तीन तलाक विधेयक पिछले 6 महीने से राज्यसभा में लंबित है और मोदी सरकार राज्यसभा में विपक्ष के आगे कमजोर है.
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नई दिल्ली : अपने विरोधियों पर कटाक्ष करने का कोई भी मौका नहीं गंवाने वाली मोदी सरकार एक मामले पर अपने विरोधियों से पूरी तरह से घिर गई है. तीन तलाक विधेयक पिछले 6 महीने से राज्यसभा में लंबित है और मोदी सरकार राज्यसभा में विपक्ष के आगे कमजोर है. बिना विपक्ष के सहयोग के यह बिल संसद में पारित नहीं हो पा रहा है. अब सरकार इस बिल को पारित कराने के लिए अपने तीनों मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस, बीएसपी और तृणमूल कांग्रेस से समर्थन मांगा है.
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विपक्षी पार्टियों की प्रमुख महिला नेताओं से अपील की कि वे राजनीतिक मतभेद से परे जाकर फौरी तीन तलाक को प्रतिबंधित करने वाले विधेयक, जो राज्यसभा में लंबित है, को पारित कराने में मदद करें. हालांकि, रविशंकर प्रसाद ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि यदि इस मुद्दे पर राजनीतिक आम राय नहीं बन सकी तो क्या सरकार फौरी तीन तलाक को अपराध घोषित करने के लिए अध्यादेश लाएगी.
जनवरी से ही राज्यसभा में लंबित विधेयक के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में प्रसाद ने कहा कि सरकार इस विधेयक को पारित कराने के लिए प्रतिबद्ध है. कानून मंत्री ने कहा, ‘मैं तीन तलाक के मुद्दे पर सोनिया गांधी, ममता बनर्जी और मायावती से अपील करता हूं, वे प्रभावशाली महिला हैं. हमें राजनीतिक मतभेद से परे जाने की जरूरत है.’ उन्होंने कहा कि यह विधेयक सरकार के लिए लैंगिक समानता और लैंगिक न्याय का मुद्दा है.
ट्रिपल तलाक को लेकर बड़ा कदम उठाने जा रही है सरकार
यह पूछे जाने पर कि कुछ महिलाएं इस विधेयक का विरोध क्यों कर रही हैं, इस पर प्रसाद ने सवाल किया कि क्या वे विरोध वाजिब हैं या प्रायोजित हैं. मंत्री ने कहा कि उन्होंने जिन महिलाओं से मुलाकात की है, उन्होंने विधेयक का समर्थन किया है. फौरी तीन तलाक को अवैध घोषित कर इसके दोषी के लिए तीन साल जेल की सजा का प्रावधान करने वाले विधेयक को बीते दिसंबर में लोकसभा में पारित किया गया था.
अध्यादेश ला सकती है सरकार
बीते महीने कैबिनेट की बैठक हुई थी. इस बैठक में तीन तलाक पर अध्यादेश लाने पर चर्चा की गई थी. सूत्रों ने इस तरह के दावे किए हैं. आपको बता दें कि ट्रिपल तलाक बिल राज्यसभा में अटका हुआ है. यह बिल लोकसभा में पारित किया जा चुका है. ट्रिपल तलाक की प्रथा को सुप्रीम कोर्ट संवैधानिक करार दे चुका है.