संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम से भारत के लिये एक अच्छी खबर आई है। मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) के मामले में निचले पायदान पर होने के बावजूद यूएनडीपी के ताजा आंकड़ों में भारत की रैंकिंग में पांच पायदान का सुधार हुआ है।
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नई दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम से भारत के लिये एक अच्छी खबर आई है। मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) के मामले में निचले पायदान पर होने के बावजूद यूएनडीपी के ताजा आंकड़ों में भारत की रैंकिंग में पांच पायदान का सुधार हुआ है।
जीवन प्रत्याशा में सुधार और प्रति व्यक्ति आय बढ़ने से एचडीआई में भारत की स्थिति सुधरी है। यूएनडीपी के मानव विकास सूचकांक 2015 में 188 देशों की सूची में 2014 में भारत 130वें स्थान पर रहा। वर्ष 2013 में देश 135वें स्थान पर था। रिपोर्ट के साथ जारी एक नोट में कहा गया है, 'भारत का एचडीआई मूल्य 2014 में 0.609 रहा और 188 देशों और क्षेत्रों की सूची में 130वें स्थान रहा। इसके साथ देश मानव विकास पैमाने पर मध्यम श्रेणी में आ गया है।'
इस रिपोर्ट के अनुसार, '1980-2014 के बीच भारत का एचडीआई मूल्य 0.362 से 68.1 फीसदी बढ़कर 0.609 पर पहुंचा है। वहीं औसतन सालाना वृद्धि 1.54 फीसदी रही।' सूची में नार्वे पहले स्थान पर है जबकि ऑस्ट्रेलिया और न्यू जीलैंड क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश और पाकिस्तान सूची में 142वें और 147वें स्थान पर हैं। ब्रिक्स देशों में भारत सबसे नीचे है।
एचडीआई देश में मूल मानव विकास उपलब्धियों का औसत मापक है। यह मानव विकास के तीन मूल आयामों लंबा और स्वस्थ्य जीवन, ज्ञान तक पहुंच और उपयुक्त जीवन स्तर में दीर्घकालीन प्रगति का आकलन करता है। जन्म के समय जीवन प्रत्याशा 2014 में 68 वर्ष रही जो पिछले साल 67.6 वर्ष और 1980 में 53.9 वर्ष थी। प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (जीएनआई) 2014 में 5,497 डॉलर रही जो 2014 में 5,180 डॉलर और 1980 में 1,255 डॉलर थी।