कारगिल युद्ध को लेकर यह खुलासा एक सरकारी दस्तावेज से हुआ है. घटना 24 जून, 1999 को सुबह करीब 8.45 बजे की है. कारगिल लड़ाई में भारतीय सेना विजय की ओर बढ़ रही थी.
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नई दिल्ली : चीन के साथ ही पाकिस्तान से भी भारत की तनातनी का दौर जारी है. सबसे अधिक तनाव भारत-पाक सीमा पर है. भारतीय सेना पाकिस्तानी सेना की ओर से किए जा रहे सीजफायर उल्लंघन का मुंहतोड़ जवाब दे रही है. वैसे भी इतिहास गवाह है कि जब भी भारत और पाकिस्तान की सेनाएं युद्ध के मैदान पर आमने-सामने आई हैं, तो भारतीय सेना ने पाक सेना को हमेशा धूल चटाई है. ऐसा ही कुछ कारगिल युद्ध (Kargil War) में हुआ था, जब भारतीय रणबांकुरों ने घुसपैठियों के वेश में आए पाकिस्तानी सैनिकों को ढेर करते हुए तिरंगा लहरा दिया था. अब कारगिल युद्ध को लेकर एक नया और बड़ा खुलासा हुआ है. इसके अनुसार यदि भारतीय वायुसेना के युद्धक विमान का निशाना सही लगता, तो इस युद्ध के जनक परवेज मुशर्रफ (Parvez Musharraf) और नवाज शरीफ (Nawaz Sharif) दोनों मौत की नींद सो जाते. हम आपको बता रहे हैं कि आखिर हुआ क्या था...
कारगिल युद्ध को लेकर यह खुलासा एक सरकारी दस्तावेज से हुआ है. घटना 24 जून, 1999 को सुबह करीब 8.45 बजे की है. कारगिल लड़ाई में भारतीय सेना विजय की ओर बढ़ रही थी. इस दुर्गम लड़ाई में थल सेना के साथ-साथ वायुसेना भी भाग ले रही थी और बम बरसा रही थी. इसी के तहत उसने पाकिस्तान के अग्रिम मोर्च को ध्वस्त करने का फैसला किया. फिर क्या था भारतीय वायुसेना के खतरनाक जुगआर लड़ाकू विमान ने टारगेट की ओर बढ़ना शुरू कर दिया.
पहले से नहीं था पता
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, एक जगुआर ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) के ऊपर उड़ान भरी. उसका लक्ष्य पाकिस्तानी सेना के एक अग्रिम ठिकाने पर “लेजर गाइडेड सिस्टम” से बमबारी करने लिए टारगेट को चिह्नित करना था. उसके पीछे आ रहे दूसरे जगुआर को बमबारी करनी थी. जगुआर एसीएलडीएस ने प्वाइंट 4388 पर निशाना साधा, पायलट ने एलओसी के पार गुलटेरी को लेजर बॉस्केट में चिह्नित किया, लेकिन बम “लेजर बॉस्केट” से बाहर गिरा दिया, जिससे पाकिस्तानी ठिकाना बच गया. खबर के मुताबिक, अगर निशाना सही होता, तो उसमें पाकिस्तान के पूर्व जनरल परवेज मुशर्रफ और मौजूदा पीएम नवाज शरीफ भी मारे जा सकते थे. हालांकि वायुसेना को उस समय यह नहीं पता था कि यह दोनों वहां मौजूद हैं.
बम नहीं गिराने का मिला निर्देश
भारत सरकार के इस दस्तावेज में मोटे अक्षरों में लिखा है, 'बाद में इस बात की पुष्टि हुई कि हमले के समय पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ उस समय गुलटेरी ठिकाने पर मौजूद थे.' दस्तावेज के अनुसार जब पहले जगुआर ने निशाना साधा तब तक ये खबर नहीं थी कि वहां पाकिस्तानी पीएम शरीफ और मुशर्रफ मौजूद हैं. हालांकि एक एयर कमाडोर जो उस समय एक उड़ान में थे, उन्होंने पायलट को बम नहीं गिराने का निर्देश दिया, जिसके बाद बम को एलओसी के निकट भारतीय इलाके में गिरा दिया गया. ऐसा इसलिए क्योंकि यह पाक सीमा के भीतर था और हमला नियम विरुद्ध होता.
पाक का अग्रिम ठिकाना था गुलटेरी
गौरतलब है कि कारगिल युद्ध के समय गुलटेरी पाक सेना का अग्रिम सैन्य ठिकाना था, जहां से सैन्य साजो-सामान पहुंचाया जा रहा था. गुलटेरी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में एलओसी से नौ किलोमीटर अंदर है, जो भारत के द्रास सेक्टर के दूसरी तरफ स्थित है. पाकिस्तान मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक 24 जून को नवाज शरीफ परवेज मुशर्रफ के साथ इस सैन्य ठिकाने पर गए थे.
पूर्व एयर मार्शल के अनुसार कारगिल युद्ध के दौरान मशकोह घाटी में लॉजिस्टिक डम्प देखा गया था. जब पहले जगुआर को इस पर संदेह हुआ तो फैसला बदला गया. उसने दूसरे जुगआर को बमबारी न करने का निर्देश दिया, वापस आकर उसने वीडियो में देखा कि वह जिसे निशाने बनाने जा रहे थे वो गुलटेरी था. इस पूर्व मार्शल ने कहा कि उस समय न तो उनको पता था और न ही उनको सूचित किया गया था कि गुलटेरी में शरीफ मौजूद हैं. उनके अनुसार यह हमला नियम के खिलाफ होता, इसलिए फैसला बदल दिया गया था.