदस्यों से प्रश्नकाल चलने देने की अपील की। अंसारी ने सदस्यों से सवाल किया कि वे यह चाहते हैं या नहीं कि प्रश्नकाल चले। सत्तापक्ष ने प्रश्नकाल के पक्ष में ‘हां’ कहा। हंगामे के बीच ही संसदीय राज्य कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विपक्षी सदस्य सदन को नहीं चलने दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने भी सदस्यों से संसद चलने देने की अपील की है। उन्होंने कहा कि कई महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जिन पर सदन में चर्चा होनी है। ये मुद्दे गरीबों, समाज के कमजोर तबकों, महिलाओं आदि से संबंधित हैं। नकवी ने आरोप लगाया कि सत्र शुरू होने के बाद से ही विपक्षी सदस्य हंगामा कर रहे हैं और इस वजह से कई घंटे बर्बाद हो गए हैं। उन्होंने कहा कि सदस्यों को सदन में प्रश्नकाल चलने देना चाहिए या नोटबंदी मुद्दे पर अधूरी चर्चा को आगे बढ़ाना चाहिए। माकपा के सीताराम येचुरी ने कहा कि कई सदस्य गेहूं पर आयात शुल्क हटाए जाने के मुद्दे पर बोलना चाहते हैं। अंसारी ने कहा कि हंगामे में कुछ नहीं हो सकता है। सदन में हंगामे को देखते हुए अंसारी ने 12 बजकर करीब पांच मिनट पर बैठक ढाई बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

गौर हो कि नोटबंदी के मुद्दे पर गुरुवार को विपक्ष के हंगामे और नारेबाजी के कारण लोकसभा और राज्यसभा की बैठक दो-दो बार के स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई थी।

 

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