Trending Photos
पॉडकास्ट-
नई दिल्ली: डीएनए (DNA) में अब बात महाराष्ट्र (Maharashtra) के गढ़चिरौली में हुए उस एनकाउंटर (Gadchiroli Encounter) की करते हैं, जिसमें अर्बन नक्सलियों (Urban Naxals) के फुटप्रिंट्स मिले हैं. गढ़चिरौली की मुठभेड़ 13 नवम्बर को हुई थी. दरअसल इसी दिन महाराष्ट्र पुलिस (Maharashtra Police) के खास दस्ते C-60 को ये खबर मिली थी कि जंगल में 70 से 100 नक्सलवादियों का दल रुका हुआ है, जिनकी मदद स्थानीय लोग कर रहे हैं.
इसके बाद सुबह चार बजे फोर्स की अलग अलग टुकड़ियां सर्च के लिए निकली गईं और जब वो जंगल में नक्सलवादियों द्वारा लगाए गए कैंप के पास पहुंची तभी अचानक ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू हो गई.
फायरिंग की पहली घटना सुबह 6 बजे हुई थी और नक्सलवादी दिन के तीन बजे तक लगातार गोलियां चलाते रहे. यानी लगभग 9 घंटे तक जंगल में गोलीबारी होती रही. ज्यादातर मुठभेड़ में नक्सलवादी ऐसा नहीं करते. वो जंगल में अपना ठिकाना बदलते रहते हैं इसलिए उनके पास इतना भारी गोला बारूद नहीं होता. दूसरा वो राशन पानी के लिए स्थानीय लोगों की मदद पर ज्यादा निर्भर होते हैं.
लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ. और इससे पुलिस का भी शक बढ़ गया कि नक्सलवादियों के गुट में उनके कुछ बड़े नेता भी हो सकते हैं. इसके बाद C-60 के 300 जवानों ने जंगल में उन्हें चारों तरफ़ से घेरने के लिए ऑपरेशन शुरू किया और एनकाउंटर में 26 नक्सलवादियों को मार गिराया.
इनमें 14 नक्सलवादी ऐसे थे, जिन पर दो लाख या उससे ज्यादा इनाम था. वहीं 7 पर चार चार लाख रुपये का इनाम था. इसी तरह दो पर 8 लाख रुपये का इनाम था. वहीं एक नक्सलवादी पर 6 लाख को एक अन्य पर 20 लाख रुपये का भारी इनाम था. मारे गए नक्सलवादियों में मिलिंद तेलतुंबडे भी था, जिस पर 50 लाख रुपये का इनाम था.
DNA VIDEO
तेलतुंबडे ने मध्य प्रदेश, छत्तसीगढ़ और महाराष्ट्र के नक्सल प्रभावित इलाको को गुरिल्ला जोन ( Guerrilla Zone) के तौर पर स्थापित किया था, जिसका मुखिया भी ये खुद था. इसके अलावा ये Urban Naxal गैंग का भी हेड था. इसने Urban Naxals की एक विंग बनाई थी, जो शहरी इलाक़ों में नक्सलवादी विचारधारा का प्रचार प्रसार करती थी और शहरों में पिछड़े समाज के युवाओं को गुमराह करके नक्सलियों के गुट में भर्ती कराती थी. ये काम मिलिंद तेलतुंबडे पिछले 30 वर्षों से कर रहा था.
इसके अलावा ये खूंखार नक्सलवादी CPI माओवादी की सेंट्रल कमिटी का सदस्य था, जिसे वर्ष 2009 में भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था. 2018 के भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में भी पुलिस ने इसे आरोपी बनाया था. और बाद में इसे भगोड़ा घोषित कर दिया गया था इसी हिंसा में उसके भाई आनंद तेलतुंबडे को भी गिरफ़्तार किया गया है और उसकी पत्नी पर भी धमाकों के गम्भीर मामले कोर्ट में चल रहे हैं.
आपको याद होगा 2018 की भीमा कोरेगांव हिंसा के बाद हमारे ही देश के कुछ पत्रकारों और विपक्षी नेताओं ने इन Urban Naxals का समर्थन किया था. और देश के सुरक्षा बल पर सवाल उठाए थे. तब ये कहा गया था कि Urban Naxals जैसा इस देश में कुछ नहीं है और केन्द्र सरकार इसके नाम पर बेकसूर सामाजिक कार्यकर्ताओं की आवाज़ दबाई जा रही है. लेकिन कड़वी सच्चाई ये है कि ये नक्सलवादी जंगल से अब शहरी इलाक़ों में पहुंच रहे हैं और देश को अस्थिर करना चाहते हैं.
इस खबर से जुड़ा एक लेटेस्ट अपडेट (Latest Update) ये है कि महाराष्ट्र सरकार ने पुलिस के विशेष दल C-60 को 51 लाख रुपये का इनाम देने का ऐलान किया है. आपको बताते चलें कि इस दल के चार जवान एनकाउंटर में घायल हुए थे.