कानून मंत्री ने कहा कि हर किसी को बोलने की आजादी होनी चाहिए. लेकिन किसी पेलटफॉर्म पर भारत को तोड़ने की बात करने का अधिकार किसी को नहीं है.
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नई दिल्ली: देश को दिशा देने वाले 'इंडिया का DNA E-Conclave' में केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने फेसबुक के हालिया विवाद पर कहा कि एकपक्षीय मानक उचित नहीं होगा. उनका प्लेटफॉर्म हिंसा, अलगाववाद और अराजगता को प्रसारित करने का माध्यम बने ये उनकी नीति नहीं होनी चाहिए. रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'दो साल पहले कैंब्रिज एनालिटिका का एक विषय आया था. मैंने उनकी गड़बड़ी के कारण सीबीआई की इंक्वायरी का ऑर्डर किया और वो कंपनी बंद हो गई. जब मैंने कस कर टिप्पणी की थी, तब मार्क जुकरबर्ग ने सार्वजनिक रूप से माफी भी मांगी थी. मुझे लगात है कि उनके लोग भारत को समझेंगे.'
आपको बता दें कि हालही में फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग ने कर्मचारियों के साथ बैठक में भड़काऊ भाषणों के उदाहरण के तौर पर भाजपा नेता कपिल मिश्रा के भाषण का जिक्र किया था. हालांकि, मार्क ने कपिल का नाम नहीं लिया, लेकिन उन्होंने जिस घटना का उल्लेख किया है उससे यह साफ पता चलता है कि वे भाजपा नेता की ही बात कर रहे थे. दरअसल, मार्क जुकरबर्ग अपने कर्मचारियों को सफाई दे रहे थे कि उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पोस्ट पर कार्रवाई क्यों नहीं की. इस दौरान उन्होंने भारत का जिक्र करते हुए कहा कि ‘भारत में ऐसे मामले सामने आए हैं जहां किसी ने कहा कि यदि पुलिस ने कुछ नहीं किया तो हमारे समर्थक आएंगे और सड़कें खाली करा लेंगे. यह बयान समर्थकों को हिंसा के लिए भड़काने वाला है’.
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द्विटर पर अभिनेत्री स्वरा भास्कर को लेकर सवाल उठने लगे हैं. लोगों का कहना है कि भड़काऊ भाषणों के लिए स्वरा को गिरफ्तार किया जाना चाहिए.
इन सब पर कानून मंत्री ने कहा कि हर किसी को बोलने की आजादी होनी चाहिए. लेकिन किसी पेलटफॉर्म पर भारत को तोड़ने की बात करने का अधिकार किसी को नहीं है. फ्रीडम ऑफ स्पीच 19 (1) की चर्चा होती है लेकिन इसी में 19 (2) भी है. जिसमें कहा गया है कि आप ऐसा भाषण नहीं दे सकते जिसमें भारत की संप्रभुता, अखंडता, सुरक्षा, पब्लिक ऑर्डर, डिफमेशन, कोर्ट का सम्मान और दोस्त देशों के साथ संबंधों में दरार पैदा करना. कुछ लोग इसे याद नहीं रखते सिर्फ 19 (1) को याद रखते हैं.
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उन्होंने कहा कि हर किसी को अपनी बात रखने का अधिकार है. नरेंद्र मोदी की आलोचना करने का अधिकार है. लेकिन भारत विरोधी बातें करने का अधिकार किसी को नहीं है.