मुस्लिम युवक को नौकरी देने से मना करना कंपनी को पड़ा महंगा, मुकदमा
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मुस्लिम युवक को नौकरी देने से मना करना कंपनी को पड़ा महंगा, मुकदमा

धार्मिक भेदभाव के एक मामले में एक युवा एमबीए स्नातक को उसके मुसलमान होने के कारण एक हीरा निर्यात कंपनी द्वारा नौकरी देने से इनकार करने की व्यापक निंदा होने के बाद पुलिस ने इस संबंध में मामला दर्ज कर लिया है। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने भी कंपनी से स्पष्टीकरण मांगा है। मामले पर गंभीर संज्ञान लेते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने जांच का आदेश दिया।

मुस्लिम युवक को नौकरी देने से मना करना कंपनी को पड़ा महंगा, मुकदमा

मुंबई : धार्मिक भेदभाव के एक मामले में एक युवा एमबीए स्नातक को उसके मुसलमान होने के कारण एक हीरा निर्यात कंपनी द्वारा नौकरी देने से इनकार करने की व्यापक निंदा होने के बाद पुलिस ने इस संबंध में मामला दर्ज कर लिया है। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने भी कंपनी से स्पष्टीकरण मांगा है।

मामले पर गंभीर संज्ञान लेते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने जांच का आदेश दिया और मुंबई पुलिस ने निर्यात कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
मुंबई से बिजनेस मैनेजमेंट में स्नातक जीशान अली खान ने 19 मई को नौकरी की के लिए आवेदन किया था। उसके अनुसार कंपनी की तरफ से उसे 15 मिनट में ही जवाब मिल गया जिसमें कहा गया कि वे केवल गैर मुस्लिम उम्मीदवारों को ही नौकरी पर रखते हैं।

कंपनी ने उसके आवेदन के जवाब में कहा, ‘आपके आवेदन के लिए धन्यवाद। हम खेद के साथ आपको सूचित करते हैं कि हम केवल गैर मुस्लिम उम्मीदवारों को ही नौकरी पर रखते हैं।’ खान ने कहा, ‘मैं नौकरी ढूंढ़ रहा था, मुझे देश के अग्रणी निर्यात प्रतिष्ठानों में से एक हरे कृष्णा एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड में भर्ती अभियान के बारे में पता चला। मैंने सोचा कि उनके साथ अपना करियर शुरू करने के लिए यह एक शानदार अवसर होगा।’

इस मामले के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बताया, ‘मैं समझता हूं कि यह पूरी तरह गलत है। कंपनी को कौशल के अभाव में किसी का चयन नहीं करने का अधिकार है लेकिन धर्म के नाम पर नौकरी से इंकार पूरी तरह अस्वीकार्य है। हम इस मामले की जांच करेंगे।’ बाद में वीबी नगर पुलिस ने कंपनी के खिलाफ एक मामला दर्ज किया।

वरिष्ठ पुलिस इंस्पेक्टर सुहास राउत ने बताया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 153 बी (राष्ट्रीय अखंडता के प्रति अभियोग एवं हानिकारक) तथा 153 बी 1 बी (किसी व्यक्ति को इस आधार पर उसके भारत के नागरिक के नाते प्राप्त अधिकारों से वंचित करना कि वह किसी धर्म, नस्ल या भाषा या क्षेत्रीय समूह या जाति या समुदाय का सदस्य है) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

इस बीच हरे कृष्णा एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड ने ई-मेल में कहा, ‘यह एक बड़ी भूल है और गड़बड़ी हमारे एचआर प्रशिक्षु ने की है जिसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जा रही है।’ कंपनी ने मीडिया को भेजे स्पष्टीकरण में कहा है, ‘कंपनी किसी धर्म, नस्ल, जाति या लिंग के प्रति पूर्वाग्रह के बिना काम करती है। वास्तव में, 50 से अधिक कर्मचारी अल्पसंख्यक समुदाय से हैं और हमारे समूह की कंपनियों में 28 राज्यों के लोग काम कर रहे हैं जिनमें से कुछ 12 साल से अधिक समय से हैं।’

अपने कटु अनुभव को साझा करते हुए खान ने बताया, ‘मैंने परसों शाम पांच बजकर 45 मिनट पर नौकरी के लिए आवेदन किया था और 15 मिनट के भीतर ही मुझे उनसे यह जवाब मिल गया कि हम खेद के साथ आपको सूचित करते हैं कि हम मुसलमानों को नौकरी पर नहीं रखते। जब मैंने इस बारे में पढ़ा तो मैं हक्का-बक्का रह गया, मैंने इसे फेसबुक पर डाल दिया।’

खान ने कहा, ‘ऐसे समय में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेशों की यात्रा कर रहे हैं और उन्हें निवेश करने तथा ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को आगे ले जाने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं, तब अग्रणी निर्यात घराने उम्मीदवारों को उनके धर्म के आधार पर खारिज कर रहे हैं।’ उसके सोशल मीडिया पोस्ट्स पर कंपनी के खिलाफ लोगों का रोष भड़कने के बीच हरि कृष्ण एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड ने खेद व्यक्त करते हुए खान को मेल भेजकर ‘बड़ी भूल’ के लिए अपनी एचआर टीम के एक प्रशिक्षु को जिम्मेदार ठहराया, जिसके पास निर्णय करने संबंधी कोई अधिकार नहीं है।

एनसीएम अध्यक्ष नसीम अहमद ने कहा, ‘हमें आज सुबह ही इस संबंध में याचिका मिली है और हमारे तय मानक के अनुरूप हम प्रतिवादी कंपनी की टिप्पणियां मांगेंगे और उनके जवाब के आधार पर हम अपनी कार्रवाई की रूपरेखा तय करेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘यदि इसमें कोई सच है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है। जांच की जानी चाहिए।’

विवाद पर टिप्पणी करते हुए अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि किसी व्यक्ति के साथ जाति, क्षेत्र या धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए। नकवी ने कहा, ‘धर्म के आधार पर भेदभाव की न तो हमारी व्यवस्था में और न ही संविधान में इजाजत दी गई है। यदि कोई मामला हुआ है जिसमें (जीशान को) केवल उसके धर्म के आधार पर नौकरी देने से इनकार कर दिया गया तो मेरा मानना है कि यह सही नहीं है।’

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