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करनाल: पिछले महीने पुलिस लाठीचार्ज को लेकर हरियाणा सरकार के साथ तनातनी के बीच मंगलवार को बड़ी संख्या में किसानों ने जिला मुख्यालय का घेराव करते हुए इसके गेट पर धरना शुरू किया. यह घेराव शाम को शुरू हुआ. इससे कई घंटे पहले हरियाणा और पड़ोसी राज्यों से किसान ट्रैक्टर और मोटरसाइकिल पर सवार होकर महापंचायत के लिए करनाल की नई अनाज मंडी पहुंचे. महापंचायत स्थल से पांच किलोमीटर दूर मिनी सचिवालय तक पैदल मार्च करते हुए किसानों का सामना पानी की बौछारों से हुआ. किसानों ने कुछ बैरिकेड पार कर लिए लेकिन रास्ते में पुलिस के साथ कोई गंभीर टकराव नहीं हुआ.
किसान पिछले महीने हुए पुलिस लाठीचार्ज को लेकर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. किसान संगठनों ने प्रदर्शनकारियों पर 28 अगस्त को करनाल में हुए पुलिस लाठीचार्ज को लेकर कार्रवाई की मांग की थी और ऐसा नहीं होने पर उन्होंने मिनी सचिवालय का घेराव करने की धमकी दी थी. किसान नेताओं ने आईएएस अधिकारी आयुष सिन्हा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. सिन्हा कथित तौर पर एक वीडियो में पुलिसकर्मियों को प्रदर्शन कर रहे किसानों के ‘सिर फोड़ने’ के लिए कहते सुनाई दे रहे हैं.
दिल्ली में, कांग्रेस ने कहा कि अगर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर प्रदर्शन कर रहे किसानों से बात नहीं कर सकते हैं तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए. पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को अपना 'अहंकार ' छोड़ देना चाहिए और उन तीन 'काले कानूनों' को वापस ले लेना चाहिए, जिनका किसान महीनों से विरोध कर रहे हैं. इस बीच हरियाणा के कृषि मंत्री जे पी दलाल ने किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी पर राजनीतिक महत्वाकांक्षा रखने और कांग्रेस के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि सरकार ने बार-बार स्पष्ट किया है कि वह किसानों के खिलाफ नहीं है और वास्तव में, उनके कल्याण के लिए कई पहल की है जो किसी अन्य सरकार ने नहीं की.
मंगलवार सुबह महापंचायत शुरू होने के बीच स्थानीय प्रशासन ने किसानों की मांगों पर चर्चा करने के लिए उनके 11 नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल को बातचीत के लिए बुलाया था. करीब तीन घंटे बाद किसान नेताओं ने घोषणा की कि प्रशासन के साथ उनकी बातचीत नाकाम हो गई है. इसके बाद हजारों किसानों ने सचिवालय की ओर पैदल मार्च शुरू कर दिया. नेताओं ने किसानों से कहा कि वे पुलिसकर्मियों के साथ किसी भी तरह का टकराव मोल न लें और जहां भी उन्हें रोका जाए, वे विरोध में वहीं बैठ जाएं.
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