Delhi Riots 2020: 23 फरवरी से 26 फरवरी 2020 के बीच दिल्लीवालों ने वो हिंसा देखी जिसने उन्हें दहशत से भर दिया. ठीक एक साल पहले मिले दंगों के जख्म आज भी दिल्ली वाले नहीं भूल पाए हैं.
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नई दिल्ली: दिल्ली में नागरिक संशोधन कानून के विरोध में हुए दंगों को एक साल हो गए हैं. एक साल पहले जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत दौरे पर आए थे, तो देश की राजधानी हिंसा की आग में जल रही थी. सड़कों पर हत्याएं हो रही थीं. गाड़ियां जलाईं जा रही थीं और दंगे वाले इलाकों में लोग बहुत डरे हुए थे. किसी से कुछ कह नहीं पा रहे थे.
23 फरवरी से 26 फरवरी 2020 के बीच दिल्लीवालों ने वो हिंसा देखी जिसने उन्हें दहशत से भर दिया. ठीक एक साल पहले मिले दंगों के जख्म आज भी दिल्ली वाले नहीं भूल पाए हैं.
शिव विहार के एक स्कूल को तबाह कर दिया गया था. यहां आगज़नी और तोड़फोड़ की गई थी. यहां ईंट, सीमेंट से स्कूल की बिल्डिंग तो बना ली गई है, लेकिन बच्चों के जेहन में दिल्ली दंगों की छाप आज भी है.
यहां के स्टूडेंट्स का कहना है कि पहले जैसा माहौल नहीं है. अब हमेशा यहां फोर्स रहती है.
स्थानीय लोग कहते हैं कि डर लगा रहता है. यहां के रहने वाले रविशंकर ने कहा कि हम मानसिक रूप से परेशान हैं. हमेशा डर के साये में रहते हैं.
ऐसी दुकानें भी हैं, जिन्हें दंगाइयों की भीड़ ने जला दिया था. एक साल पहले जिस दुकान को जला दिया गया था, उसमें कुछ वक्त पहले तक कालिख और तबाही नजर आ रही थी. साल भर बाद दुकान की तस्वीर बदली है. लेकिन लोगों के जेहन की तासीर नहीं.
दुकान मालिक कहते हैं कि जब हिंसा का वो नजारा आंखों के सामने आता है, तो दिल रो जाता है.
कुछ इलाके तो ऐसे हैं जहां से लोग अपने घरों को छोड़कर जा चुके हैं क्योंकि, उनके जेहन से दंगों की डर अभी गया नहीं है. दिल्ली दंगों में सबसे ज्यादा नुकसान छोटे दुकानदारों का हुआ जिनकी दुकानें भी जलाई गईं और वो घर छोड़कर भागने पर मजबूर हो गए. यहां की इमारतों को दंगों के जो निशान मिले थे वो आज भी वैसे ही हैं न इमारतों की हालत बदली न ही लोगों के मन से दंगों का डर दूर हुआ.