कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की जुबान से निकला शब्द 'धर्म की दलाली' को बीजेपी ने लपक लिया है.
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नई दिल्ली: कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की जुबान से निकला शब्द 'धर्म की दलाली' को बीजेपी ने लपक लिया है. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने शनिवार को कहा कि राहुल गांधी को 'धर्म की दलाली' बोलना बहुत महंगा पड़ेगा. स्मृति ने कहा कि धर्म के साथ दलाली शब्द भावनाओं का आहत पहुंचाने वाले हैं, गुजरात और देश की जनता उन्हें इसके लिए क्षमा नहीं करेगी. बीजेपी नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी ने अपनी मां सोनिया गांधी की 10 साल पुरानी गलती दोहरा दी है. सोनिया गांधी ने साल 2007 में गुजरात की रैली में गोधरा में हुए दंगे का जिक्र करते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए 'मौत का सौदागर' शब्द प्रयोग किया था. इसके बाद से गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी ने पूरे प्रचार अभियान में सोनिया की ओर से कहे गए शब्द को जोर शोर से प्रचारित किया था, जिसका उन्हें फायदा भी मिला था. गुजरात में बीजेपी प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में लौटी थी और नरेंद्र मोदी की अगुवाई में सरकार बनी थी. साल 2014 लोकसभा चुनाव तक में भी पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद के लिए 'मौत का सौदागर' शब्द प्रयोग किए जाने वाली बात को प्रमुखता से उठाया था.
इस बार गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat elections 2017) में खुद राहुल गांधी प्रचार का मोर्चा संभाले हुए हैं. वे पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के गृह राज्य में उनके सामने कड़ी चुनौती पेश करने की पूरी कोशिश में जुटे हैं. इस बार प्रचार में राहुल गांधी पीएम मोदी पर पर्सनल आरोप लगाने से बच रहे हैं, लेकिन मुंह से निकली 'धर्म की राजनीति' शब्द को बीजेपी ने मुद्दा बना दिया है.
इस वजह से राहुल ने धर्म की राजनीति शब्द का प्रयोग किया
पिछले दिनों सोमनाथ मंदिर में राहुल गांधी पहुंचे थे. कथित रूप से यहां उनका नाम गैर हिंदुओं के रजिस्टर में दर्ज था, जिसके बाद बीजेपी ने उनके धर्म पर सवाल खड़ा कर दिया था. इसी की सफाई में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि वह और उनके परिवार के सदस्य ‘शिवभक्त’ हैं, लेकिन राजनैतिक फायदे के लिये वह अपने धर्म का इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं.
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बंद कमरे में व्यापारियों की बैठक को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा कि उन्हें अपने धर्म के बारे में किसी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है और न ही वह धर्म को लेकर ‘दलाली’ करते हैं.
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि भाजपा के कुछ कार्यकर्ताओं ने सोमनाथ मंदिर में गैर हिंदुओं वाले रजिस्टर में उनका नाम दर्ज कर दिया, जिसकी वजह से विवाद हुआ.
उन्होंने कहा, ‘‘मेरी दादी (दिवंगत इंदिरा गांधी) और मेरा परिवार शिवभक्त है. लेकिन हम इन चीजों को निजी रखते हैं. हम आमतौर पर इस बारे में बातचीत नहीं करते हैं, क्योंकि, हमारा मानना है कि यह बेहद व्यक्तिगत मामला है और हमें इस बारे में किसी के सर्टिफिकेट की आवश्यकता नहीं है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम इसका वाणिज्यीकरण नहीं करना चाहते हैं. हम इसको लेकर दलाली नहीं करना चाहते हैं. हम इसका राजनैतिक उद्देश्य के लिये इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं.’’ कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने इस बातचीत का वीडियो मीडिया से साझा किया है.
धर्म विवाद पर राहुल गांधी की सफाई
राहुल गांधी ने कहा, ‘मैं आपको बताऊंगा कि गुरुवार को क्या हुआ. मैं मंदिर के भीतर गया. तब मैंने विजिटर्स बुक पर हस्ताक्षर किए. उसके बाद भाजपा के लोगों ने दूसरी पुस्तिका में मेरा नाम लिख दिया.’ सरदार वल्लभभाई पटेल और जवाहर लाल नेहरू के बीच संबंधों पर राहुल ने कहा कि वे कुछ राजनैतिक और विचारधारात्मक मतभेदों के बावजूद मित्र थे.
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उन्होंने कहा, ‘यद्यपि वे मित्र थे और साथ जेल भी गये, लेकिन कुछ लोग यहां झूठ फैला रहे हैं कि वे दुश्मन थे. साथ ही इस बात के सबूत हैं कि सरदार पटेल आरएसएस के खिलाफ थे. लेकिन कुछ लोग यहां झूठ फैला रहे हैं कि वह आरएसएस से सहानुभूति रखते थे. यह सही नहीं है.’
राहुल के गुरुवार को सोमनाथ मंदिर जाने के बाद विवाद हो गया था जब अहमद पटेल के साथ उनका नाम गैर हिंदुओं वाले रजिस्टर में पाया गया. कांग्रेस ने इसे ‘फर्जी’ करार दिया था जबकि भाजपा इस बात पर जोर दे रही थी कि कांग्रेस उपाध्यक्ष लोगों के सामने अपने धर्म की घोषणा करें.