JNU मामले में अमित शाह का 'ब्लॉग बम', राहुल की राष्ट्रभक्ति पर उठाए सवाल, मांगे आठ सवालों के जवाब
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JNU मामले में अमित शाह का 'ब्लॉग बम', राहुल की राष्ट्रभक्ति पर उठाए सवाल, मांगे आठ सवालों के जवाब

जेएनयू विवाद के संदर्भ में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर हमला करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने आरोप लगाया कि उन्होंने यह ‘साबित’ कर दिया है कि राष्ट्रीय हित उनके दिमाग में कहीं नहीं है और सवाल किया कि क्या कांग्रेस उपाध्यक्ष ने अलगाववादी ताकतों से हाथ मिला लिया है और वह भारत का एक और बंटवारा चाहते हैं।

 

JNU मामले में अमित शाह का 'ब्लॉग बम', राहुल की राष्ट्रभक्ति पर उठाए सवाल, मांगे आठ सवालों के जवाब

नई दिल्ली: जेएनयू यानी जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी विवादों के बीच पहली बार भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने चुप्पी तोड़ी है। अमित शाह ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए उनसे आठ सवाल कर जवाब मांगा है।

 

इसे लेकर शाह ने अपना ब्लॉग पोस्ट किया है। अमित शाह ने खास तौर पर कांग्रेस को निशाने पर लिया है। अमित शाह ने कहा है कि राहुल देश विरोधी और देश हित का अंतर नहीं समझ पा रहे हैं। कांग्रेस की सोच में राष्ट्रहित जैसी सोच की भावना नहीं। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल ने राष्ट्रविरोधी नारों का समर्थन किया। शाह ने राहुल पर आरापों की बौछार करते हुए पूछा है- 'क्या राहुल ने देश की अलगाववादी शक्तियों से हाथ मिला लिया है'?

 

जेएनयू विवाद के संदर्भ में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर हमला करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने आरोप लगाया कि उन्होंने यह ‘‘साबित’’ कर दिया है कि राष्ट्रीय हित उनके दिमाग में कहीं नहीं है और सवाल किया कि क्या कांग्रेस उपाध्यक्ष ने अलगाववादी ताकतों से हाथ मिला लिया है और वह भारत का एक और बंटवारा चाहते हैं।

इस विवाद पर पहली बार बोलते हुए शाह ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल से जेएनयू मुद्दे पर बहुत से सवाल किए और कहा कि उन्हें अपने बयानों और मांगों के लिए माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वामपंथी प्रगतिशील विचारधारा के नाम पर ‘राष्ट्र-द्रोहियों’ का समर्थन स्वीकार्य नहीं है।

 

भाजपा अध्यक्ष का यह कड़ा रूख इस ओर इशारा करता है कि पार्टी इस मुद्दे पर कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दलों के साथ दो-दो हाथ करने को तैयार हैं। इसके पीछे संभवत: उनकी यह सोच यता है कि यह पार्टी की राष्ट्रवादी छवि को फिर से पुख्ता करेगी और विपक्ष को एक किनारे कर देगी। शाह ने एक ब्लॉग में आरोप लगाया, ‘राष्ट्रीय राजधानी में एक प्रमुख विश्वविद्यालय का नाम खराब करने का प्रयास कर उसे अलगाववाद और आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला बताया जा रहा है। मैं राहुल गांधी से पूछना चाहता हूं कि क्या केंद्र सरकार का चुप रहना राष्ट्रीय हित में होगा?’

अमित शाह ने अपने ब्लॉग पर लिखा, ‘क्या आप इन राष्ट्र-द्रोहियों के समर्थन में विरोध प्रदर्शन कर उनका हौसला नहीं बढ़ा रहे?’ यह कहते हुए कि जेएनयू में ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’, ‘भारत वापस जाओ’ और संसद हमलों के दोषी अफजल गुरू के समर्थन, कश्मीर की आजादी और भारत की बर्बादी के नारे लगाए गए थे । ऐसे में वे जानना चाहते हैं कि क्या कांग्रेस नेता ने अलगाववादियों से हाथ मिला लिए हैं।

शाह ने कहा, ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर अलगाववादियों को खुली छूट देकर क्या वह भारत का एक और बंटवारा कराना चाहते हैं? जिस तरह के बयान कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं उनकी पार्टी के अन्य नेताओं ने जेएनयू में दिए उससे यह बात साबित होती है कि उनके दिमाग में राष्ट्रीय हित का कोई स्थान नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की सफलता के कारण कांग्रेस क्षुब्ध है और इसीलिए वह यह भूल गई है कि एक जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका कैसे निभाई जाए। उन्होंने दावा किया कि मोदी सरकार कश्मीर में भी ‘राष्ट्र विरोधी भावनाओं को नियंत्रित’ करने में सफल हुई है लेकिन कांग्रेस जेएनयू में हुई इस शर्मनाक कार्रवाई को ‘ईंधन’ देकर आगे बढ़ा रही है जबकि वह मुख्य विपक्षी दल है। उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी के सामने 125 करोड़ भारतवासियों की ओर अपने सवाल रख रहे हैं और यह भी मांग करते हैं कि राहुल अपनी कार्रवाई के लिए देश से माफी मांगें।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

 

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