गुजरात: सरकार ने आवंटित की जमीन, कब्जा न मिलने पर दलित किसान ने खुदकुशी की कोशिश की
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गुजरात: सरकार ने आवंटित की जमीन, कब्जा न मिलने पर दलित किसान ने खुदकुशी की कोशिश की

गुजरात के पाटन जिले के कलक्टर दफ्तर के बाहर एक दलित किसान ने अपने शरीर में आग लगा ली जिससे वह बुरी तरह झुलस गया. 

एक दलित किसान ने अपने शरीर में आग लगा ली जिससे वह बुरी तरह झुलस गया.(फाइल फोटो)

अहमदाबाद: गुजरात के पाटन जिले के कलक्टर दफ्तर के बाहर एक दलित किसान ने अपने शरीर में आग लगा ली जिससे वह बुरी तरह झुलस गया. उसका आरोप है कि एक सरकारी योजना के तहत उसे आवंटित जमीन अब तक नहीं सौंपी गई है. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस किसान की पहचान ऊंझा गांव के रहने वाले बानुभाई वनकर के रूप में हुई है. पाटन-बी डिवीजन पुलिस थाने के एक अधिकारी ने बताया कि खुदकुशी करने की मंशा से कलक्ट्रेट परिसर में घुसने की कोशिश करने वाले नौ अन्य दलित पुरुषों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया और बाद में उन्हें छोड़ दिया गया. अधिकारी ने कहा, ‘‘खुदकुशी करने की मंशा से कलक्टर के दफ्तर में घुसने की कोशिश करने के बाद नौ लोगों को कुछ देर के लिए हिरासत में लिया गया.

 उन्होंने पिछले दिनों कलक्टर से अपनी मंशा जाहिर की थी और ऐसी किसी कोशिश को रोकने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस तैनात की गई थी. ’’ उन्होंने कहा, ‘‘बहरहाल, ऊंझा गांव के रहने वाले बानुभाई वनकर बैरीकेड फांद कर कलक्ट्रेट परिसर में दाखिल होने में कामयाब हो गए और उन्होंने अपने बदन में आग लगा ली.  उन्हें अहमदाबाद के एक अस्पताल में भेजा गया है. ’’ पुलिस ने बताया कि चार गांवों के किसान उन्हें आवंटित हुई सरकारी जमीन पर कब्जा नहीं दिए जाने का विरोध कर रहे हैं. 

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उनका कहना है कि राजस्व विभाग को इसके लिए जरूरी शुल्क अदा करने के बाद भी उन्हें जमीन नहीं सौंपी गई है. जिले के सामी तालुका के डूधा गांव में रहने वाली एक प्रभावित किसान हेमाबेन वनकर ने बताया कि 2015 में उन्होंने राज्य के राजस्व विभाग में एक अर्जी दाखिल कर भूमिहीन दलितों को सरकारी जमीन देने की योजना के तहत एक जमीन मांगी थी.  लेकिन जमीन अंतरित करने के लिए 22,236 रुपए का शुल्क देने के बाद भी उन्हें अब तक जमीन नहीं दी गई है.

दलित अधिकारों के लिए लड़ने वाले एनजीओ राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच ने दलितों को जमीन अंतरित करने में ‘‘प्रशासनिक लापरवाही’’ के खिलाफ पाटन बंद का आह्वान किया है.  निर्दलीय विधायक एवं राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के संयोजक जिग्नेश मेवानी ने एक बयान में कहा कि यह भाजपा सरकार के लिए ‘‘शर्म की बात’’ है कि दलितों को अपने अधिकारों के लिए खुदकुशी जैसा कदम उठाना पड़ रहा है.उन्होंने किसानों की ओर से आत्महत्या के प्रयास के लिए जिला कलक्टर एवं पुलिस अधीक्षक को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके निलंबन की मांग की.  

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