सबसे पहले मिस्र में हुआ था तीन तलाक बैन, जानिए और किन-किन देशों में बैन है यह प्रथा
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सबसे पहले मिस्र में हुआ था तीन तलाक बैन, जानिए और किन-किन देशों में बैन है यह प्रथा

 मिस्र में 1929 में कानून-25 के जरिए घोषणा की गई कि तलाक को तीन बार कहने पर भी उसे एक ही माना जाएगा और इसे वापस लिया जा सकता है. 

मुस्‍ल‍िम महिला संगठन इस पर रोक के प्रबल हिमायती हैं. (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली: तीन तलाक की प्रथा पर सुप्रीम कोर्ट ने 6 महीने के लिए रोक लगा दी है. इस सब के बीच महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि मिस्र पहला देश था, जिसने तीन तलाक को बैन किया. मिस्र में 1929 में कानून-25 के जरिए घोषणा की गई कि तलाक को तीन बार कहने पर भी उसे एक ही माना जाएगा और इसे वापस लिया जा सकता है. दुनिया के और मुस्‍लिम देश हैं, जहां पर इस प्रथा को पहल ही बैन किया जा चुका है.कुछ सुन्‍नी बहुल आबादी वाले देशों में अभी भी ट्रिपल तलाक पर रोक नहीं है. ऐसेे मेंं आईए जानते हैं कि ऐसे कौन-कौन से मुल्‍क हैं, जहां पर तीन तलाक पर रोक लगी हुई है.

  1. माना जाता है करीब 20 मुल्‍कों में तीन तलाक पर रोक
  2. भारत से अलग हुए पा‍क‍िस्‍तान, बांग्‍लादेश में भी इस  पर रोक
  3. सुन्‍नी आबादी वाले सीरिया में इस प्रथा पर रोक

पाकिस्तान : पाकिस्तान में पति तलाक लेने के लिए सरकारी  संस्‍था चेयरमैन ऑफ यूनियन काउंसिल के पास नोटिस देगा. 30 दिन बाद यह काउंसिल दोनों के बीच सुलह कराने का प्रयास करेगी. कुल 90 दिन के वेटिंग पीरियड के बाद यदि समझौता नहीं हुआ तो तलाक माना जाएगा. पत्नी तलाक के बाद फिर से विवाह कर सकती है.

ट्यूनीशिया : 1956 में बने कानून के मुताबिक वहां अदालत के बाहर तलाक को मान्यता नहीं है. ट्यूनीशिया में बाकायदा पहले तलाक की वजहों की पड़ताल होती है और यदि जोड़े के बीच सुलह की कोई गुंजाइश न दिखे तभी तलाक को मान्यता मिलती है. अल्जीरिया में भी तकरीबन यही कानून है.

तुर्की : मुस्तफा कमाल अतातुर्क के नेतृत्व में 1926 में स्विस सिविल कोड अपना लिया था. यह कानून प्रणाली यूरोप में सबसे प्रगतिशील और सुधारवादी मानी जाती है. इसके लागू होने का मतलब था कि शादी और तलाक से जुड़े इस्लामी कानून अपने आप ही हाशिये पर चले गए. 1990 में इसमें संशोधन हुए लेकिन जबर्दस्ती की धार्मिक छाप से यह तब भी बचे रहे. साइप्रस ने भी तुर्की में लागू कानून प्रणाली अपना ली.

इराक : यहां एक बार में तीन तलाक बोलने पर एक ही तलाक माना जाता है. पति और पत्नी दोनों को ही तलाक लेने का हक है. अदालत पति और पत्नी के बीच झगड़े के वजह की जांच कर सकता है. अदालत दोनों के बीच सुलह के लिए दो लोगों की नियुक्ति कर सकता है. अदालत स्वयं भी मध्यस्‍थता कर सकती है. अदालत इसके बाद फैसला लेगी.

श्रीलंका : ये एक मुस्लिम बहुल देश नहीं है लेकिन मुस्लिम विद्वानों का मानना है कि यहां कानून सबसे अच्छा है. श्रीलंका के नियम के मुताबिक यदि कोई मुसलमान अपनी पत्नी को तलाक देना चाहता है तो वह मुस्लिम जज को नोटिस देगा. फिर जज, दोनों परिवारों के सदस्य, बड़े-बुजुर्ग तथा अन्य प्रभावशाली मुसलमान दोनों को समझाने का प्रयास करेंगे. नोटिस के 30 दिन के बाद पति अपनी पत्नी को तलाक दे सकता है. तलाक मुस्लिम जज और दो गवाहों की उपस्थिति में होगा.

इसके अलावा मलेशिया, ईरान, बांग्‍लादेश, सूडान, सीरिया, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, जॉर्डन, सारावक और इंडोनेशिया जैसे मुस्लिम बहुल आबादी वाले देशों में भी तीन तलाक पर रोक लगी हुई है. 

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