जज vs सीजेआई: जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा, न्यायपालिका में बाहरी दखल की कोई जरूरत नहीं
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जज vs सीजेआई: जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा, न्यायपालिका में बाहरी दखल की कोई जरूरत नहीं

पत्रकारों के सवाल पर न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा, ‘‘एक मुद्दा उठाया गया है. संबंधित लोगों ने इसे सुना है. इस तरह के कदम भविष्य में नहीं दिखेंगे. इसलिए (मेरा) मानना है कि मुद्दा सुलझ गया है.’’ 

नई दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जज कुरियन जोसेफ. (IANS/12 Jan, 2018)

कोच्चि: मामलों के ‘‘चुनिंदा’’ तरीके से आवंटन और कुछ न्यायिक आदेशों के विरुद्ध देश के प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ एक तरह से बगावत का कदम उठाने वाले उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों में एक न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने शनिवार (13 जनवरी) को कहा कि समस्या के समाधान के लिए बाहरी हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है. उनके और तीन अन्य न्यायाधीशों के संवाददाता सम्मेलन के एक दिन बाद जोसेफ ने भरोसा जताया कि उन्होंने जो मुद्दे उठाए हैं उनका समाधान होगा. पत्रकारों के सवाल पर न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा, ‘‘एक मुद्दा उठाया गया है. संबंधित लोगों ने इसे सुना है. इस तरह के कदम भविष्य में नहीं दिखेंगे. इसलिए (मेरा) मानना है कि मुद्दा सुलझ गया है.’’

  1. 4 सीनियर जजों ने कहा कि कई ऐसी बातें हैं जो ‘अपेक्षा से कहीं कम’ थीं.
  2. जजों ने कहा कि शीर्ष अदालत में हालात सही नहीं हैं.
  3. जे चेलमेश्वर ने कहा, कभी उच्चतम न्यायालय का प्रशासन सही नहीं होता है.

यह पूछे जाने पर कि क्या इस मामले के समाधान में बाहरी हस्तक्षेप की जरूरत है तो उन्होंने कहा, ‘‘मामले को हल करने के लिए बाहरी हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि यह मामला संस्था के भीतर हुआ है. इसे हल करने के लिए संस्था की ओर से जरूरी कदम उठाए जाएंगे.’’ न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि मामले को राष्ट्रपति के संज्ञान में नहीं लाया गया है क्योंकि उच्चतम न्यायालय या इसके न्यायाधीशों को लेकर उनकी कोई संवैधानिक जिम्मेदारी नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रधान न्यायाधीश की तरफ से कोई संवैधानिक खामी नहीं है, लेकिन उत्तरदायित्व का निर्वहन करते हुए परंपरा, चलन और प्रक्रिया का अनुसरण किया जाना चाहिए.

उन्होंने यहां एक समारोह से इतर कहा, ‘‘हम सिर्फ मामले को उनके संज्ञान में लाए हैं.’’ न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि न्यापालिका और न्याय के हित में न्यायाधीशों ने धीरे-धीरे कदम उठाया. इससे पहले, स्थानीय चैनलों ने जब उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए यहां के निकट कलाडी में उनके पैतृक घर का रुख किया तो न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा, ‘‘न्याय और न्यायपालिका के पक्ष में खड़े हुए. यही चीज कल वहां (नयी दिल्ली में) हमने कही.’’ उन्होंने कहा, ‘‘एक मुद्दे की ओर ध्यान गया है. ध्यान में आने पर निश्चित तौर पर यह मुद्दा सुलझ जाएगा.’’ न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि ‘‘न्यायाधीशों ने न्यायपालिका में लोगों का भरोसा जीतने के लिए यह किया.’’ 

उल्लेखनीय है कि न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों ने एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए शुक्रवार (12 जनवरी) को एक संवाददाता सम्मेलन किया और कहा कि शीर्ष अदालत में हालात ‘सही नहीं हैं’ और कई ऐसी बातें हैं जो ‘अपेक्षा से कहीं कम’ थीं. प्रधान न्यायाधीश के बाद दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश जे चेलमेश्वर ने कहा, ‘... कभी उच्चतम न्यायालय का प्रशासन सही नहीं होता है और पिछले कुछ महीनों में ऐसी कई चीजें हुई हैं जो अपेक्षा से कहीं कम थीं.’

जज vs सीजेआई: विवादों पर बोले जस्टिस रंजन गोगोई, न्यायपालिका में कोई संकट नहीं है

इससे पहले भारत के प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ ‘चयनात्मक’ तरीके से' मामलों के आवंटन और कुछ न्यायिक आदेशों को लेकर एक तरह से बगावत करने वाले उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठ न्यायाधीशों में से एक न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने शनिवार (13 जनवरी) को कहा कि ‘कोई संकट नहीं है.’ न्यायमूर्ति गोगोई एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए आये थे. कार्यक्रम के इतर उनसे पूछा गया कि संकट सुलझाने के लिए आगे का क्या रास्ता है, इस पर उन्होंने कहा, ‘कोई संकट नहीं है.’ यह पूछे जाने पर कि उनका कृत्य क्या अनुशासन का उल्लंघन है, गोगोई ने यह कहते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि ‘मुझे लखनऊ के लिए एक उड़ान पकड़नी है. मैं बात नहीं कर सकता.’ उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश राज्य विधिक सेवा प्राधिकारियों के पूर्वी क्षेत्रीय सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए आये थे.

(इनपुट एजेंसी से भी)

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