राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की 29वीं हार, जानें गुजरात चुनाव की 10 बड़ी बातें-
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राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की 29वीं हार, जानें गुजरात चुनाव की 10 बड़ी बातें-

गुजरात में जहां बीजेपी फिर से सत्ता पर काबिज होती नजर आ रही है, वहीं हिमाचल प्रदेश में सत्ता को परिवर्तन करके कांग्रेस को पटखनी देकर भाजपा आगे बढ़ रही है.

गुजरात और हिमाचल प्रदेश में बीजेपी ने शानदार जीत हासिल की है

नई दिल्ली : गुजरात और हिमाचल प्रदेश में बीजेपी लगातार जीत की ओर अग्रसर होती जा रही है. गुजरात में जहां बीजेपी फिर से सत्ता पर काबिज होती नजर आ रही है, वहीं हिमाचल प्रदेश में सत्ता को परिवर्तन करके कांग्रेस को पटखनी देकर भाजपा आगे बढ़ रही है. इन चुनावों कांग्रेस और बीजेपी के चुनाव प्रचार की कमान खुद पार्टी के शीर्ष नेताओं ने संभाली थी. बीजेपी का शंखनाद खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फूंका तो कांग्रेस के प्रचार के रथ की लगाम स्वयं राहुल गांधी के हाथों में थी. 

  1. कांग्रेस को गुजरात और हिमाचल में मिली हार
  2. गुजरात में सत्ता की डोर फिर से बीजेपी के हाथ
  3. जातिगत राजनीति का भी कांग्रेस को फायदा नहीं

गुजरात की बात करें तो गुजरात चुनाव के प्रचार के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 40 रैलियां कीं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 32 चुनावी सभाओं को संबोधित किया. इस प्रचार में विकास के मुद्दों को छोड़ दोनों ही दलों ने एक-दूसरे पर जमकर व्यक्तिगत हमले किए. राहुल गांधी ने इन चुनावों में एड़ी चोटी तक के जोर लगा दिए फिर भी दोनों ही राज्यों में पार्टी को सत्ता में तो दूर सम्मानजनक स्थिति में भी लाने में नाकाम रहे. गुजरात चुनाव के 10 वे पहलू जिनके आधार पर हार-जीत का विशलेषण किया जा सकता है-

गुजरात चुनाव में मोदी मैजिक बरकरार : 2014 में केंद्र में काबिज होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अकेले ही पूरी बीजेपी पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं. चुनाव कहीं भी हों, वहां मोदी मैजिक का असर साफ देखने को मिल रहा है. इस साल की शुरूआत में उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा व मणिपुर में चुनाव हुए थे. इनमें पंजाब को छोड़कर बाकि चारों राज्यों में बीजेपी ने सरकार बनाई. इसके बाद कुछ समय पहले यूपी निकाय चुनाव में भी पार्टी ने शानदार जीत हासिल की थी. इन सभी चुनावों में मोदी मैजिक ही लोगों के सिर चढ़कर बोला था.

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22 साल बाद भी सत्‍ता विरोधी लहर नहीं : गुजरात में बीजेपी पिछले दो दशकों से सत्ता में है. चुनावों से पहले चर्चा थी कि बीजेपी को सत्ता विरोधी लहर से नुकसान उठाना पड़ सकता है. लेकिन जैसे-जैसे चुनावी नतीजे आने शुरू हुए, सभी पूर्वानुमान ध्वस्त होते चले गए. 

अध्‍यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी की दो बड़ी हार : चुनाव नतीजों से ठीक दो दिन पहले शनिवार को राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे. अध्यक्ष बनते ही राहुल को दो राज्यो में कांग्रेस की बड़ी हार का सामना करना पड़ा. हालांकि जब राहुल अध्यक्ष पद का ताज पहन रहे थे, कांग्रेस तो खासे उत्साह में थी ही, बीजेपी के कुछ नेताओं ने भी उनकी शान में कसीदे पढ़ते हुए राहुल को देश का प्रधानमंत्री होने तक के दावे कर डाले थे. 

2012 के मुकाबले कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर : वैसे तो गुजरात में बीजेपी पिछले दो दशकों से शासन कर रही है, लेकिन इस बार के नतीजे पहले से और बेहतर हुए हैं. इन चुनावों में जीत के बाद नरेंद्र मोदी ने चौथी बार मुख्यमंत्री बने थे. इन चुनावों में बीजेपी ने 115 तथा कांग्रेस ने 60 सीटों पर जीत हासिल की थी. इस बार बीजेपी उन इलाकों में भी जीत हासिल की जो कांग्रेस का मजबूत गढ़ माने जाते रहे हैं.  

अमित शाह के नेतृत्‍व में बीजेपी 12वें राज्‍य में : अमित शाहन ने जब से बीजेपी की कमान संभाली है, तभी से उनके नेतृत्व में बीजेपी लगातार जीत हासिल करती आ रही है. 09 जुलाई, 2014 वे राजनाथ सिंह के बाद बीजेपी के अध्यक्ष बने थे. उनके नेतृत्व में 12 राज्यों में हुए चुनावों में पार्टी ने जीत हासिल की है. खुद अमित शाह निजी स्तर पर अजेय रहे हैं. 1989 से 2014 के बीच शाह गुजरात राज्य विधानसभा और विभिन्न स्थानीय निकायों के लिए 42 छोटे-बड़े चुनाव लड़े, लेकिन वे एक भी चुनाव में पराजित नहीं हुए.

कांग्रेस के नेतृत्‍व में 29वीं हार : पिछले कई सालों से कांग्रेस लगातार हार का सामना करती आ रही है. पिछले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को सबसे बुरी हार का सामना करना पड़ा था. कांग्रेस सिमट कर 44 सीटों पर आ गई. कांग्रेस को इतनी भी सीट नहीं मिलीं, जिससे वह विपक्ष की भूमिका निभा सके. हिमाचल और गुजरात में मिली हार कांग्रेस की लगातार 29वीं हार है. लगातार हार से कांग्रेस चार राज्यों में सिमट कर रह गई है.

15 साल बाद मोदी CM नहीं, फिर भी जीत : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के चार बार मुख्यमंत्री रहे हैं. 2014 में लोकसभा में आने के बाद गुजरात में दो मुख्यमंत्री रह चुके हैं, फिर भी वहां मोदी का ही जादू चलता है. इस बार की जीत में भी मोदी मैजिक को श्रेय दिया जा रहा है. 

त्रिमूर्ति फैक्‍टर का असर नहीं : कांग्रेस ने इस बार के गुजरात चुनाव में दलित नेता जिग्‍नेश मेवाणी, ओबीसी नेता अल्‍पेश ठाकोर और पाटीदार नेता हार्दिक पटेल पर दांव लगाया था. इन नेताओं ने भी प्रत्‍यक्ष या परोक्ष रूप से कांग्रेस को समर्थन दिया था. कांग्रेस ने इन नेताओं के दम पर 'KHAP' फॉर्मूले को अपनाया था. यानी क्षत्रिय-ओबीसी, दलित, आदिवासी और पाटीदार जातियों के आधार पर कांग्रेस ने समीकरण बनाया था. लेकिन इसका फायदा इतना नहीं हुआ कि कांग्रेस की चुनावी वैतरणी को पार लगा सके. 

GST और नोटबंदी का असर नहीं : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पूरे चुनाव प्रचार में जीएसटी और नोटबंदी का मुद्दा प्रमुखता से उठाया था. उन्होंने अपने सवालों में जीएसटी और नोटबंदी के कारण गुजरात में बेरोजगारी और उद्योग-धंधों के ठप होने के मुद्दा उठाया था.

PM को निशाना बनाना कांग्रेस को पड़ा भारी : विकास के मुद्दे पर शुरू किया चुनाव प्रचार निजी हमलों पर आकर सिमट गया था. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री को नीच आदमी तक कह डाला था. प्रधानमंत्री के प्रति अपशब्दों के इस्तेमाल से कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा. इसके अलावा उनके सहयोगी दलों ने भी पीएम मोदी के खान-पान तथा कपड़ों तक के मुद्दे उठाकर कांग्रेस की जड़ों में मट्ठा डालने की कोशिश की थी.

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