जम्मू-कश्मीर सरकार गठन: भाजपा-पीडीपी समान आधार खोजने में प्रयासरत
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जम्मू-कश्मीर सरकार गठन: भाजपा-पीडीपी समान आधार खोजने में प्रयासरत

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने आज कहा कि उनकी पार्टी और पीडीपी संविधान के अनुच्छेद 370 और सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम जैसे उन मुद्दों के बारे में समान आधार ढूंढने के भरसक प्रयास कर रही है, जिन्हें लेकर दोनों दलों के पारंपरिक रूप से अलग अलग विचार रहे हैं। भाजपा महासचिव राम माधव ने कहा कि अगर किसी पक्ष द्वारा अपने मत से समझौता करना होता तो मतभेदों का समाधान बहुत पहले हो चुका होता।

नई दिल्ली : भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने आज कहा कि उनकी पार्टी और पीडीपी संविधान के अनुच्छेद 370 और सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम जैसे उन मुद्दों के बारे में समान आधार ढूंढने के भरसक प्रयास कर रही है, जिन्हें लेकर दोनों दलों के पारंपरिक रूप से अलग अलग विचार रहे हैं। भाजपा महासचिव राम माधव ने कहा कि अगर किसी पक्ष द्वारा अपने मत से समझौता करना होता तो मतभेदों का समाधान बहुत पहले हो चुका होता।

उन्होंने कहा, दोनों दल शासन के साझा न्यूनतम कार्यक्रम पर आपसी समझ पर पंहुचने के गंभीर प्रयास कर रहे हैं। ऐसे कुछ राजनीतिक मुद्दे हैं जिन पर हमारे पारंपरिक रूप से अलग विचार हैं। हम समान आधार ढूंढने के कड़े प्रयास कर रहे हैं। माधव ने कहा कि दोनों दलों के अपने दृढ़ विचार हैं और वे इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं कि शासन के व्यापक एजेंडे के तहत इन विचारों को कैसे रखा जाए। जब तक समान समझ पर नहीं पंहुचा जाता है तब तक कोई प्रगति संभव नहीं है। उन्होंने हालांकि मतभेदों के मुद्दों के रूप में एएफएसपीए या अनुच्छेद 370 का नाम नहीं लिया।

जम्मू-कश्मीर की 87 सदस्यीय विधानसभा में पीडीपी के 28 और भाजपा के 25 सदस्य हैं। पिछले साल 23 दिसंबर को विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद से ही दोनों दल मिल कर सरकार बनाने की आपस में चर्चा कर रहे हैं। खंडित जनादेश के कारण राज्य में एक महीने से अधिक से राज्यपाल शासन है।

सूत्रों के अनुसार दोनों पक्ष संभवत: एक समिति के गठन पर सहमत हो गए हैं जो शस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम पर विचार करके राज्य के उन क्षेत्रों के बारे में सुझाव देगी जहां इसे लागू नहीं किया जाए। अनुच्छेद 370 पर भाजपा ने हालांकि कोई लिखित आश्वासन नहीं दिया है, जैसा कि पीडीपी ने मांग की है, लेकिन साझा न्यूनतम कार्यक्रम में यह उल्लेखित हो सकता है कि दोनोंे दल संविधान के परिधि में जनता की आकांक्षाओं का सम्मान करेंगे।

प्रस्तावित साझा न्यूनतम कार्यक्रम में पश्चिम पाकिस्तान से राज्य में आकर रह रहे 25, 000 से अधिक शरणार्थी परिवारों का इस रूप में उल्लेख हो सकता है कि यह मानवीय मुद्दा है और इसे मानवीय ढंग से हल किया जाए।

 

 

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