यूपी पुलिस चलाए जा रहे 'मिशन क्लीन' से अपराधियों में डर का माहौल है. लगातार हो रही एनकाउंटर की कार्रवाई से दहशत में आए अपराधी अब खुद सड़क पर निकल कर माफी मांग रहे हैं.
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नई दिल्ली: यूपी पुलिस की ओर से चलाए जा रहे 'मिशन क्लीन' से अपराधियों में डर का माहौल है. लगातार हो रहे एनकाउंटर से दहशत में आए अपराधी अब खुद सड़क पर निकल कर माफी मांग रहे हैं. इतना ही नहीं वे अपराध के रास्ते को छोड़ने का वादा भी करते दिख रहे हैं. हाल ही में उत्तर प्रदेश के शामली के कैराना कोतवाली इलाके के दो वॉन्टेड क्रिमिनल सार्वजनिक तौर पर ऐसा करते नजर आए. जानकारी के मुताबिक, सलीम अली और इरशाद अहमद नाम के दो अपराधी कई लूट और हत्या के मामलों में आरोपी हैं. उन्हें हाल ही में जमानत पर जेल से छोड़ा गया है. जेल से छूटने के बाद दोनों अपने गले में तख्ती लटकाए घूमते दिखे.
इन तख्तियों पर दोनों अपराधियों के नाम लिखे थे. साथ ही में लिखा था 'मैं भविष्य में कोई अपराध नहीं करूंगा. मैं मेहनत-मजदूरी कर अपना और अपने परिवार का पालन-पोषण करूंगा.'
मीडिया से बातचीत करते हुए इन अपराधियों ने बताया कि, उन पर शामली और कैराना थाने में कई मामले दर्ज हैं. वे अब अपराध छोड़ अच्छा जीवन जीना चाहते हैं. उन्होंने आगे कहा कि वे नहीं चाहते कि दूसरे अपराधियों की तरह उनका भी एनकाउंटर कर दिया जाए.
Kairana: In the wake of recent encounters by Police, two wanted criminals walk around the city with a placard pledging to reform and not to indulge in crime again pic.twitter.com/38NZ4FAYgo
— ANI UP (@ANINewsUP) February 17, 2018
लगातार किए जा रहे एनकाउंटर ऑपरेशन
यूपी में अपराध और अपराधियों पर लगाम कसने के लिए लगातार 'मिशन क्लीन' के तहत एनकाउंटर ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं. इन एनकाउंटर में कई अपराधी ढेर किए जा चुके हैं. इस मामले में हाल ही में यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी अहम बयान देते हुए कहा था कि इस तरह के ऑपरेशन जारी रहेंगे.
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अपराधियों के खिलाफ पुलिस मुठभेड़ों का सिलसिला नहीं थमेगा
दरअसल, 15 फरवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधान परिषद में विपक्ष पर अपराधियों के प्रति सहानुभूति व्यक्त करने का आरोप लगाते हुए अपराधियों के खिलाफ मुठभेड़ की कार्रवाई नहीं रुकने की बात कही थी.
उन्होंने कहा था, 'यह सबको पता है कि अपराधियों को संरक्षण कौन देता था. प्रदेश में पुलिस के साथ अपराधियों की मुठभेड़ की 1,200 घटनाओं में 40 दुर्दांत अपराधी मारे जा चुके हैं. आगे भी यह सिलसिला नहीं थमेगा. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग जनता के प्रति जवाबदेही के बजाय अपराधियों के प्रति सहानुभूति दिखा रहे हैं. यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक है.'