करवा चौथ के दिन चांद निकलने के बाद ही पत्नियां अपना व्रत खोल पाती हैं. दिनभर व्रत रहने के बाद महिलाएं करवा चौथ की कथा सुनती हैं.
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नई दिल्ली: करवा चौथ के दिन चांद निकलने के बाद ही पत्नियां अपना व्रत खोल पाती हैं. दिनभर व्रत रहने के बाद महिलाएं करवा चौथ की कथा सुनती हैं. चांद निकलने पर अर्घ्य चढ़ाकर पति का चेहरा देखा जाता है, जिसके बाद पत्नी का व्रत खुलता है. हालांकि, चंद्रमा के दर्शन और उपवास खोलने से पहले कुछ चीजें हैं जिनका खास ध्यान रखा जाना चाहिए. माना जाता है ऐसा नहीं करने पर चंद्रमा नाराज हो जाते हैं और पत्नी को उसकी पूजा का फल नहीं मिलता.
माना जाता है कि करवा चौथ का व्रत भले ही पति के लिए रखा जाता है लेकिन इस दिन यदि पत्नी मां, सास या अन्य किसी बुजुर्ग का अपमान करती है तो उसका व्रत पूरा नहीं माना जाता. क्योंकि इस व्रत में बड़े-बुजुर्गों के आशीर्वाद का भी महत्व होता है.
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इस दिन मां गौरी की भी पूजा की जाती है. उन्हें हलवा-पूरी का भोग लगाने के बाद ये प्रसाद सब में जरूर बांटे और इसे सास को देना न भूलें. करवाचौथ के दिन विवाहित महिलाएं किसी को भी दूध, दही, चावल कोई भी सफेद कपड़ा या अन्य सफेद वस्तु न दें. माना जाता है ऐसा करने से चंद्रमा नाराज हो जाते हैं और अशुभ फल देते हैं.
करवाचौथ का व्रत करने वाली महिला को इस दिन सफेद या काला रंग पहनने से बचना चाहिए. ये रंग उनके लिए अशुभ होते हैं. इस दिन वे लाल या पीले रंग की साड़ी पहनें जो सुहाग से जुड़े रंग माने जाते हैं. ये रंग सुहागिनों के लिए शुभ भी होंगे.
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इस दिन गेहूं अथवा चावल के 13 दानें हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा सुननी चाहिए. मिट्टी के करवे में गेहूं, ढक्कन में चीनी और उसके ऊपर कपड़े आदि रखकर सास, जेठानी को देना चाहिए. इसके बाद ही रात में चांद दिखने पर सबसे पहले उन्हें अर्घ्य चढ़ाना चाहिए, इसके बाद पति के पानी पिलाने पर अपना व्रत खोल लेना चाहिए.