आर्म्स लाइसेंस घोटाला: एक्शन में CBI, दिल्ली और जम्मू कश्मीर में IAS अधिकारियों के घरों और ऑफिसों पर की छापेमारी
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आर्म्स लाइसेंस घोटाला: एक्शन में CBI, दिल्ली और जम्मू कश्मीर में IAS अधिकारियों के घरों और ऑफिसों पर की छापेमारी

फर्जी तरीके से आर्म्स लाइसेंस जारी करने के मामले में CBI ने दिल्ली और जम्मू-कश्मीर में 40 ठिकानों पर शनिवार को छापेमारी की. इसमें दो IAS अधिकारियों के घरों और ऑफिसों में भी सर्च ऑपरेशन चलाया गया.  

फाइल फोटो.

नई दिल्ली: CBI ने अवैध तरीके से आर्म्स लाइसेंस बनाने ( Illegal Arms Licensing) के मामले में 40 जगहों पर छापेमारी की. ये छापेमारी दो IAS अधिकारियों, शाहिद इकबाल चौधरी (Shahid Iqbal Choudhary) और नीरज कुमार (Neeraj Kumar) के घर और दफ्तरों में की गई. छापेमारी जम्मू, श्रीनगर, उधमपुर, राजौरी, अनंतनाग, बारामुला और दिल्ली में जम्मू-कश्मीर के सरकारी अधिकारियों के घर और दफ्तरों में की गई. इसके अलावा 20 गन हाउस पर भी छापेमारी की गई. आरोप है कि राज्य के जिलों में तैनाती के दौरान इन अधिकारियों ने अवैध तरीके से हथियारों के लाइसेंस जारी किए. 
 
बता दें कि CBI ने दिसंबर 2019 में जम्मू-कश्मीर सरकार के कहने पर अवैध तरीके से जारी किए गए बंदूकों के लाइसेंस मामले में दो केस दर्ज किए थे. इससे पहले इस मामले की जांच जम्मू-कश्मीर पुलिस कर रही थी. आरोप है कि साल 2012 से 2016 के बीच जम्मू-कश्मीर के 22 जिलों में रहे जिलाधिकारी और दूसरे सरकारी अधिकारियों ने अवैध तरीके से 2.78 लाख बंदूकों के लाइसेंस जारी किए. 

  1. दिल्ली और जम्मू-कश्मीर में 40 जगहों पर CBI की छापेमारी
  2. फर्जी आर्म्स लाइसेंस मामले में CBI की कार्रवाई
  3. दो IAS अधिकारियों के घरों और ऑफिसों में छापेमारी 

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अन्य राज्य के लोगों को जारी किए लाइसेंस

हैरान करने वाली बात ये है कि इसमें से ज्यादातर लाइसेंस राज्य के बाहर रहने वाले लोगों के जारी किए गए और सबको ऑल इंडिया का परमिट दिया गया. यानी जम्मू-कश्मीर राज्य से जारी लाइसेंस की वजह से देशभर में हथियार लेकर घुमने की आजादी. इसी के बाद शक पैदा हुआ और राज्य सरकार ने जांच के बाद मामला सीबीआई को सौंप दिया.

जिला और गृह विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत

अब तक हुई जांच में पता चला है कि फर्जी तरीके से हथियारों को लाइसेंस देने का ये रैकेट जिला स्तर पर और गृह विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा था. सेना में भर्ती जवान और IB में तैनात अफसरों को उनके कमांडिग अफसर की सिफारिश पर ही लाइसेंस जारी कर दिया जाता है, और इसमें पुरे भारत में कहीं भी ले जा सकने की मंजूरी भी होती है. लेकिन कुछ लोग इसी बात का फायदा उठाकर जिला स्तर और गृह विभाग के अफसरों से मिलिभगत कर फर्जी कागजातों पर लोगों को लाइसेंस जारी कर रहे थे. ये लाइसेंस 10 से 12 लाख रुपये लेकर जारी किए जा रहे थे. जांच में ये भी पता चला कि ज्यादातर जारी किए गए लाइसेंस मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, दिल्ली के लोगों के हैं और पूरे भारत में कहीं भी ले जा सकने की मजूंरी के साथ जारी किए गए थे. ज्यादातर लाइसेंस जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा, बारामुला और पुलवामा से जारी किए गए थे.

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इससे पहले 13 जगहों पर छापेमारी

इस मामले में CBI ने कार्रवाई करते हुए दिसंबर 2019 में 13 जगहों पर छापेमारी की थी, जिनमें से 11 जगहें जम्मू-कश्मीर में थीं. इसके बाद कार्रवाई करते हुए CBI ने मार्च 2020 में दो IAS अधिकारियों राजीव रंजन और इतरित हुसैन को गिरफ्तार किया था. ये दोनों अधिकारी साल 2012 से 2016 के दौरान कुपवाड़ा जिले में तैनात रहे थे.

IAS अधिकारी ने जारी किया बयान

शनिवार को हुई छापेमारी के बाद शाहिद इकबाल चौधरी, IAS ने बयान जारी कर कहा कि CBI ने इस मामले में उनसे पुछताछ की है, हालांकि अभी तक कुछ भी आपत्तिजनक जानकारी नहीं मिली है. शाहिद चौधरी की राज्य के रियासी, कठुआ और उधमपुर जिलों में तैनाती रही थी और उसी दौरान जारी किए गए हथियारों के लाइसेंस की जानकारी के लिए CBI ने उनसे पुछताछ की है.

आर्म्स लाइसेंस नियमों में बदलाव

देश के गृह मंत्रालय को भी इस बात की जानकारी थी कि जम्मू-कश्मीर में फर्जी तरीके से आर्म्स लाइसेंस जारी करने का खेल चल रहा है इसलिए सरकार ने हर लाइसेंस पर UIN- Unique Identification Number जारी करने का फैसला किया था और इसके लिए आर्म्स लाइसेंस नियमों में बदलाव भी किए थे. इसके जरिए सरकार की कोशिश है कि देश में जारी हुए हथियारों के लाइसेंस पर कहीं से भी नजर रखी जा सके और उसका एक सेंट्रलाइज्ड डेटा हो. साथ ही अब कोई भी एक से ज्यादा लाइसेंस नहीं रख पाएगा और सजा का प्रावधान भी 7 साल से बढ़ा कर उम्रकैद तक कर दिया गया है.

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