गणेश चतुर्थी 2018: गजानन को प्रसन्न करने के लिए इस मुहूर्त में करें पूजा
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गणेश चतुर्थी 2018: गजानन को प्रसन्न करने के लिए इस मुहूर्त में करें पूजा

विघ्नविनाशक, लम्बोदर, एकदंत, रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गजानन सभी के घरों में पधारने वाले हैं.

देशभर में 13 सितंबर गुरुवार को गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: विघ्नविनाशक, लम्बोदर, एकदंत, रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गजानन सभी के घरों में पधारने वाले हैं. देशभर में 13 सितंबर गुरुवार को गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी. इस दिन गणपति महाराज घर-घर विराजित होंगे. धार्मिक मान्यता के अनुसार भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन को भगवान गजानन के जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं. मान्यता है कि गणेश जी का जन्म मध्यान्ह यानी दोपहर के समय हुआ था, इसलिए यह पूजा मध्यान्ह में ही की जाती है. 

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11 बजे से दोपहर 1.35 बजे तक है उत्तम मुहूर्त
इस बार गणेश पूजन और गणपति को विराजित करने का उत्तम मुहूर्त गुरुवार 11 बजे से दोपहर 1.35 बजे तक है. आचार्य कमल नयन तिवारी ने बताया कि किसी भी देव को प्रसन्न करने, उनकी कृपा पाने के लिए जरूरी होता है उनका सही और विधि विधान श्रद्धा पूर्वक पूजन करना. गणपति को प्रसन्न करने के लिए पूजन विधि क्या है, आइए जानते हैं: 

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ये है पूजन विधि
गुरुवार को गणेश चतुर्थी के दिन शुभ मुहूर्त में गणपति की प्रतिमा को विराजित करें. साथ ही रिद्धि-सिद्धि के रूप में प्रतिमा के दोनों ओर एक एक मंगल कलश या फिर एक-एक सुपारी रख दें. इसके बाद उन्हें फूल का आसन दें और फिर उन्हें पंचामृत और फिर गंगाजल से स्नान कराएं. गणेश जी की प्रतिमा यानी मूर्ति मिट्टी की होने पर उनके विग्रह के रुप में सुपारी रख कर उस पर स्नान कराएं और फिर साफ वस्त्र को गंगाजल से हल्ला भिंगोकर मूर्ति को साफ कर लें. इसके बाद वस्त्र, आभूषण चढ़ाएं. तिलक, सिंदूर चढ़ाएं और फिर यज्ञोपवीत यानी जनेऊ, दूर्वा, इत्र, माला-फूल चढ़ाएं और फिर धूप, दीपक दिखाएं, इसके बाद भोग लगाएं. यही नहीं भोग लगाने के बाद गणेश जी को मीठा पान जरूर चढ़ाएं. साथ इसके बाद दक्षिणा चढ़ाकर इस मंत्र से उनकी स्तुति करें.

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विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय, लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय!
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय, गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते!!

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पूजन सामग्री में क्या है जरूरी
गणेश जी के पूजन में कुछ विशेष सामग्री का होना जरूरी होता है. खासकर दूर्वा यानी दूब घास, जनेऊ, लाल चंदन, लाल सिंदूर, गेंदे का फूल, लाल गुड़हल का फूल, अर्क का फूल, केवड़े का इत्र चढ़ाने से गणपति महाराज जल्द प्रसन्न होते हैं. 

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भोग में क्या चढ़ाएं
भोग की बात करें तो विघ्नहर्ता को केले के फल के साथ साथ अनार का फल जरूर चढ़ाएं. वहीं मीठे में गजानन महाराज को मोदक विशेष प्रिय हैं, इसके साथ ही लड्डू भी उन्हें बहुत भाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक गणेश जी घर में विराजते हैं. इन दिनों में परिवार के सदस्य, विशेष मेहमान के रूप में इनका ध्यान रखा जाता है. हर रोज तीन समय भोग लगाना चाहिेए. साथ ही सभी दिन दूर्वा, इत्र, फूल-फल भोग और आरती करें. आरती के लिए 'व्रकतुंड महाकाय, कोटि सूर्य समप्रभ:, निर्वघ्नं कुरु मे देव, सर्वकार्येरुषु सवर्दा' मंत्र का पाठ करें.

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