भारत की अमेरिका को दो टूक, 'रूस से पुराना नाता, जारी रहेंगे संबंध'
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भारत की अमेरिका को दो टूक, 'रूस से पुराना नाता, जारी रहेंगे संबंध'

अमेरिका ने पिछले साल Countering America's Adversaries Through Sanctions Act यानि CAATSA पारित किया है जिसके तहत रूस, ईरान और उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध लगाए हैं.

भारत की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण शुक्रवार को रूस में वार्षिक मॉस्को कॉन्फ्रेंस ऑन इंटरनेश्नल सिक्योरिटी में बोल रहीं थीं (फोटोः रॉयटर्स)

नई दिल्लीः भारत ने अमेरिका को कड़ा संदेश देते हुए साफ़ कर दिया है कि भारत-रूस के रक्षा संबंध दशकों पुराने हैं और वे यथावत जारी रहेंगे. रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि ये बात हाल में भारत आए अमेरिकी कांग्रेस के प्रतिनिधि मंडल को जता दी गई है. हालांकि उन्होंने ये संकेत भी दिया कि दोनों देशों के विदेश और रक्षामंत्रियों के बीच होने वाली मीटिंग सितंबर में हो सकती है. अमेरिका ने पिछले साल Countering America's Adversaries Through Sanctions Act यानि CAATSA पारित किया है जिसके तहत रूस, ईरान और उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध लगाए हैं.

इसका अर्थ ये है कि जो देश इन देशों के साथ व्यापारिक रिश्ते रखेंगे उन्हें भी अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा. रक्षामंत्री ने कहा कि ये अमेरिका का क़ानून है संयुक्त राष्ट्र का नहीं है. " बात अमेरिका या रूस के बीच चुनाव की नहीं है. रूस से हमारे दशकों पुराने रक्षासंबंध हैं और उन्हें जारी रखा जाएगा." लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि भारत-अमेरिका संबंध पटरी पर हैं.

सितंबर में फिर हो सकती है बातचीत
भारत और अमेरिका के रक्षा और विदेश मंत्रियों के बीच पिछले महीने रद्द हुई बातचीत सितंबर में फिर हो सकती है. पहले ये बातचीत 6 जुलाई को अमेरिका में होनी था कि लेकिन अमेरिका ने अपने रक्षामंत्री के चर्चा में उपलब्ध न होने की बात कह कर इसे रद्द कर दिया था.भारत लंबे अरसे से रक्षा संबंधी ज़रूरतों के लिए रूस पर निर्भर रहा है. 

भारत-रूस डिफेंस डील आखिरी दौर में
फ़िलहाल भारत, रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम का सौदा कर रहा है जिसकी बातचीत आखिरी दौर में हैं. S-400 का सौदा 35 से 40000 हज़ार करोड़ रुपए तक होने की संभावना है. साथ ही ये भारत को किसी भी मिसाइल या एयरक्राफ्ट से होने वाले हमले से पूरी तौर पर सुरक्षा देगा. ये सिस्टम 40 से लेकर 400 किमी तक किसी भी हवाई हमले को रोकने में सक्षम है. ये सौदा भारतीय रक्षा ज़रूरतों के हिसाब से GAME CHANGER माना जा रहा है. इसके अलावा रूस से एक और परमाणु पनडुब्बी लीज़ पर लेने की बातचीत भी चल रही है.

भारत पहले ही रूस से लीज़ पर ली गई परमाणु पनडुब्बी INS CHAKRA को पांच साल से इस्तेमाल कर रहा है. रूस ने ही भारत को अपनी पहली परमाणु पनडुब्बी INS ARIHANT बनाने में मदद दी है. भारतीय वायुसेना रूस से लिए गए SUKHOI-30, MIG-29,27,21 फाइटर एयरक्राफ्ट, कई तरह के हेलीकॉप्टर, ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट,एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रमादित्य, 9 सिंधु क्लास पनडुब्बियां, टी-90 और टी-72 टैंक , armoured combat vehicles जैसे भारी सैनिक साजोसामान इस्तेमाल करता है. इनके हिस्से-पुर्ज़ों के लिए भारत पूरी तौर पर रूस पर निर्भर है. 

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