भारत की पहली मस्जिद : यहां माइक नहीं, इशारों में पढ़ाई जाएगी जुमे की नमाज
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भारत की पहली मस्जिद : यहां माइक नहीं, इशारों में पढ़ाई जाएगी जुमे की नमाज

पाक रमजान महीना शुरू होने में बस अब कुछ ही दिन बाकी रह गए है. इस पाक महीने को लेकर मुस्लिम समाज में कई तरह की तैयारियां की जाती है. मुसलमानों के लिए महीना बेहद खास और पवित्र होता है. इस महीने में मस्जिदों और बाजारों की एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है. 

ये है देश की पहली मस्जिद, यहां माइक नहीं इशारों से पढ़ाई जाएगी जुमे की नमाज (FILE PHOTO)

नई दिल्ली : पाक रमजान महीना शुरू होने में बस अब कुछ ही दिन बाकी रह गए है. इस पाक महीने को लेकर मुस्लिम समाज में कई तरह की तैयारियां की जाती है. मुसलमानों के लिए महीना बेहद खास और पवित्र होता है. इस महीने में मस्जिदों और बाजारों की एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है. 

रमजान की इन्हीं तैयारियों के बीच केरल की एक मस्जिद इन दिनों सुर्खियों में बनी हुई है. ये मस्जिद केरल के मल्लापुरम इलाके की है और इसे देश ही नहीं, दुनिया की भी सबसे अनोखी मस्जिद माना जा रहा है.

दरअसल, इस मस्जिद में जुमे की नमाज किसी माइक पर नहीं बल्कि इशारों में पढ़ाई जाएगी. इस मस्जिद में इशारों की मदद से नमाज पढ़ाने की पहल मूक-बधिर दिव्यांगों के लिए की जा रही है. 

जिससे कि दिव्यांग लोगों को भी लाभ हो. बता दें जुमे (शुक्रवार) की नमाज पढ़ाए जाने से पहले मस्जिद में उपदेश दिया जाता है. हर शुक्रवार को होने वाली नमाज में मस्जिद के इमाम या मौलवी, नमाज पढ़ने के लिए इकट्ठा हुए लोगों को उपदेश देते हैं. इस मौके पर इमाम कुरान की बातों को ही अपने उपदेश का हिस्सा बनाते हैं या यूं कहें कि कुरान का संदेश लोगों को दिया जाता है.

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक खबर के मुताबिक, मल्लापुरम में मस्जिद अल-रहमा का उद्घाटन बीते सोमवार (22 मई) को हुआ था. यहां पर जुमे की नमाज का उपदेश इशारों की भाषा से दिया जाएगा, जिससे दिव्यांग लोगों को भी लाभ मिलेगा. 

इशारों से उपदेश देने और नमाज पढ़ाने का काम एलसीडी स्क्रीन्स की मदद से किया जाएगा. इस मस्जिद में एक बार में लगभग 500 से ज्यादा लोग नमाज पढ़ सकेंगे. वहीं मस्जिद की टॉइलेट्स में आर्म रेस्ट और रैंप्स बनाए गए हैं जिससे चलने में असमर्थ लोगों को आसानी हो सके. साथ ही व्हीलचेयर की सुविधा भी मस्जिद में मुहैया कराई जाएगी. 

खबर के मुताबिक इस मस्जिद को बनवाने का काम एनजीओ एबिलिटी फाउंडेशन ने किया है. यह एक गैर-सरकारी चैरिटेबल संस्था है जो मुजाहिद ग्रुप का हिस्सा है. फाउंडेशन के चेयरमैन मुस्तफा मदनी का दावा है कि उनके एनजीओ में लगभग 300 दिव्यांग छात्र पढ़ते हैं. इनमें से लगभग 200 छात्र सुनने में असमर्थ हैं. ऐसे में कई बार छात्र नमाज और उपदेश से नदारद रहने को मजबूर होते थे. ऐसे में उन्हें (मदनी) को विचार आया कि क्यों नहीं मस्जिद में इशारों की मदद से नमाज और उपदेश देने का काम किया जाए जिससे सबको लाभ हो.

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