केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव आने पर शिवसेना ने खुद को अलग कर लिया है. ज्यादातर मौकों पर बीजेपी पर हमलावर रहने वाली सहयोगी पार्टी शिवसेना ने साफ कर दिया है कि अविश्वास प्रस्ताव के दौरान उनकी पार्टी के सांसद लोकसभा में मौजूद नहीं रहेंगे.
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नई दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव आने पर शिवसेना ने खुद को अलग कर लिया है. ज्यादातर मौकों पर बीजेपी पर हमलावर रहने वाली सहयोगी पार्टी शिवसेना ने साफ कर दिया है कि अविश्वास प्रस्ताव के दौरान उनकी पार्टी के सांसद लोकसभा में मौजूद नहीं रहेंगे. शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि उनकी पार्टी की बीजेपी खिलाफ नाराजगी कायम है, लेकिन अविश्वसा प्रस्ताव के दौरान वह तटस्थ रहेगी. उन्होंने कहा कि लोकसभा में जब अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा, उस वक्त शिवसेना के 18 सांसद वहां मौजूद नहीं रहेंगे. राजनीति के जानकार मानते हैं कि शिवसेना के इस कदम से बीजेपी सरकार को तरह से मदद ही मिलेगी, क्योंकि संसद में सांसदों की मौजूदगी कम होने पर बीजेपी को बहुमत साबित करने के लिए कम सांसदों की जरूरत पड़ेगी.
मालूम हो शिवसेना बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी दल है. वह महाराष्ट्र और केंद्र में बीजेपी के साथ मिलकर सरकार चला रही है. हालांकि अक्सर वह अपनी सहयोगी बीजेपी पर हमलावर रहती है. मालूम हो कि मौजूदा वक्त में बीजेपी के पास बहुमत से ज्यादा सांसद हैं. जहां तक एनडीए का सवाल है तो सांसदों का आंकड़ा 315 है.
We will neither support the Government nor the Opposition, we will abstain: Arvind Sawant,Shiv Sena MP on no confidence motion #budgetsession pic.twitter.com/6MV6mqj7jX
— ANI (@ANI) March 19, 2018
No decision taken yet on party's stand on no confidence motion: AIADMK sources #budgetsession pic.twitter.com/hXZz1FIEcp
— ANI (@ANI) March 19, 2018
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AIDMK ने भी BJP को समर्थन पर साधी चुप्पी
तमिलनाडु में सत्ताधारी AIDMK की ओर जारी बयान में कहा गया है कि उन्होंने अभी तय नहीं किया है कि वह अविश्वास प्रस्ताव के वक्त बीजेपी का सपोर्ट करेंगे या नहीं. इससे पहले केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि सरकार अविश्वास प्रस्ताव के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि सरकार बहुमत के आंकड़े को लेकर आश्वस्त है.
सोमवार को लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही टीडीपी के सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया, जिसके बाद लोकसभा की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई. राज्यसभा में टीडीपी सांसदों के हंगामे के चलते उसे बुधवार 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया.
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टीडीपी सांसदों ने संसद भवन में महात्मा गांधी की प्रतिमा के नीचे खड़े होकर सरकार के प्रति अपना विरोध जताते दिखे. इस विरोध में कांग्रेस की राज्यसभा सांसद रेणुका चौधरी भी शामिल दिखीं.
Delhi: TDP MPs protest in front of Mahatma Gandhi statue in Parliament over special category status to Andhra Pradesh. Congress MP Renuka Chowdhury also joined the protest. #budgetsession pic.twitter.com/y7T8qVrffo
— ANI (@ANI) March 19, 2018
वाईएसआर कांग्रेस और तेलुगुदेशम पार्टी ला सकती है अविश्वास प्रस्ताव
लोकसभा में सोमवार (19 मार्च) को वाईएसआर कांग्रेस और तेलुगुदेशम पार्टी (टीडीपी) नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अपना अविश्वास प्रस्ताव ला सकती हैं. वाईएसआर कांग्रेस के वाईवी सुब्बारेड्डी ने लोकसभा सचिवालय को अविश्वास प्रस्ताव के लिए नोटिस को सोमवार की कार्यवाहियों में सूचीबद्ध करने के लिए लिखा है. वहीं टीडीपी ने भी अविश्वास प्रस्ताव के लिए नोटिस दे रखा है.
पिछले सप्ताह नोटिस नहीं लिए जाने पर संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने दलील दी थी कि सदन में आसन के पास जाकर कई दलों के सदस्यों की नारेबाजी के कारण सदन में व्यवस्था नहीं बन पाने के कारण ऐसा नहीं हो पाया.
We are ready to face no-confidence motion as we have support in the House. We are confident : Union Parliamentary Affairs Minister Ananth Kumar #budgetsession pic.twitter.com/9xnp6gDWxQ
— ANI (@ANI) March 19, 2018
अविश्वास प्रस्ताव को लेकर BJP है बेफिक्र
लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आने से ठीक पहले आंध्र प्रदेश में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के हरि बाबू (K Haribabu) ने न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में कहा कि उन्हें जरा भी टेंशन नहीं है. हरि बाबू (K Haribabu) ने कहा, 'बीजेपी के पास लोकसभा में पूर्ण बहुमत है, हम अविश्ववास प्रस्ताव का सामना करने के लिए तैयार हैं. ये सभी पार्टियां मिलकर भी बीजेपी का कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे, हम आसानी से बहुमत साबित कर देंगे.'
हाल ही में टीडीपी ने बीजेपी से तोड़ा है नाता
विधायी कार्यों पर सरकार के साथ अक्सर सहयोग करने वाली तेलंगाना राष्ट्र समिति और अन्नाद्रमुक कई मुद्दों पर विरोध कर रही है इसलिए इस पर अनिश्चितता ही है कि कल व्यवस्था बन पाएगी . बजट सत्र के अंतिम चरण का पहला दो हफ्ता बीत चुका है हालांकि सरकार कई महत्वपूर्ण विधेयक लाने और बिना चर्चा के ध्वनिमत के जरिए बजट पारित कराने में कामयाब रही. केंद्र की ओर से आंध्रप्रदेश को विशष दर्जा दिए जाने से इनकार के बाद सबसे पहले वाईएसआर कांग्रेस ने पिछले सप्ताह अविश्वास प्रस्ताव लाने का नोटिस दिया था. मुद्दे पर बीजेपी की लंबे समय से सहयोगी रही तेदेपा ने इसके बाद सरकार से अपना नाता तोड़ने का फैसला किया और खुद ही अविश्वास प्रस्ताव लायी.
दोनों पार्टियां अपने- अपने नोटिसों पर समर्थन जुटाने के लिए विपक्षी दलों को लामबंद कर रही हैं. अविश्वास प्रस्ताव नोटिस के लिए सदन में कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन चाहिए. सरकार ने भरोसा जताया है कि नोटिस स्वीकारकर लिये जाने पर भी लोकसभा में उसकी संख्या बल के कारण प्रस्ताव औंधे मुंह गिर जाएगा. लोकसभा में मौजूदा सदस्यों की संख्या539 है और सत्तारूढ़ बीजेपी के274 सदस्य हैं. यह बहुमत से अधिक है और पार्टी को कई घटक दलों का समर्थन भी है.