अहमदाबाद : अंग्रेजी की तरह ही अब संस्कृत स्पीकिंग कोर्स, गुजरात यूनिवर्सिटी ने की शुरूआत
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अहमदाबाद : अंग्रेजी की तरह ही अब संस्कृत स्पीकिंग कोर्स, गुजरात यूनिवर्सिटी ने की शुरूआत

प्राचीन भाषा संस्कृत को लोकप्रिय बनाने के मकसद से गुजरात विश्वविद्यालय ने बोलचाल की संस्कृत पर एक पाठ्यक्रम की घोषणा की गई है.

गुजरात यूनिवर्सिटी ने संस्कृत स्पीकिंग का कोर्स शुरू किया है

अहमदाबाद : अंग्रेजी स्पीकिंग कोर्स के बारे में हम बचपन से ही सुनते और पढ़ते आए हैं. महानगरों में अंग्रेजी के अलावा अन्य विदेशी भाषाओं के स्पीकिंग कोर्स भी चलाए जाते हैं. लेकिन गुजरात यूनिवर्सिटी अब संस्कृत स्पीकिंग कोर्स शुरू करने जा रही है. प्राचीन भाषा संस्कृत को लोकप्रिय बनाने के मकसद से गुजरात विश्वविद्यालय ने बोलचाल की संस्कृत पर एक पाठ्यक्रम की घोषणा की गई है. संभवत: देश में इस तरह का यह पहला पाठ्यक्रम होगा.

  1. गुजरात यूनिवर्सिटी में संस्कृत स्पीकिंग कोर्स
  2. कोर्स शुरू करने वाली पहली यूनिवर्सिटी
  3. गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने किया उद्घाटन

गृहमंत्री ने की शुरूआत
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने विश्वविद्यालय के ‘‘सेंटर फॉर स्पोकन संस्कृत’’ की शुरुआत की, जिसमें बोलचाल की संस्कृत भाषा सिखाने के लिए छह महीने का पाठ्यक्रम चलाया जाएगा. ‘‘सेंटर फॉर स्पोकन संस्कृत’’ के समन्वयक अतुल उनागर ने कहा कि यह भारत में किसी विश्वविद्यालय की ओर से शुरू किया गया संभवत: ऐसा पहला पाठ्यक्रम है उन्होंने कहा कि शनिवार और रविवार को कक्षाएं होंगी.

उन्होंने कहा कि इस पाठ्यक्रम के लिए पहले से संस्कृत के किसी ज्ञान की जरूरत नहीं होगी. पहला बैच संभवत: 10 दिन में शुरू हो जाएगा और विश्वविद्यालय इस पाठ्यक्रम में अधिकतम 30 छात्रों को प्रवेश देगा. पाठ्यक्रम की फीस 500 रुपए तय की गई है.

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संस्कृत भारती भी चलाती है कोर्स
हालांकि आरएसएस से जुड़ी संस्कृत भारती संस्था भी संस्कृत स्पीकिंग का कोर्स चलाती है. लेकिन यह कोर्स किसी यूनिवर्सिटी या किसी अन्य संस्थान से मान्यता प्राप्त नहीं है. संस्कृत भारती आवासीय शिविर आयोजित करके भी 10 दिवसीय संस्कृत स्पीकिंग कोर्स चलाती है. 

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एक ऐसा गांव जहां बोली जाती है सिर्फ संस्कृत
कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले में एक गांव है मट्टूर. यह गांव संस्कृत गांव के नाम से भी जाना जाता है. ऐसा भी नहीं है कि संस्कृत बोलने के कारण इस गांव में सिर्फ धार्मिक कर्मकांड करने वाले लोग ही रहते होंगे. मट्टूर गांव के हर घर से कम से कम एक सदस्य आईटी इंजीनियर है. कई लोग विदेशों में डॉक्टर भी हैं. यहां 10 साल की उम्र में ही बच्चे वेद की शिक्षा लेनी शुरू कर देते हैं.  

(इनपुट भाषा से भी)

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