मौसम विज्ञानियों ने उत्तर भारत में फिर तूफान आने की चेतावनी दी, 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती हैं हवाएं
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नई दिल्ली : तेज हवा के तूफान बनने का कारण क्या है? ठंडी हवा कैसे 150 किमी प्रति घंटे की तेज रफ्तार के तूफान में बदल गई और दीवार, घर, होर्डिंग गिराते-उड़ाते हुए 100 से ज्यादा जानें लील गई. इस तूफान ने यूपी और राजस्थान में सबसे ज्यादा तबाही मचाई है. शुक्रवार को मौसम विभाग ने फिर चेतावनी जारी कर लोगों को सतर्क किया है. उसका कहना है कि तूफान जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, पंजाब, चंडीगढ़ और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फिर तबाही मचा सकता है. वहीं हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, नगालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा, ओडीशा और केरल में तेज हवाएं चलने आने की आशंका है. तूफान आने के साथ तेज बारिश भी होगी. कई जगहों पर ओले गिरने की भी आशंका है. मौसम विज्ञानियों ने तेज हवा के तूफान बनने का कारण तलाशने की कोशिश की है. आइए जानते हैं मौसम में इस बदलाव का कारण:
100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है हवा
मौसम विज्ञानियों की मानें तो ठंडी हवाओं का तूफान का रूप लेने के पीछे वजह 'डाउनबर्स्ट' है, यानि हवा चलने के दौरान डाउनवर्ड एयर मूवमेंट उसे तूफान में तब्दील कर देता है. इस दौरान 100 किमी प्रति घंटे या उससे अधिक की रफ्तार से हवा चलती है. जब डाउनवर्ड हवा जमीन से टकराती है तो वह बाहर की तरफ धक्का मारती है. किसानों को अकसर इससे संघर्ष करते देखा गया है. हवा का यह मूवमेंट 200 मील तक रहता है. हालांकि कुछ थोड़ी दूर में ही शांत हो जाती हैं. जो डाउनबर्स्ट ढाई मील से छोटे होते हैं उन्हें 'माइक्रोबर्स्ट' कहते हैं. इसमें हवा में मिट्टी का शामिल होना और बड़ी तबाही का कारण बनता है. ऐसा मंजर गर्म प्रदेशों में ज्यादा देखने को मिलता है, जहां का तापमान 40 डिग्री से ऊपर रहता है. इस दौरान विजिबिलटी शून्य हो जाती है. आंखों से दिखना बंद हो जाता है. जब यह हवा किसी दीवार या इमारत से टकराती है तो उसके गिरने से तबाही का मंजर और भयावह हो जाता है.
#Thunderstorm warning from 5th May 2018 to 7th May 2018 (Source: India Meteorological Department) pic.twitter.com/jYEipdvhSP
— ANI (@ANI) May 4, 2018
क्लाइमेट चेंज वजह तो नहीं?
नेशनल जियोग्राफिक में छपी खबर के मुताबिक विज्ञानी बताते हैं कि मौसम में इस बदलाव का कारण जलवायु परिवर्तन (Climate change) है. ग्लेशियर का पिघलना, तपती धरती, समुद्र का उफनाना, जंगलों का कटना और बादलों का फटना जलवायु परिवर्तन का मूल संकेत हैं यानि वातावरण के साथ खिलवाड़ के कारण ये विपदाएं आ रही हैं. दुनिया में चक्रवात या तूफान की संख्या लगातार बढ़ रही है. अमेरिका और तटवर्ती देश साल में कई बार तूफान का प्रकोप झेलते हैं.
तूफान और बवंडर में फर्क
गर्मी के मौसम में छोटे-छोटे धूल के बवंडर दिखते हैं जो गोलाकार स्तम्भ बनाते हैं. यह कम क्षेत्रफल में तबाही मचाता है जबकि तूफान बड़े क्षेत्रफल में तबाही मचाता है. बवंडर तब बनता है जब हवा गर्म होकर जैसे ही ऊपर उठती है, आसपास की ठंडी हवा खाली जगह भर देती है और यह भी गर्म होकर और बड़ा बवंडर बन जाती है. इस दौरान भी 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलती है.