मौत भारतीय अलगाववादी की, रो रहे Imran! मिला भारत विरोध का ईनाम
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मौत भारतीय अलगाववादी की, रो रहे Imran! मिला भारत विरोध का ईनाम

Syed Ali Shah Geelani Died: अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी को पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने कश्मीर का स्वतंत्रता सेनानी बताने की कोशिश की.

सैयद अली शाह गिलानी की मौत.

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी (Syed Ali Shah Geelani) की मौत पर पाकिस्तान (Pakistan) ने ये साबित करने की कोशिश की कि वो भारत और कश्मीर (Kashmir) के नेता नहीं बल्कि पाकिस्तान के नेता थे. पाकिस्तान में उनकी मौत पर एक दिन का राष्ट्रीय शोक भी मनाया गया और पाकिस्तान का राष्ट्रीय ध्वज भी उनके सम्मान में आधा झुका दिया गया. यानी पाकिस्तान में उनकी मौत पर उन्हें ऐसा सम्मान दिया गया, जैसा वहां किसी बड़े नेता की मौत पर दिया जाता है.

  1. गिलानी को मिल चुका है निशान ए पाकिस्तान
  2. गिलानी ने भारत के साथ अपना अलगाव नहीं छोड़ा
  3. गिलानी ने 1989 में विधान सभा से दिया इस्तीफा

अचानक नहीं जागा पाकिस्तान का प्रेम

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने तो सैयद अली शाह गिलानी को कश्मीर का स्वतंत्रता सेनानी बताने की कोशिश की और पाकिस्तान के ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने उन्हें पाकिस्तान और कश्मीर का हीरो बताया. हालांकि गिलानी के प्रति पाकिस्तान का ये प्रेम अचानक नहीं जागा है. पिछले साल पाकिस्तान ने उन्हें वहां के सबसे बड़े नागरिक सम्मान निशान ए पाकिस्तान से भी सम्मानित किया था.

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पाकिस्तान के आंसुओं की क्या है वजह?

गिलानी के लिए पाकिस्तान के इन आंसुओं की सबसे बड़ी वजह कश्मीर है. सैयद अली शाह गिलानी कश्मीर के बड़े अलगाववादी नेता थे, जिन्होंने अपने जीवन में कश्मीर को कभी भी भारत का हिस्सा नहीं माना. वो कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाना चाहता था. अब आप समझ गए होंगे कि पाकिस्तान उन्हें हीरो क्यों बता रहा है?

कश्मीर में कश्मीरी पंडितों का पलायन

जब जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी विद्रोह शुरू हुआ था तो उन्होंने अपने चार साथियों के साथ वर्ष 1989 में विधान सभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. ये वही समय है, जब कश्मीर से कश्मीरी पंडितों को पलायन के लिए मजबूर किया गया था. इसके बाद वर्ष 1993 में 20 से अधिक धार्मिक और राजनीतिक दलों ने मिलकर हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की स्थापना की थी, जिसके वे अहम नेता रहे और बाद में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष भी चुने गए.

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गिलानी ने कश्मीर की बात तो की लेकिन भारत के साथ अपना अलगाव भी नहीं छोड़ा और पाकिस्तान के प्रति भी ईमानदार बने रहे. हालांकि पिछले काफी समय से वो अपनी किडनी की बीमारी का इलाज करा रहे थे और आज 92 साल की उम्र में श्रीनगर में उनके घर में उनकी मृत्यु हो गई.

उनका अंतिम संस्कार आज सुबह ही कर दिया गया. हालांकि पाकिस्तान के न्यूज चैनलों ने रिपोर्ट किया कि उन्हें पाकिस्तान के राष्ट्रीय ध्वज में लपेट कर उनका अंतिम संस्कार किया गया है. लेकिन सच ये है कि पाकिस्तान गिलानी की मौत पर भी अपना Propaganda फैला रहा है. और ऐसी तस्वीरें दिखा कर दुनिया में ये संदेश दे रहा है कि कश्मीर पाकिस्तान के साथ है जबकि ये सच नहीं है.

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