किसी बड़े राजनेता की मौत के बारे में पहले PMO को क्‍यों बताया जाता है?
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किसी बड़े राजनेता की मौत के बारे में पहले PMO को क्‍यों बताया जाता है?

1986 में जगजीवन राम के निधन की गलत सूचना प्रसारित कर दी गई.

बाबू जगजीवन राम (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली: जून, 1986 में आल इंडिया रेडियो ने सांसद जगजीवन राम के निधन की गलत खबर प्रसारित कर दी. उनका इलाज दिल्‍ली के राम मनोहर लोहिया अस्‍पताल में हो रहा था. उसी वक्‍त तत्‍कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी मॉरीशस दौरे पर जा रहे थे. इस लिहाज से जैसे ही वह एयरपोर्ट पर पहुंचे तो उनको जगजीवन राम के निधन की सूचना दी गई. वह तत्‍काल एयरपोर्ट से अस्‍पताल पहुंचे.

एयरपोर्ट के लाउंज में  मीडियाकर्मी भी मौजूद थे. उनको भी आल इंडिया रेडियो की सूचना के आधार पर पता चला कि जगजीवन राम नहीं रहे. उसके बाद अस्‍पताल से जब वापस राजीव गांधी पालम एयरपोर्ट पर पहुंचे तो सबको पता चला कि वह गंभीर रूप से बीमार हैं और अभी उनका निधन नहीं हुआ है. इस बीच आल इंडिया रेडियो और अन्‍य न्‍यूज एजेंसियों ने अपनी गलती को सुधारा और गलत सूचना देने के लिए माफी मांगी. हालांकि इस बात पर भी विवाद उत्‍पन्‍न हो गया कि बाबू जगजीवन राम जिंदा थे या उनको जीवन रक्षक प्रणाली पर जीवित रखा गया?

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बहरहाल इस मसले की सरकार ने जांच कराई और किसी वीआईपी के निधन की सूचना देने के संबंध में आल इंडिया रेडियो के लिए नियम बनाए गए. इसलिए उसके बाद से किसी बड़े राजनेता के निधन की सूचना के संबंध में सबसे पहले सरकार के शीर्ष स्‍तर पर सूचित किया जाता है.

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