भारत ने आज ज़मीन से ज़मीन पर मार करने वाली.. परमाणु क्षमता से लैस अग्नि-5 मिसाइल का सफल परीक्षण किया है . ये भारत की अग्नि सीरीज़ की सबसे Advanced Missile है . अग्नि-5 की मारक क्षमता 5 हज़ार किलोमीटर से भी ज़्यादा है .
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भारत के पूर्व राष्ट्रपति, महान वैज्ञानिक... और Missile Man डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम ने कहा था कि 'अगर आप सूर्य की तरह चमकना चाहते हैं तो पहले आपको सूर्य की तरह जलना होगा' . सूर्य इसलिए ताकतवर है क्योंकि उसके पास अग्नि है और भारत भी आज इसीलिए ताकतवर है क्योंकि भारत के पास अग्नि मिसाइल है .
भारत ने आज ज़मीन से ज़मीन पर मार करने वाली.. परमाणु क्षमता से लैस अग्नि-5 मिसाइल का सफल परीक्षण किया है . ये भारत की अग्नि सीरीज़ की सबसे Advanced Missile है . अग्नि-5 की मारक क्षमता 5 हज़ार किलोमीटर से भी ज़्यादा है . ये भारत की Inter Continental ballistic missile है इसका मतलब है एक ऐसी मिसाइल जो एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक मार कर सके .
अगर आप दुनिया के नक्शे को देखेंगे तो आपको आसानी से ये समझ में आ जाएगा कि 5000 किलोमीटर से ज़्यादा की मारक क्षमता वाली अग्नि-5 मिसाइल की Range में पूरा चीन है. ये मिसाइल Russia के एक बड़े इलाक़े के अलावा पाकिस्तान... अफगानिस्तान... तजिकिस्तान... उज़्बेकिस्तान.. ईरान.. इराक... और लगभग पूरे पश्चिम एशिया में निशाना लगा सकती है .और यूरोप और अफ्रीका के कुछ हिस्से भी इसकी Range में हैं .
ये Map देखने के बाद आपको समझ में आ गया होगा कि Inter Continental ballistic missile बनाने की दिशा में आज अग्नि-5 का ये सफल परीक्षण कितना महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक है .
इस मिसाइल का परीक्षण ओडिशा के अब्दुल कलाम द्वीप से किया गया जिसका पुराना नाम Wheeler Island था. परीक्षण के दौरान इस मिसाइल ने 19 मिनट में 4 हज़ार 900 किलोमीटर की दूरी तय की है . इसका मतलब ये है कि भारत, चीन के उत्तर पूर्वी बॉर्डर पर मौजूद किसी भी शहर को सिर्फ 19 मिनट के अंदर निशाना बना सकता है . आप समझ सकते हैं कि चीन के लिए आज का दिन कितना दुखद होगा . और उसका दोस्त पाकिस्तान आज कितना डर गया होगा .
इससे पहले अग्नि-5 मिसाइल के चार सफल परीक्षण किए जा चुके हैं .
और भारत अग्नि-1, अग्नि-2, अग्नि-3 और अग्नि-4 का भी सफल परीक्षण कर चुका है .
अग्नि-1 की मारक क्षमता 700 किलोमीटर है
अग्नि-2 की मारक क्षमता 2 हज़ार किलोमीटर
अग्नि-3 की मारक क्षमता 2 हज़ार 500 किलोमीटर
अग्नि-4 की मारक क्षमता 3 हजार 500 किलोमीटर है
और अग्नि-5 की मारक क्षमता 5 हज़ार किलोमीटर है... जिसका आज परीक्षण किया गया है
राजनीति और कूटनीति के विद्वानों ने कहा है कि कोई भी देश अगर शांति से रहना चाहता है तो उसे सबसे पहले शक्तिशाली बनना चाहिए . शांति के लिए शक्ति आवश्यक है और शक्ति के लिए हथियारों का होना ज़रूरी है. इसीलिए आज के दौर में कोई भी देश किसी दूसरे देश को Technology Transfer नहीं करना चाहता.
लेकिन भारत एक बहुत भाग्यशाली देश है. क्योंकि भारत के पास दुनिया के सबसे विद्वान, कर्मठ और देशभक्त वैज्ञानिक हैं जिन्होंने देश को सुरक्षित रखने में कोई कमी नहीं छोड़ी है. अग्नि-5 के सफल परीक्षण के मौके पर आज हम आपको एक घटना की याद दिलाना चाहते हैं . वर्ष 1989 में जब अग्नि मिसाइल को Launch किया जा रहा था.. तब अमेरिका अचानक Active हो गया था . ये वो दौर था जब अमेरिका और पाकिस्तान के बीच.. बड़ा भाईचारा हुआ करता था .
डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम ने अपनी क़िताब...Advantage India: From Challenge to Opportunity में लिखा है कि अग्नि मिसाइल के परीक्षण से पहले...सुबह तीन बजे तत्कालीन कैबिनेट सचिव टी.एन. शेषन का Phone Call आया था...और उस Call से मिलने वाले संकेत अच्छे नहीं थे...शेषन ने डॉ. कलाम से पूछा था...कि अग्नि को लेकर क्या Progress है?
फिर, बिना जवाब का इंतजार किए टी.एन.शेषन ने कहा था...इस परीक्षण को टालने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ता जा रहा है, कई डिप्लोमैटिक चैनल इसमें शामिल हो गये हैं. इसका मतलब ये है कि अमेरिका सहित दुनिया के कई देश ये नहीं चाहते थे.. कि भारत अग्नि मिसाइल का टेस्ट करे. इसलिए इन देशों की तरफ से लगातार जासूसी हो रही थी..और भारत पर बहुत दबाव था
डॉ. कलाम ने आगे लिखा...कि अगले कुछ सेकंड में उनके दिमाग में बहुत सी बातें आ गईं. ऐसी खुफिया सूचना थी कि अमेरिकी सैटेलाइट के ज़रिए हम पर नज़र रखी जा रही है. इससे भी बुरी खबर ये थी कि अगले कुछ दिन तक चांदीपुर में मौसम खराब रहने का पूर्वानुमान था.
फिर डॉ. कलाम ने टी एन शेषन से कहा कि सर, मिसाइल ऐसी स्थिति में है, जहां से लौटा नहीं जा सकता . सुबह के चार बजने वाले थे . उस वक़्त टी एन शेषन ने ‘ठीक है’ कहकर, लंबी सांस ली. और कहा, “आगे बढ़िए... और ठीक तीन घंटे बाद अग्नि मिसाइल का परीक्षण हो गया.”
ये अग्नि मिसाइल की उड़ान से जुड़ी.. एक ऐसी कहानी है.. जिसके बारे में ज़्यादातर लोगों को पता नहीं है.. हमने ये कहानी आपको इसलिए सुनाई ताकि आप ये समझ सकें कि 5000 किलोमीटर की रेंज वाली मिसाइल बनाने की शुरुआत भी एक साहस भरे कदम से हुई थी. कोई भी बड़ा काम करने के लिए बड़ी हिम्मत की ज़रूरत होती है... इसलिए आपको अपने जीवन में कभी भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए.