इस बारे में कोई सबूत नहीं है कि राजगुरु RSS के स्वयंसेवक थे : परिजन
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इस बारे में कोई सबूत नहीं है कि राजगुरु RSS के स्वयंसेवक थे : परिजन

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व राष्ट्रीय प्रचारक एवं पत्रकार नरेंद्र सहगल द्वारा लिखी गई किताब में दावा किया गया है कि राजगुरु संघ के‘‘ स्वयंसेवक’’ थे. 

राजगुरु को भगत सिंह और सुखदेव के साथ 23 मार्च 1931 को फांसी दे दी गई थी.

मुंबई : हाल में आई एक किताब में स्वतंत्रता सेनानी राजगुरु को आरएसएस स्वयंसेवक के रूप में दिखाए जाने पर रोष प्रकट करते हुए उनके परिजनों ने कहा है कि राजगुरु के संघ से संबद्ध होने का कोई सबूत नहीं है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व राष्ट्रीय प्रचारक एवं पत्रकार नरेंद्र सहगल द्वारा लिखी गई किताब में दावा किया गया है कि राजगुरु संघ के‘‘ स्वयंसेवक’’ थे. राजगुरु को भगत सिंह और सुखदेव के साथ 23 मार्च 1931 को फांसी दे दी गई थी.

  1. राजगुरु का नाम किसी खास संगठन से नहीं जोड़ा जाना चाहिए : परिजन
  2. राजगुरु समस्त देश के क्रांतिकारी थे : परिजन
  3. एक किताब में दावा किया गया था कि राजगुरु RSS के स्वंयसेवक थे

'इस बारे में कोई सबूत नहीं है कि राजगुरु RSS के स्वयंसेवक थे'
क्रांतिकारी राजगुरु के भाई के पौत्रों सत्यशील और हर्षवर्धन राजगुरु ने सोमवार को पुणे में कहा, ‘‘ इस बारे में कोई सबूत नहीं है कि राजगुरु आरएसएस के स्वयंसेवक थे और न ही हमारे दादा ने कभी हमें इस बारे में बताया.’’ उन्होंने एक मराठी समाचार चैनल से कहा, ‘‘ हालांकि यह सही है कि नागपुर में उनके( राजगुरु) संक्षिप्त प्रवास के दौरान संघ के एक स्वयंसेवक ने प्रबंध किए थे.’’ सत्यशील और हर्षवर्धन राजगुरु ने कहा, ‘‘ राजगुरु समस्त देश के क्रांतिकारी थे और उनका नाम किसी खास संगठन से नहीं जोड़ा जाना चाहिए.’’

क्या कहना है संघ का ?
वरिष्ठ आरएसएस नेता एमजी वैद्य ने कहा कि हो सकता है कि संघ संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार ने नागपुर में राजगुरु के प्रवास के लिए‘‘ गोपनीय प्रबंध’’ कराए हों. यह पूछे जाने पर कि क्या राजगुरु ने नागपुर में आरएसएस की शाखा मोहिते बाग का दौरा किया था, वैद्य ने कहा, ‘‘ आप पूछ रहे हैं कि क्या राजगुरु शाखा आए थे. हो सकता है, वह आए हों. क्या डॉ. हेडगेवार ने उनके लिए कुछ इंतजाम किए थे? हो सकता है उन्होंने किया हो.’’ 

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उन्होंने नागपुर में कहा, ‘‘ जब अरुणा आसफ अली( स्वतंत्रता संग्राम के दौरान) भूमिगत थीं तो वह दिल्ली के आरएसएस पदाधिकारी हंसराज गुप्ता के घर ठहरी थीं.’’ वैद्य ने कहा, ‘‘ यदि( राजगुरु) आए होंगे तो संभावना है कि डॉ. हेडगेवार ने उनके प्रवास के लिए गोपनीय प्रबंध किए हों. यह संभव है क्योंकि डॉ. हेडगेवार एक क्रांतिकारी थे और क्रांतिकारियों से उनके संबंध थे.’’ यह पूछे जाने पर कि क्या कभी संघ की बौद्धिक चर्चाओं में राजगुरु के बारे में चर्चा हुई, आरएसएस के पूर्व बौद्धिक प्रमुख वैद्य ने कहा, ‘‘ कम से कम मैंने इस बारे में नहीं सुना है.’’ 

(इनपुट - भाषा)

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