गाजीपुर लैंडफिल: 40 साल, वादे कमाल...फिर आज क्यों हो रहा कूड़े के पहाड़ पर मलाल?
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गाजीपुर लैंडफिल: 40 साल, वादे कमाल...फिर आज क्यों हो रहा कूड़े के पहाड़ पर मलाल?

History of Gazipur Landfill: कूड़े के पहाड़ से सुबह भी भयंकर धुआं निकलता रहा.इस धुएं की वजह से पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर का इलाका ऐसा नजर आया जैसे दिवाली के बाद प्रदूषण की वजह से दिखता है. आसमान में प्रदूषण की मोटी परत छाई रही. वहीं लोगों का सड़क पर से निकलना तक दूभर हो गया. 

गाजीपुर लैंडफिल: 40 साल, वादे कमाल...फिर आज क्यों हो रहा कूड़े के पहाड़ पर मलाल?

How Many Landfills are in Delhi: दिल्ली के गाजीपुर में कूडे के पहाड़ पर लगी आग देर रात विकराल हो गई. तेज हवा के साथ आग इतनी तेजी से फैली कि आसमान में दूर तक आग की लपटें दिखाई देने लगीं. क्योंकि ये आग पहाड़ के ऊपरी हिस्से में लगी जिसकी वजह से फायर ब्रिगेड की गाड़ियां पहाड़ के ऊपर नहीं चढ़ सकीं और आग को तुरंत नहीं बुझाया जा सका. वहीं रात भर सुलगती इस आग ने कूड़े के पहाड़ के पास बनी कॉलोनियों में रहने वाले लोगों की नींद छीन ली. आग से उठने वाले धुएं ने लोगों का सांस लेना तक मुश्किल कर दिया.

क्योंकि आग से उठा धुआं कई किलोमीटर तक फैला. जहां तक नजर जा रही थी सिर्फ और सिर्फ काले धुएं से लदा आसमान ही नजर आया और इस जहरीले धुएं की वजह से लोग रात भर सो नहीं पाए. जो लोग यहां किसी काम से आए थे उनका भी खांस खांसकर बुरा हाल हो गया.

लोगों को आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ

कूड़े के पहाड़ से सुबह भी भयंकर धुआं निकलता रहा.इस धुएं की वजह से पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर का इलाका ऐसा नजर आया जैसे दिवाली के बाद प्रदूषण की वजह से दिखता है. आसमान में प्रदूषण की मोटी परत छाई रही. वहीं लोगों का सड़क पर से निकलना तक दूभर हो गया. स्कूल जाने के लिए बच्चे भी जब वहां से निकले तो उन्होंने आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत की.

दिल्ली में कितनी लैंडफिल साइट

आज से करीब 40 साल पहले यानी 1984 में 70 एकड़ में फैली गाजीपुर लैंडफिल की शुरुआत हुई थी. एक वक्त पर इसकी ऊंचाई कुतुब मीनार के जितनी (65 मीटर) पहुंच गई थी. बाद में इसे घटाकर 50 मीटर किया गया. इस जगह पर 140 लाख टन कचरा जमा है. दिल्ली में सिर्फ गाजीपुर ही नहीं बल्कि भलस्वा लैंडफिल और ओखला लैंडफिल है, जहां कचरा फेंका जाता है. 

भलस्वा में कूड़े का पहाड़ 1994 में बनना शुरू हुआ था. उस वक्त यह दिल्ली के बाहरी इलाकों में आता था. यह साइट भी 70 एकड़ में फैली हुई है और यहां कूड़ा 80 लाख मीट्रिक टन है. ओखला लैंडफिल की शुरुआत 1996 में हुई थी. यह 62 एकड़ में फैली हुई है, जिसमें 6 मिलियन टन का कचरा पड़ा है. 

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नेताओं ने किए वादे लेकिन कुछ हुआ नहीं

चाहे शीला सरकार हो या केजरीवाल सरकार. हर पार्टी ने चुनावों में जनता से कूड़े का पहाड़ हटाने को लेकर वादे किए. लेकिन वो महज वादे ही रहे. जनता को हमेशा निराशा ही हाथ लगी. इस मामले पर सियासत हमेशा सुलगती रही है.  बीजेपी इस गंदगी के लिए अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को आड़े हाथों लिया. दिल्ली बीजेपी के नेताओं ने आज गाजीपुर लैंडफिल साइट पर जाकर मुआयना भी किया. दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी की नियत ही नहीं है कि वो कूड़े के पहाड़ को साफ करें. बीजेपी ने कहा, दिल्ली लंदन तो नहीं बन पाई लेकिन कूड़े के पहाड़ पर बार-बार लग रही आग से ऐसा लगता है कि आम आदमी पार्टी राजधानी को राख बनाकर ही छोड़ेगी.

दिल्ली बीजेपी ने आम आदमी पार्टी पर उंगली उठाई. तो आम आदमी पार्टी के नेता भी चुप नहीं रहे. दिल्ली MCD की मेयर शैली ओबेरॉय ने तो बीजेपी को इस मामले में राजनीति ना करने की चेतावनी दी. साथ ही साथ ये कहते हुए बीजेपी पर निशाना साधा कि जब MCD बीजेपी के हाथ में थी तो उन्होंने स्थिति क्यों नहीं बदली. उन्होंने कहा, कहीं ना कहीं BJP ने जब से नगर निगम में आम आदमी पार्टी की सरकार आई है तब से लेकर अब तक MCD के काम में खलल डाला है. वहीं इस मामले में दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने घटना की जांच कराने की बात कही.

कूड़े के पहाड़ का धुआं बेहद खतरनाक

  • लोगों का आरोप है कि कूड़े के ढेर से आने वाली बदबू से वो पहले से परेशान थे ऐसे में आग लगने से उनकी तकलीफों में और ज्यादा इजाफा हो गया.

  • कूड़े के पहाड़ से निकलने वाला धुआं बहुत खतरनाक होता है और उससे आदमी को  कई दिक्कतें हो सकती हैं. आइए आपको इस बारे में बताते हैं. 

  • कूड़े के पहाड़ में लगी आग से उठ रहे धुएं में कई जहरीली गैसों, प्लास्टिक और  हानिकारक कणों का मिश्रण था.

  • कुछ देर तक धुएं की चपेट में आने से आंखों में जलन और शरीर में खुजली हो सकती है.

  • जबकि ज्यादा देर तक इस खतरनाक धुएं की चपेट में आने से अस्थमा और हृदय रोग का खतरा बढ़ा सकता है.

  • डॉक्टर्स बताते हैं कि कोई इंसान अगर ज्यादा देर तक इस खतरनाक धुएं की चपेट में रहा तो बारीक जहरीले कण उसके फेफड़ों तक पहुंच सकते हैं, जिससे फेफड़ों को नुकसान पहुंच सकता है.

  • इसके अलावा इस जहरीले धुएं की वजह से ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारी हो सकती है, जिससे श्वासनली में सूजन और जलन रहती है 

  • वहीं बलगम और खांसी की समस्या भी बढ़ जाती है. इसके अलावा इस खतरनाक धुएं की वजह से दिल का दौरा, फेफड़ों के कैंसर होने का खतरा भी बढ़ जाता है.

  • वहीं गर्भवती महिला के लिए ये धुआं और भी खतरनाक है और इस जहरीले धुएं की चपेट में आने से महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है.

 करीब 20 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद गाजीपुर लैंडफिल साइट पर लगी आग बुझाई जा सकी... लेकिन आग बुझने के बाद भी आसपास रहने वाले लोगों की परेशानियां कम नहीं हुईं क्योंकि असली समस्या आग नहीं बल्कि कूड़े का पहाड़ है...इसलिए आसपास की कॉलोनियों में रहने वाले लोगों में सरकार और प्रशासन के खिलाफ काफी नाराजगी दिखी. 

स्थानीय लोग कह रहे हैं कि नेता वोट ले लेते हैं फिर कोई झांकने नहीं आता है कि हमने वोट लिया है तो पब्लिक को देखें. आसपास रहने वाली महिलाओं ने बताया कि कूड़े का पहाड़ सिर्फ बीमारियां नहीं बढ़ा रहा बल्कि उनकी जेब पर भी डाका डाल रहा है क्योंकि महिलाओं ने कूड़े से निकलने वाली जहरीली गैसों से इलेक्ट्रिक सामान के खराब होने का दावा किया.  स्थानीय लोगों ने बताया कि कूड़े के पहाड़ की वजह से घर पर कोई ना कोई बीमार बना रहता है जिसकी वजह से उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है. 

2026 तक भी नहीं हट पाएगा पहाड़

गाजीपुर लैंडफिल पर कूड़े का पहाड़ हटाने की डेडलाइन 2026 तक  बढ़ाई जा चुकी है. जबकि भलस्वा लैंडफिल का पहाड़ खत्म करने की डेडलाइन 2025 है. पहले इन दोनों ही जगहों से पहाड़ को खत्म करने की डेडलाइन 2024 थी. वहीं ओखला लैंडफिल से कूड़े को मुमकिन है कि इसी साल खत्म कर दिया जाए. लिहाजा इसकी डेडलाइन में इजाफा नहीं किया गया है. देखना यह होगा कि क्या अगले कुछ वक्त में इन साइट्स से कूड़ा खत्म हो जाएगा या इस बार भी जनता को सिर्फ वादों का धोखा मिलेगा.  

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